
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध का जिक्र करते हुए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत ने आज गुरुवार को कहा कि भारत उत्तरी सीमाओं पर यथास्थिति को बदलने की कोशिशों को रोकने के लिए मजबूती से खड़ा रहा और साबित कर दिया कि वह किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा.
जनरल रावत ने दिल्ली में वर्चुअली आयोजित ‘रायसीना संवाद’ में अपने भाषण में कहा कि चीन ने सोचा कि वह थोड़ी सी ताकत दिखाकर अपनी मांगें मनवाने के लिए राष्ट्रों को विवश करने में सफल रहेगा लेकिन भारत उत्तरी सीमाओं पर अडिग रहा और हमने साबित कर दिया कि हम पीछे नहीं हटेंगे.
उन्होंने कहा कि भारत ने मजबूत होकर यथास्थिति में बदलाव को रोका. हम विश्व समर्थन हासिल करने में सक्षम रहे हैं और मुझे लगता है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को हमारे समर्थन में यह कहने के लिए आना होगा कि वहां अंतरराष्ट्रीय नियम आधारित आदेश है जिसे हर देश को पालन करना चाहिए. यह वही है जिसे हम हासिल कर पाए हैं.
जनरल बिपिन रावत ने कहा कि चीन ने यह कहने का प्रयास किया कि यह मेरा रास्ता है या कोई अन्य रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि चीन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि वे शक्ति का इस्तेमाल किए बिना विध्वंसक प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल कर यथास्थिति को बदल देंगे. उन्होंने सोचा होगा कि भारत, एक राष्ट्र के रूप में, उनके द्वारा बनाए जा रहे दबाव के आगे झुक जाएगा क्योंकि उनके पास प्रौद्योगिकीय लाभ हैं.
अफगानिस्तान में वैक्यूम की स्थितिः CDS
भारत और चीन के बीच पिछले एक साल से लद्दाख में सैन्य स्तर पर तनाव बना रहा और शुरुआती डिसएन्गेजमेंट के बाद भी अभी अंतिम फाइनल समाधान नहीं हुआ है.
अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बारे में एक सवाल के लिए जनरल रावत ने कहा कि इससे वहां वैक्यूम की स्थिति बन गई है और दूसरे लोगों की ओर से शोषण किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि हम इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता देखना चाहते हैं. हमारी चिंता वैक्यूम को लेकर है जो अमेरिका और नाटो के वापस चले जाने के बाद पैदा होने वाली है और अन्य अब व्यवधान नहीं आनी चाहिए हालांकि अफगानिस्तान में हिंसा जारी है.
चीन के शिनजियांग में उइगरों की हालत पर प्रतिक्रिया देते हुए जनरल रावत ने कहा कि हमारे देश में हम हमेशा से मानते रहे हैं कि प्रत्येक समुदाय चाहे जो भी धर्म, पंथ, रंग का हो समान अधिकार रखता है. दुनिया को यह सुनिश्चित करने में साथ खड़ा होना चाहिए कि लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए.