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चुनाव आयोग ने जारी किया इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा, देखें- राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले डोनर्स के नाम

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया था. अब चुनाव आयोग ने एसबीआई से इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है.

चुनाव आयोग ने एसबीआई से मिली जानकारी को सार्वजनिक कर दिया है चुनाव आयोग ने एसबीआई से मिली जानकारी को सार्वजनिक कर दिया है
पॉलोमी साहा/सृष्टि ओझा/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 7:19 AM IST

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया था. अब चुनाव आयोग ने एसबीआई से मिली इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ आज सुनवाई करेगी. चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा 15 मार्च (आज) को शाम 5 बजे तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर शेयर करने के लिए कहा गया था.

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चुनाव आयोग की ओऱ से अपनी वेबसाइट पर जो डाटा शेयर किया गया है, उसमें 12 अप्रैल 2019 के बाद से 1,000 रुपये से 1 करोड़ रुपये कीमत के चुनावी बॉन्ड (ये बॉन्ड अब समाप्त हो चुके हैं) की खरीद संबंधी जानकारी दी गई है. इसमें उन कंपनियों और व्यक्तियों का ब्योरा दिया गया है, जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. साथ ही उन पार्टियों का भी विवरण है, जिन्हें ये चुनावी चंदा दिया गया था.

इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए एसबीआई ने मंगलवार शाम को उन संस्थाओं का विवरण प्रस्तुत किया था, जिन्होंने अब समाप्त हो चुके चुनावी बांड खरीदे गए थे और राजनीतिक दलों ने उन्हें प्राप्त किया था.

बता दें कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया है. इसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा 11 मार्च को पारित आदेश में संशोधन की मांग की गई है. आवेदन में 11 मार्च के आदेश के ऑपरेटिव हिस्से में कुछ स्पष्टीकरण या संशोधन की मांग की गई है. हालांकि क्या संसोधन है, ये अभी पता नहीं चला है. आवेदन में 12 अप्रैल 2019 और 02 नवंबर 2023 के आदेशों के अनुसार चुनाव आयोग द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत डॉक्यूमेंट्स, डाटा, सूचना को सीलबंद लिफाफे या बक्से में जारी करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है.

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इस पीडीएफ में देखें इलेक्टोरल बॉन्ड किसने खरीदे

 

इस पीडीएफ में देखें किस पार्टी ने इलेक्टोरल बॉन्ड भुनाए

यह भी पढ़ें: 187 इलेक्टोरल बॉन्ड्स का पैसा पीएम रिलीफ फंड में गया, जानिए बॉन्ड बिक्री के लिए क्यों बढ़ाए गए थे 15 दिन?

किसे मिला चुनावी चंदा और किसने दिया?  

इलेक्शन कमीशन की ओऱ से साझा किए गए आंकड़ों से पता चला है कि चुनावी बांड के माध्यम से चुनावी चंदा हासिल करने वालों में भाजपा, कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दल शामिल हैं.चुनावी बांड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान देने वालों की लिस्ट में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, सन फार्मा और अन्य शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये निर्देश

एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी साझा करने की समयसीमा 30 जून तक बढ़ाए जाने की सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी, लेकिन कोर्ट ने एसबीआई की मांग को खारिज कर दिया था और उसे 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग के समक्ष साझा करने को कहा था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को 'असंवैधानिक' करार देते हुए रद्द कर दिया था. साथ ही एसबीआई से 6 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग के पास जमा करने को कहा था. इस पर एसबीआई ने 30 जून तक का समय मांगा था. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एसबीआई की मांग को खारिज करते हुए 12 मार्च तक सारी डिटेल चुनाव आयोग को देने का आदेश दिया है. साथ ही चुनाव आयोग को ये सारी डिटेल 15 मार्च की शाम 5 बजे तक वेबसाइट पर अपलोड करने को कहा है.

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क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड? 

साल 2017 में केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की घोषणा की थी. इसे 29 जनवरी 2018 को कानूनी रूप से लागू किया गया था. सरकार का कहना था कि चुनावी चंदे में 'साफ-सुथरा' धन लाने और 'पारदर्शिता' बढ़ाने के लिए इस स्कीम को लाया गया है. एसबीआई की 29 ब्रांचों से अलग-अलग रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए जाते हैं. ये रकम एक हजार से लेकर एक करोड़ रुपये तक हो सकती है. इसे कोई भी खरीद सकता है और अपनी पसंद की राजनीतिक पार्टी को दे सकता है.

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