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हेट स्पीच (Hate Speech) मामले में चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. आयोग ने इस हलफनामे में कहा है कि हेट स्पीच को लेकर देश में कोई स्पष्ट कानून नहीं है. आयोग ने कहा कि मौजूदा समय में जो भी कानून है, वे हेट स्पीच के जरिए नफरत फैलाने वाले भड़काऊ भाषण या बयान देने वालों पर कार्रवाई के लिए सक्षम नहीं हैं.
हलफनामे में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में समुचित आदेश देना चाहिए क्योंकि विधि आयोग ने पांच साल पहले यानी मार्च 2017 में सौंपी 267वीं रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया है कि आपराधिक कानून में हेट स्पीच को लेकर जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए.
आयोग ने हलफनामे में कई सिफारिशें की
चुनाव आयोग की 53 पेज की रिपोर्ट में कई और अहम सिफारिशें की गई हैं, जिनसे कारगर कानून बनाकर और एहतियाती कार्यवाही कर इस पर लगाम लगाई जा सकती है. इसमें आईपीसी की धारा 505 में कुछ प्रावधान जोड़ने की भी सिफारिश की गई है ताकि प्रशासन ऐसे लोगों से कानूनी तौर पर निपट सकें.
आयोग ने आईपीसी की धारा 153 में एक और क्लॉज जोड़कर इसे गैर जमानती अपराध बनाने की बात कही है, जिसमें दो साल तक की कैद और पांच हजार रुपये तक जुर्माना या दोनों का प्रावधान हो. इसके साथ ही नफरती भाषण के मुकदमा की प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में ही सुनवाई करने का कानून बनाने की मांग की गई है.
नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग
हलफनामे में कहा गया है कि हिंसा या लोगों की भावनाएं भड़काने, नफरत फैलाने वाले संदेश जानबूझकर प्रसारित करने वालों के खिलाफ 505ए के तहत असंज्ञेय अपराध श्रेणी में जमानती अपराध मानते हुए एक साल तक कैद या पांच हजार रुपए जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया जाए.
बता दें कि आयोग चुनाव के दौरान हेट स्पीच और अफवाहों को रोकने के लिए आईपीसी और जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के तहत राजनीतिक दलों समेत अन्य लोगों को सौहार्द बिगाड़ने से रोकने को लेकर काम करता है. लेकिन देश में हेट स्पीच और अफवाहों को रोकने के लिए कोई विशिष्ट और निर्धारित कानून नहीं है.
मालूम हो कि जुलाई में हेट स्पीच मामले पर हुई सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था.