
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने MSC बैंक घोटाले के मामले में PMLA कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. इस केस में जुलाई 2021 में ED ने एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार से जुड़ी एक चीनी मिल को अटैच की किया था. सूत्रों के मुताबिक, चार्जशीट में अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा का नाम नहीं है. हालांकि, जांच एजेंसियों द्वारा कुछ कंपनियों का नाम इसमें शामिल किया गया है.
ED ने इस मामले में 1 जुलाई 2021 को बताया था, प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) से संबंधित मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जरांदेश्वर सहकारी शुगर की जमीन, बिल्डिंग, प्लांट और मशीनरी समेत कंपनी की 65,75,00,000 रुपये की संपत्तियों को कुर्क किया है. ये शुगर मिल चिमनगांव, कोरेगांव, सतारा में हैं.
ED ने बताया था कि ये संपत्तियां गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट के नाम पर हैं. इन्हें जरंदेश्वर शुगर मिल्स को पट्टे पर दिया गया. स्पार्कलिंग सॉइल प्राइवेट लिमिटेड के पास इस शुगर मिल के सबसे ज्यादा शेयर हैं. जांच में पता चला था कि स्पार्कलिंग सॉइल अजित पवार और उनकी पत्नी सुनेत्रा से संबंधित कंपनी है.
सतारा में जरांदेश्वर चीनी मिल की कुर्की महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला मामले में ED द्वारा की गई पहली कार्रवाई थी.सूत्रों के मुताबिक, चार याचिकाकर्ताओं ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, इसके बाद महाराष्ट्र राज्य सहकारी घोटाला सामने आया.
याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि कई चीनी मिलों ने करोड़ों रुपये के लोन को डिफॉल्ट किया था. इसके बाद बैंकों ने मिलों की कुर्की की और उनकी नीलामी की. नीलामी प्रक्रिया में मिलों को विभिन्न पदाधिकारियों को बेच दिया गया, इनमें कुछ शीर्ष राजनेता शामिल थे. अजीत पवार बैंकों के निदेशकों में से एक थे और उन्होंने नीलामी के दौरान कुछ चीनी मिलें खरीदी थीं.
इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में मुंबई आर्थिक अपराध शाखा को FIR दर्ज करने के आदेश देते हुए जांच के लिए कहा था. ईओडब्ल्यू ने मामले में साल 2020 में मुंबई सत्र अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, जबकि ईडी ने क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ इंटरवेंशन याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ताओं ने क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ याचिका भी दायर की थी.
एजेंसी द्वारा की गई जांच से पता चला था कि गुरु कमोडिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जो एक डमी कंपनी थी, का इस्तेमाल SSK का अधिग्रहण करने के लिए किया गया था और चीनी मिल वास्तव में जरांदेश्वर शुगर मिल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा नियंत्रित और संचालित की जा रही थी.