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बेंगलुरु में जॉर्ज सोरोस से जुड़ी संस्थाओं पर ED का बड़ा एक्शन, OSF के ठिकानों पर छापेमारी

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत की गई और इसमें OSF के साथ-साथ कुछ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की भी जांच की जा रही है. आरोप है कि OSF के जरिए प्राप्त विदेशी निवेश (FDI) का उपयोग कुछ लाभार्थियों द्वारा FEMA के नियमों का उल्लंघन करते हुए किया गया.

जॉर्ज सोरोस (फाइल फोटो) जॉर्ज सोरोस (फाइल फोटो)
मुनीष पांडे
  • बेंगलुरु,
  • 18 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 4:51 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस द्वारा समर्थित संगठन ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (OSF) और इससे जुड़े कुछ अन्य संगठनों के ठिकानों पर छापेमारी की. यह कार्रवाई विदेशी मुद्रा कानून (FEMA) के कथित उल्लंघन के मामले की जांच के तहत की गई है.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह छापेमारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत की गई और इसमें OSF के साथ-साथ कुछ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की भी जांच की जा रही है. आरोप है कि OSF के जरिए प्राप्त विदेशी निवेश (FDI) का उपयोग कुछ लाभार्थियों द्वारा FEMA के नियमों का उल्लंघन करते हुए किया गया.

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पहले भी विवादों में रहे हैं जॉर्ज सोरोस

OSF की ओर से ED की इस कार्रवाई पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. जॉर्ज सोरोस और उनके संगठनों पर पहले भी बीजेपी सरकार द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगाए जा चुके हैं. अडानी-हिंडनबर्ग विवाद के दौरान सोरोस की टिप्पणियों पर भी बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. बता दें कि OSF ने भारत में 1999 में अपना संचालन शुरू किया था.

कौन हैं जॉर्ज सोरोस?

ज्योर्जी श्वार्ट्ज उर्फ जॉर्ज सोरोस 12 अगस्त, 1930 को बुडापेस्ट, हंगरी में जन्मे. नाजी शासन के दौरान वह एक यहूदी परिवार में पले-बढ़े. वह अपनी पहचान छुपाकर होलोकॉस्ट (नाजी जर्मन शासन के दौरान यहूदियों का राज्य-प्रायोजित नरसंहार) से बचे और बाद में इंग्लैंड चले गए. उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया और यहां वह दार्शनिक कार्ल पॉपर और उनके 'ओपन सोसाइटी' के विचारों से गहराई से प्रभावित हुए. 

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'द मैन हू ब्रोक द बैंक ऑफ इंग्लैंड'

सोरोस ने 1970 में, 'सोरोस फंड मैनेजमेंट' की स्थापना की, जो एक हेज फंड (Hedge Fund) था जिसने उन्हें अपार संपत्ति दिलाई. उनका सबसे विवादित फाइनेंशियल मूव 1992 में आया, जब उन्होंने ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ दांव लगाया और एक ही दिन में 1 बिलियन डॉलर से अधिक की कमाई की. इस कदम ने उन्हें 'द मैन हू ब्रोक द बैंक ऑफ इंग्लैंड' (बैंक ऑफ इंग्लैंड को बर्बाद करने वाला व्यक्ति) का उपनाम दिया. जहां अपनी वित्तीय समझ के लिए सोरोस ने वैश्विक ख्याति अर्जित की, वहीं अर्थव्यवस्थाओं को अस्थिर करने के लिए उनकी चालों की अक्सर आलोचना की जाती रही है.

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