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Earthquake in Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर से लेकर जम्मू-कश्मीर तक भूकंप के तेज झटके, पाकिस्तान और चीन में भी हिली धरती

दिल्ली एनसीआर में मंगलवार दोपहर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ में भी झटके महसूस किए गए. 

दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके दिल्ली एनसीआर में भूकंप के झटके
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 जून 2023,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

भारत, पाकिस्तान और चीन में मंगलवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप का असर भारत के दिल्ली-एनसीआर, जम्मू कश्मीर, चंडीगढ़ समेत कई शहरों में रहा. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.4 मापी गई है. ये भूकंप 1 बजकर 33 मिनट पर आया. 

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का केंद्र जम्मू-कश्मीर के डोडा में था. इसकी गहराई जमीन से 6 किलोमीटर अंदर थी. रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 5.4 थी. 

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मार्च में भी आए थे भूकंप के तेज झटके

इससे पहले मार्च में भारत के कई राज्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए थे. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 थी. भूकंप का असर दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, पंजाब, मध्यप्रदेश और उत्तराखंड समेत पूरे उत्तर भारत में था. भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदू कुश क्षेत्र था.


 

मई में भारत में 41 बार आया भूकंप

NCS के डेटा के मुताबिक, भारत में 1 मई से 31 मई तक 41 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. इनमें से 7 भूकंप उत्तराखंड और 6 भूकंप मणिपुर में आए. इसके अलावा अरुणाचल में 5 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. वहीं, हरियाणा और मेघालय में 3-3 बार धरती हिली है. 

क्यों आता है भूकंप?

धरती मुख्यत: चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. अब ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानि धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं. इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है.

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