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महाराष्ट में अटकलों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा. राज्य में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली शिवसेना-बीजेपी की सरकार चल रही है. लेकिन एनसीपी नेता अजीत पवार और बीजेपी के साथ आने की ख़बरों ने राज्य में राजनीतिक घटनाक्रम तेज़ कर रखा है. आमतौर पर शांत रहने वाली और एक समझ के साथ चल रही शिवसेना-बीजेपी गठबंधन से कल एक चेतावनी की आवज़ आई. शिव सेना (शिंदे गुट) के नेता और प्रवक्ता संजय शिरसाट ने कहा कि अगर ऐसा होता है, यानी एनसीपी साथ आती है तो उनकी पार्टी महाराष्ट्र में सरकार का हिस्सा नहीं होगी.
दरअसल, ऐसी चर्चाएं हैं कि अजित कुछ विधायकों के साथ बीजेपी से हाथ मिला सकते हैं. हालांकि, अजित ने इन अटकलों को खारिज किया है. शिरसाट ने भी मंगलवार को कहा था कि उन्हें लगता है कि एनसीपी; बीजेपी से हाथ नहीं मिलाएगी. एनसीपी तो धोखा देने वाली पार्टी है. सवाल है अगर सबकुछ ऑन द ट्रैक है तो शिंदे गुट के नेता को पब्लिक में ये बयान क्यों देना पड़ रहा है कि एनसीपी के साथ आने पर वे सरकार में शामिल नहीं होंगे, क्या एकनाथ शिंदे की कुर्सी पर कुछ ख़तरा है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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सोमवार की रात को अचानक ये ख़बर आई की मुकुल रॉय लापता हैं. मुकुल रॉय का बड़ा राजनीतिक क़द एक वक़्त तक रहा है. टीएमसी की ओर से यूपीए की सरकार में वे रेल मंत्री रह चुके हैं. और तृणमूल कांग्रेस के फाउंडिंग मेम्बर्स यानी जो संस्थापक सदस्य थे, उनमें से एक हैं. सो, उनके लापता होने की सूचना से हड़कंप मचना था, मचा भी. कल एक स्पष्टता आई की वे सही सलामत दिल्ली में हैं लेकिन उनके एक दूसरे दावे ने सबको चौंका दिया. रॉय का कहना था कि वो अभी भी बीजेपी से विधायक हैं. और टीएमसी छोड़ने का, बीजेपी में नए सिरे से जाने का सवाल ही नहीं उठता. जबकि हक़ीक़त ये है कि वे राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद वो टीएमसी जॉइन कर चुके थे.
इधर मुकुल रॉय के परिवार ने ने कहा है कि उनकी मनोस्थिति और स्वास्थ्य ठीक नहीं है. वहीं, प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि हो सकता है कि उन्हें धमकाया गया हो. साथ ही, उन्होंने ऐसा सुना है कि मुकुल रॉय को अगवा कर लिया गया है. मुकुल रॉय का अभी पोलिटिकल अफलियेशन है क्या, उन्होंने जब तृणमूल कांग्रेस जॉइन कर लिया था तो वे बीजेपी में कैसे हैं, क्या टीएमसी फिर एक बार आर पार के मूड में आ गई है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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पाकिस्तान, बांग्लादेश में हम अल्पसंख्यकों की स्थिति से ख़ासकर हिन्दू परिवारों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार से पूरी तरह वाकिफ़ हैं. लेकिन पश्चिम के देश ख़ासकर ब्रिटेन जैसे मुल्क इस मामले में बहुत हद तक न सिर्फ़ सुरक्षित बल्कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों के साथ खड़े होने वाले समझे जाते हैं. भेदभाव की बातें वो भी मज़हब के नाम पर कम रिपोर्ट होती हैं. लेकिन कल आई एक रिपोर्ट बहुत से लोगों के लिए असहज करने वाली थी. हेनरी जैक्सन सोसाइटी की ओर से की गई इस स्टडी में यह दावा किया गया है कि ब्रिटेन के स्कूलों में हिंदू छात्रों पर धर्म बदलने का दबाव बनाया जा रहा है. रिपोर्ट की मानें तो न सिर्फ़ उनका उत्पीड़न हो रहा है बल्कि अपने जीवन को आसान बनाने के लिए उनसे मजहब बदलने तक को कहा जा रहा है. क्या है ये हेनरी जैक्सन सोसाइटी, किस स्केल पर ब्रिटेन में ये भेदभाव होने का दावा है, ब्रिटिश या भारत सरकार की ओर से कोई संज्ञान लिया गया है इस पर अब तक? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.