
भारतीय मौसम विभाग ने साल 2023 के लिए सामान्य मॉनसूनी बारिश की भविष्यवाणी कर दी है. हालांकि, इस साल अल नीनो बारिश का खेल बिगाड़ सकता है. आईएमडी के मुताबिक, जून से सितंबर के बीच मॉनसून के दौरान अल नीनो के चलते कम बारिश हो सकती है. 90% संभावना है कि अल नीनो के चलते मॉनसून के दौरान सामान्य से कम बारिश होगी.
मॉनसून पर असर डालेगा अल नीनो!
मौसम विभाग के मुताबिक, अल नीनो भारतीय मॉनसून को प्रभावित करेगा और जुलाई के बाद तापमान में वृद्धि करेगा. अल नीनो इस साल भारतीय मॉनसून को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने जा रहा है. ये सिस्टम जुलाई के महीने में सक्रिय होने जा रहा है, जो मॉनसून का दूसरा भाग है. हालांकि, इसके साथ ही एक काउंटर सिस्टम विकसित हो रहा है जिसे इंडियन ओशन डिपोल (IOD) के रूप में जाना जाता है. ये मॉनसून के विकास के लिए अच्छा है, इसलिए दोनों सिस्टम एक दूसरे को बराबर कर सकते हैं इसलिए मॉनसून के सामान्य रहने की संभावना है.
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मॉनसून को कितना प्रभावित करता है अल-नीनो?
मॉनसून पर अल नीनो के असर की बात करें तो 1951 के बाद से जब अल नीनो एक्टिव हुआ तो 60% कम वर्षा होती है, लेकिन 35-40% सामान्य वर्षा भी देखी गई है. इसलिए अल नीनो को मॉनसून को प्रभावित करने वाला एकमात्र कारक नहीं कहा जा सकता. मौसम के पूर्वानुमान के मुताबिक, तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस तक के बढ़ने की संभावना है इसलिए भारत में अल नीनो की वजह से जुलाई के बाद के महीने गर्म हो सकते हैं.
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क्या होता है अल नीनो?
अल नीनो एक मौसम संबंधी घटना है जो तब होती है जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है. ये गर्मी वायुमंडलीय पैटर्न में परिवर्तन का कारण बनती है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप में मॉनसून कमजोर हो जाता है. इससे अल नीनो वाले सालों के दौरान भारतीय मानसून कमजोर और कम विश्वसनीय हो जाता है. अल नीनो और भारतीय मानसूनी बारिश के बीच संबंध महत्वपूर्ण है, लेकिन कभी-कभी भारत में अल नीनो वर्षों के दौरान सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश भी देखी गई है.
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पिछले सात दशकों में अल नीनो मौसम का पैटर्न 15 बार हुआ, भारत में छह बार सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा हुई. हालांकि, पिछले चार अल नीनो वर्षों में एक विपरीत प्रवृत्ति सामने आई है, जिसमें भारत लगातार सूखे की स्थिति का सामना कर रहा है और बारिश लंबी अवधि के औसत के 90% से कम हो रही है. बता दें कि अल नीनो घटनाओं को सामान्य से बढ़ते तापमान के आधार पर कमजोर, मध्यम या मजबूत के रूप में वर्गीकृत किया जाता है.