
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने आज झारखंड के रांची में छापेमारी की है. ईडी की यह रेड नौ लोगों के खिलाफ चार ठिकानों पर की जा रही है. जिस सद्दाम को ईडी ने रांची जमीन घोटाला मामले में पिछले मंगलवार को अरेस्ट किया था, उसी के इनपुट के आधार पर यह छापेमारी हो रही है. सद्दाम जेल में बंद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन का कथित सहयोगी है.
वह दस्तावेजों में जालसाजी करने और सेना की जमीन तथा अन्य जमीनों की खरीद-फरोख्त में कथित संलिप्तता के आरोप में पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं. ईडी ने उन्हें सौदा भूमि घोटाला मामले में फिर से गिरफ्तार किया था और 4 दिनों की रिमांड पर लिया था.
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सद्दाम ने निभाई थी भूमिका
ईडी को सुराग मिला है कि सौदेबाजी स्थित 8.86 एकड़ प्लॉट में सद्दाम ने पूर्व सीएम के लिए अहम भूमिका निभाई थी. ईडी झामुमो के जिला अध्यक्ष अंतु टिर्की से जुड़े परिसरों सहित 4 स्थानों पर तलाशी ले रही है. सद्दाम से जुड़े परिसरों की भी तलाशी ली गई है.
कैसे सामने आया ये घोटाला?
- जून 2022 में रांची के बरायतु पुलिस थाने में एक एफआईआर दर्ज हुई. ये एफआईआर रांची नगर निगम के टैक्स कलेक्टर दिलीप शर्मा की ओर से दर्ज कराई गई थी. इसमें प्रदीप बागची नाम के शख्स को आरोपी बनाया गया.
- आरोप था कि प्रदीप बागची ने फर्जी कागजातों के जरिए भारतीय सेना की एक संपत्ति को हड़प लिया है. ईडी ने जब इसकी जांच की तो पता चला कि 4.5 एकड़ की ये जमीन बीएम लक्ष्मण राव की थी, जिन्होंने आजादी के बाद इसे सेना को सौंप दिया था.
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- अप्रैल 2023 में ईडी ने प्रदीप बागची समेत सात आरोपियों को मामले में गिरफ्तार किया. जिन सात को गिरफ्तार किया गया, उनमें से दो- अफसर अली और भानु प्रताप सरकारी कर्मचारी थे. अफसर अली सरकारी अस्पताल में ग्रेड-3 का कर्मचारी है, जबकि भानु प्रताप रेवेन्यू सब-इंस्पेक्टर था. बाकी सभी लैंड माफिया से जुड़े थे और फर्जी दस्तावेजों के जरिए जमीनों की बिक्री में शामिल थे.
- पिछले साल ही 4 मई को ईडी ने आईएएस अफसर छवि रंजन को भी गिरफ्तार कर लिया. छवि रंजन रांची में दो साल तक डिप्टी कमिश्नर थे. उनपर आरोप है कि इस पद पर रहते हुए उन्होंने कथित तौर पर जमीन की अवैध खरीद और बिक्री में मदद की थी.