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चुनाव आयोग ने सरकारी विज्ञापनों में पार्टी के चिह्न के इस्तेमाल पर BJD से मांगा जवाब

चुनाव आयोग ने ओडिशा सरकार और सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) से सार्वजनिक निधि का इस्तेमाल कर जारी किए विज्ञापनों में पार्टी के चिह्न ‘शंख’ के कथित उपयोग को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है. निर्वाचन आयोग ने उनसे दो मार्च की शाम तक जवाब देने को कहा है. 

चुनाव आयोग ने सरकारी विज्ञापनों में पार्टी के चिह्न के इस्तेमाल पर बीजद से मांगा जवाब चुनाव आयोग ने सरकारी विज्ञापनों में पार्टी के चिह्न के इस्तेमाल पर बीजद से मांगा जवाब
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 28 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:46 PM IST

चुनाव आयोग ने ओडिशा सरकार और सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) से सार्वजनिक निधि का इस्तेमाल कर जारी किए विज्ञापनों में पार्टी के चिह्न ‘शंख’ के कथित उपयोग को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है. निर्वाचन आयोग ने उनसे दो मार्च की शाम तक जवाब देने को कहा है. 

ओडिशा में अप्रैल-मई में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव होंगे. अभी आदर्श आचार संहिता लागू नहीं हुई है. निर्वाचन आयोग को शिकायतें मिली थीं कि ओडिशा के प्रमुख अखबारों, टेलीविजन चैनल, राज्य परिवहन की बसों और अलग-अलग शहरों में सड़कों पर लगे होर्डिंग में विभिन्न विज्ञापनों में बीजद के चिह्न ‘शंख’ का प्रदर्शन किया गया और उसका प्रचार किया गया है.

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मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार सभी दलों और उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए एक सख्त नीति अपना रहे हैं. आयोग इन विज्ञापनों को अक्टूबर 2016 में जारी किए उसके निर्देशों के उल्लंघन के रूप में देखता है.

निर्देशों में कहा गया था, 'आयोग का यह मानना है कि किसी भी राजनीतिक दल या उसके चुनाव चिह्न का प्रचार करने के लिए सार्वजनिक निधि/सार्वजनिक स्थल का इस्तेमाल करना स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव की अवधारणा तथा सभी पक्षकारों के लिए समान अवसर मुहैया कराने के सिद्धांत के विरुद्ध होगा.'

आयोग ने निर्देश दिया था कि कोई भी राजनीतिक दल किसी भी सार्वजनिक निधि या सार्वजनिक स्थान या सरकारी मशीनरी का उपयोग ऐसी किसी भी गतिविधि में न तो करेगा और न ही करने की अनुमति देगा, जो पार्टी के लिए विज्ञापन या उसे आवंटित चुनाव चिह्न का प्रचार करना होगा.

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उधर, लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर निर्वाचन आयोग ने एक कदम और बढ़ाया है. निर्वाचन आयोग ने चुनाव से पहले की नियमित कवायद के मुताबिक सभी राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जिन अधिकारियों को 3 साल तैनाती की अवधि पूरी करने के बाद जिले से बाहर स्थानांतरित किया गया है उन्हें उसी संसदीय क्षेत्र के किसी अन्य जिले में तैनात नहीं किया जाए.

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