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'डोकलाम में कोई नया डेवलपमेंट नहीं, किया जा रहा प्रोटोकॉल का पालन,' पूर्वी सेना के कमांडर का बयान

पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने शुक्रवार को कहा कि तीन देशों के जंक्शन पर भूटान की रणनीतिक घाटी डोकलाम में चीन द्वारा कोई नया विकास नहीं किया गया है. इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्टस में कहा गया था कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा डोकलाम के पास तोरसा नाला में रोपवे का निर्माण किया जा रहा है.

पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता. (फाइल फोटो) पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 10:23 PM IST

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीन से झड़प के बाद बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. विपक्ष लगातार बीजेपी सरकार पर हमलावर है. चीन को लेकर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं. इस बीच, पूर्वी सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल आरपी कलिता ने शुक्रवार को बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि तीन देशों के जंक्शन पर भूटान की रणनीतिक घाटी डोकलाम में चीन ने इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर कोई नया डेवलप नहीं किया है. कलिता का ये बयान तब आया, जब कुछ मीडिया रिपोर्टस में कहा गया कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा डोकलाम के पास तोरसा नाला में रोपवे का निर्माण कराया गया है.

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बताते चलें कि डोकलाम में तीनों देशों में भारत, चीन और भूटान की सीमाएं मिलती हैं. इसलिए ये इलाका रणनीतिक तौर पर काफी अहम जाता है. पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (GOC-in-C) लेफ्टिनेंट जनरल कलिता ने कहा- जहां तक ​​बुनियादी ढांचे के विकास के संबंध में डोकलाम का सवाल है, वहां कोई नया डेवलपमेंट नहीं हुआ है. 

बता दें कि 2017 में डोकलाम को लेकर विवाद तब हुआ जब PLA की एक लड़ाकू इंजीनियरिंग यूनिट ने एक सड़क का निर्माण शुरू किया था. जिससे भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा. इस विवाद को बातचीत के जरिए सुलझा लिया गया था.

'डोकलाम क्षेत्र में प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा'

लेफ्टिनेंट जनरल से पूछा गया कि क्या चीन सक्रिय रूप से डोकलाम में इसके किनारे की सड़कें और रोपवे जैसे बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है. इस पर उन्होंने कहा कि डोकलाम क्षेत्र में दोनों पक्षों द्वारा एक प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है जिसमें स्थानीय कमांडरों के बीच नियमित बातचीत होती है ताकि दोनों तरफ कोई नया निर्माण ना हो.

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उन्होंने कहा- डोकलाम के सामरिक महत्व के बारे में भारतीय सुरक्षा बल हमेशा जागरूक रहे हैं. इस तथ्य को देखते हुए कि उच्च भूमि का उपयोग संकीर्ण सिलीगुड़ी गलियारे को टारगेट करने के लिए किया जा सकता है जो मुख्य भूमि भारत को पूर्वोत्तर से जोड़ता है. भारत पिछले कुछ दशकों में उत्तर से खतरे की धारणा को ध्यान में रखते हुए अपनी सीमा के बुनियादी ढांचे का अपग्रेड कर रहा है और पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में स्थित माउंटेन स्ट्राइक फॉर्मेशन - XVII कोर भी बना रहा है. 

भारत द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों, विशेषकर सीमावर्ती क्षेत्रों में नई सड़कों, पुलों और सुरंगों के विकास के संबंध में कलिता ने कहा कि बुनियादी ढांचे में सुधार मुख्य रूप से सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं को कम से कम समय सीमा में बल जुटाने के मामले में मदद करता है. उन्होंने कहा कि सड़कों के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का मतलब रेलवे, एयरपोर्ट, हेलीपैड और कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर भी है. उन्होंने कहा- पिछले लगभग 10-15 वर्षों में (वहां) बुनियादी ढांचे के विकास पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है. विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में जो निश्चित रूप से हमारी परिचालन क्षमताओं में सहायता और वृद्धि करने जा रहे हैं.

 

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