
पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुबह-सुबह तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पूर्व नेता शाहजहां शेख के ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी है. ईडी की टीम के साथ केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान भी हैं. ये छापेमारी संदेशखाली में शाहजहां के ईंट भट्ठे के साथ-साथ धमखाली में उसके ठिकाने पर भी की जा रही है.
ईडी के अधिकारी भारी संख्या में केंद्रीय बल के जवानों को अपने साथ लेकर आए हैं. यहां तक कि ईडी अधिकारियों के साथ महिला केंद्रीय बल की टीम भी आई है. छापेमारी के लिए टीमें सुबह करीब 6.30 बजे संदेशखाली पहुंची हैं.
बता दें कि 5 जनवरी को पश्चिम बंगाल राशन घोटाला मामले में अकुंजीपारा स्थित शाहजहां शेख के आवास पर छापेमारी करने पहुंचे ED अधिकारियों पर करीब 200 स्थानीय लोगों ने हमला किया था. इस झड़प के दौरान कई अधिकारी घायल हो गए थे.
हमले के बाद फरार हो गया था शाहजहां
बता दें कि ईडी ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल के राशन वितरण घोटाले में करीब 10 हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है. इस मामले में ईडी ने सबसे पहले बंगाल के पूर्व मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक को गिरफ्तार किया था. बाद में टीएमसी नेता शाहजहां शेख और बनगांव नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन शंकर आद्या की भी संलिप्तता सामने आई थी. इसी सिलसिले में 5 जनवरी को ईडी की टीम जब शाहजहां शेख के आवास पर छापा मारने पहुंची तो वहां कुछ लोगों ने ईडी अधिकारियों पर हमला कर दिया था. हमले के बाद शाहजहां शेख फरार हो गया था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया. फिलहाल, वह सीबीआई की हिरासत में है.
'ज्योतिप्रिय मलिक का करीबी है आरोपी'
दरअसल, 5 जनवरी के हमले के बाद ईडी की टीम ने टीएमसी के पूर्व बनगांव नगरपालिका अध्यक्ष शंकर आद्या को गिरफ्तार किया था. आद्या और शाहजहां को पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का करीबी माना जाता है. आद्या को भी राशन घोटाले में आरोपी बनाया गया है. इससे पहले केंद्रीय एजेंसी ने आद्या और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी संपत्तियों की जांच की थी. उन्हें बोनगांव के सिमुलटोला में आवास से अरेस्ट किया गया था.
क्या है राशन घोटाला?
ED ने खुलासा किया था कि पश्चिम बंगाल में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) के तहत बांटे जाने वाले राशन का करीब 30 फीसद राशन बेच दिया गया. ED के मुताबिक, राशन को बेचने से जो पैसा आया, उसे मिल के मालिकों और PDS डिस्ट्रीब्यूटर्स के बीच बांट दिया गया. आरोप है कि ये सारा खेल, कुछ सहकारी समितियों की मिली भगत से हुआ. इसके लिए चावल की मिलों के मालिकों ने किसानों के फर्जी खाते खोले. और उनके अनाज के बदले उन्हें दिया जाने वाला तय MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) का पैसा अपनी जेबों में भर लिया. जबकि सरकारी एजेंसियां, अनाज को सीधे किसानों से खरीदने वाली थीं.