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'ट्रेड डील आज की रियलिटी, लेकिन हमारी पॉलिसी इंडिया फर्स्ट', BT Mindrush में बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

ट्रेड एग्रीमेंट्स पर बातचीत करते हुए एस. जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार वर्तमान में तीन महत्वपूर्ण वार्ताओं में लगी हुई है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत भी शामिल है.

भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर. (Photo: Business Today) भारत के विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर. (Photo: Business Today)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बिजनेस टुडे माइंडरश 2025 कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर चल रही बातचीत पर भी बातचीत की. संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ की धमकी के बाद, केंद्र सरकार ने बार-बार दोहराया है कि भारत के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी और आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ बातचीत चल रही है. 

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ट्रेड एग्रीमेंट्स पर बातचीत करते हुए एस. जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार वर्तमान में तीन महत्वपूर्ण वार्ताओं में लगी हुई है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत भी शामिल है. उन्होंने कहा, 'वैश्विक आर्थिक भागीदारी की बात करें तो व्यापार समझौतों ने हमेशा ही महत्वपूर्ण स्थान रखा है. यह अब और भी अधिक सच है, एक ऐसी वास्तविकता जिसे भारत को पहचानना चाहिए. वर्तमान में, हम विशेष रूप से तीन महत्वपूर्ण वार्ताओं में लगे हुए हैं, जिनमें- यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के साथ मुक्त व्यापार समझौता (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता (बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट) शामिल है. इसी सप्ताह हमने न्यूजीलैंड के साथ भी बातचीत शुरू की है. कुछ अन्य चीजें भी पाइपलाइन में हैं.'

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उन्होंने आगे एक्शन वर्सेज इनैक्शन की कीमत को तौलने की आवश्यकता पर बल दिया, विशेष रूप से तब जब बात भारत की संवेदनशील प्रौद्योगिकियों तक पहुंच की हो. उन्होंने कहा, 'वर्तमान अनिश्चित और अस्थिर दुनिया में, यह आवश्यक है कि हम ऐसे प्रयासों के मूल्य को समझें. हमें उनकी लागत और लाभ का सावधानीपूर्वक आकलन करना होगा, साथ ही एक्शन वर्सेज इनैक्शन की कीमत का भी आकलन करना होगा. ऐसी समझ के अतिरिक्त लाभ भी हो सकते हैं, विशेष रूप से संवेदनशील प्रौद्योगिकियों में.' एस जयशंकर ने यह भी आश्वासन दिया कि भारत हमेशा 'इंडिया फर्स्ट' की नीति का पालन करेगा.

विदेश मंत्री ने कहा, 'भारत इस संबंध में स्पष्ट रूप से इंडिया फर्स्ट की नीति अपनाएगा, जिसका लक्ष्य विकसित भारत होगा. हमारे पहले के अधिकांश एफटीए एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के साथ हैं, जिनमें से कई प्रतिस्पर्धी चरित्र के हैं. खाड़ी और पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को शामिल करके समग्र संतुलन का परिचय देना न केवल आर्थिक रूप से भी तर्कसंगत है, बल्कि रणनीतिक भी है.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा था कि भारत पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर पहुंचने के लिए अमेरिकी प्रशासन के साथ विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रहा है.

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अपनी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के अनुरूप, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 4 अप्रैल से अपने साझेदारों और अन्य देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की घोषणा की, जो अमेरिका से आयात पर उच्च शुल्क लगाते हैं. उन्होंने 19 मार्च को एक बयान में कहा था, 'भारत के साथ मेरे संबंध बहुत अच्छे हैं, मुझे उम्मीद है कि वे धीरे-धीरे अमेरिकी आयात पर अपना टैरिफ भी घटाएंगे.' लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अमेरिका पर बहुत अधिक टैरिफ लगाए हैं, इसलिए वह रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की अपनी घोषणा पर कायम है. रेसिप्रोकल टैरिफ का मतलब यह हुआ कि भारत अमेरिकी आयात पर जितना टैक्स लगाता है, अमेरिका भी भारतीय आयात पर उतना ही टैक्स लगाएगा.

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