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यूपी के शामली के बाद आज सुबह मणिपुर में भूकंप के झटके, 4.0 रही तीव्रता

शनिवार सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने जानकारी दी कि मणिपुर के उखरुल में 4.0 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए. इससे पहले शुक्रवार को रात 9:30 बजे करीब भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे.

मणिपुर में भूकंप के झटके मणिपुर में भूकंप के झटके
aajtak.in
  • उखरुल,
  • 04 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:20 AM IST

मणिपुर के उखरुल में शनिवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए. यह भूकंप सुबह 6 बजकर 14 मिनट पर आया. राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र ने जानकारी दी कि उखरुल में 4.0 की तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए. 

इससे पहले शुक्रवार रात उत्तर प्रदेश के शामली में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. जानकारी के मुताबिक रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.2 मापी गई. शुरुआती जानकारी के मुताबिक भूंकप की वजह से किसी तरह के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है. 

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रात 9:30 बजे आया भूकंप

नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक शुक्रवार रात साढ़े 9 बजे धरती हिली. भूकंप के झटके काफी सामान्य थे, जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ.

कुछ ही दिन पहले मणिपुर में आया था भूकंप

31 जनवरी को भी पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में सुबह-सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए थे. उस समय रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.5 मापी गई. भूकंप की जानकारी देने वाले नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने बताया कि मणिपुर का कामजोंग इस भूकंप का केंद्र रहा. भूकंप के ये झटके सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.5 रही और इसकी गहराई 67 किलोमीटर रही.

क्यों आता है भूकंप?

आपको बता दें कि धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है. इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट. क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल कोर को लिथोस्फेयर कहा जाता है. ये 50 किलोमीटर की मोटी परत कई वर्गों में बंटी हुई है जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है. यानी धरती की ऊपरी सतह 7 टेक्टोनिक प्लेटों से मिलकर बनी है. ये प्लेटें कभी भी स्थिर नहीं होती, ये लगातार हिलती रहती हैं, जब ये प्लेटें एक दूसरे की तरफ बढ़ती है तो इनमें आपस में टकराव होता है. कई बार ये प्लेटें टूट भी जाती हैं.

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इनके टकराने से बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है जिससे इलाके में हलचल होती है. कई बार ये झटके काफी कम तीव्रता के होते हैं, इसलिए ये महसूस भी नहीं होते. जबकि कई बार इतनी ज्यादा तीव्रता के होते हैं, कि धरती फट तक जाती है.

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