
आप दिल्ली में रहते हैं, लेकिन आपका नाम मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की वोटिंग लिस्ट में है और वहां विधानसभा चुनाव होने हैं तो क्या आप दिल्ली में बैठे-बैठे वोट डाल सकते हैं? अभी इसका जवाब नहीं है. लेकिन हो सकता है कि अगले साल तक ऐसा हो जाए.
दरअसल, चुनाव आयोग दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी वोटर्स के लिए रिमोट वोटिंग की संभावनाएं तलाश रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि दूसरे राज्यों में रह रहे प्रवासी वोटर्स चुनावों में वोट डाल नहीं पाते हैं और वोटिंग से वंचित रह जाते हैं.
चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर कहा कि प्रवासी वोटर्स पढ़ाई, रोजगार या किसी दूसरे काम से दूसरे राज्य में चले जाते हैं, उनके लिए वोट डालने के लिए वापस लौटना मुश्किल हो जाता है, इसलिए अब रिमोट वोटिंग की संभावनाएं तलाशने का समय आ गया है.
चुनाव आयोग ने अपने बयान में बताया है कि प्रवासी वोटर्स के मुद्दों पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा. आयोग के मुताबिक, शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत हो सकती है.
ये भी पढ़ें-- जल्द चुना जाएगा देश का नया राष्ट्रपति, जानिए कैसे होता है ये चुनाव-कौन दे सकता है वोट
लेकिन ऐसा क्यों?
2011 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 45 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे थे जो प्रवासी थे. ये वो लोग थे जिन्होंने अलग-अलग कारणों की वजह से अपना घर छोड़ा था और दूसरी जगह रह रहे थे. इन प्रवासियों में आधी से ज्यादा महिलाएं थीं, जो शादी के बाद दूसरे शहर या दूसरे राज्य चली गई थीं. वहीं, ज्यादातर पुरुष ऐसे थे जिन्होंने काम की तलाश में अपना घर छोड़ दिया था.
अभी 2022 चल रहा है और जाहिर है कि ये आंकड़ा और बढ़ा होगा. क्योंकि 2001 में जहां 31.45 करोड़ लोग ऐसे थे जिन्होंने देश के अंदर पलायन किया था, वहीं 2011 में इनकी संख्या 45.36 करोड़ पहुंच गई थी.
2011 में पांच एनजीओ ने प्रवासी वोटर्स पर एक स्टडी की थी, जिसमें सामने आया था कि 60% लोग ऐसे थे जो वोट डालने के लिए अपने घर नहीं लौटे, क्योंकि उनके लिए घर लौटकर आना काफी महंगा था. भारत में दूसरे राज्यों में रह रहे ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो गरीब हैं और ऑटो-रिक्शा चलाकर या छोटे-मोटे काम करके अपना गुजर-बसर करते हैं. ऐसे में उनके लिए वोट डालने के लिए घर लौटना काफी महंगा पड़ जाता है.
ये जहां हैं, वहां वोट क्यों नहीं दे सकते?
भारत का कोई भी नागरिक कहीं का भी वोटर बन सकता है. अगर आप दूसरे राज्य में जाते हैं तो वहां के वोटर बन सकते हैं. इसके लिए आपको नई विधानसभा की वोटर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवाना होगा और पुरानी विधानसभा से नाम कटवाना होगा.
लेकिन यहां दिक्कत ये है कि आपको बिजली बिल, एड्रेस प्रूफ जैसे दस्तावेज लगाने पड़ते हैं. चूंकि ज्यादातर प्रवासियों के पास ऐसे दस्तावेज नहीं होते, इसलिए वो अपना नाम जहां रह रहे हैं, वहां की वोटर लिस्ट में दर्ज नहीं करवा पाते.
इसके अलावा पीपुल्स ऑप रिप्रेजेंटेशन एक्ट, 1951 की धारा 20A कहती है कि वोट देने के लिए व्यक्ति को पोलिंग स्टेशन ही जाना होगा. मतलब ये कि पोलिंग स्टेशन पर जाकर ही आप वोट डाल सकते हैं.
लेकिन अगर आप सर्विस वोटर हैं, तो आपको इससे छूट है. सर्विस वोटर यानी चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी, सेना के जवान या विदेशों में काम करने वाले सरकारी अधिकारी हैं तो आप इलेक्ट्रॉनिकली या पोस्ट के जरिए वोट दे सकते हैं.
कोरोनाकाल में बिहार विधानसभा चुनाव में 80 साल से ऊपर के बुजुर्गों, दिव्यांगों, कोरोना संक्रमितों और क्वारनटीन लोगों को भी ये सुविधा मिली थी. लेकिन प्रवासी मजदूरों और दूसरे राज्यों में रह रहे लोगों को ये सुविधा नहीं है.
ये भी पढ़ें-- चुनाव में 'जमानत जब्त' होने का मतलब क्या होता है, जानिए कितने वोट आने पर बचती है जमानत
फिर प्रवासी कैसे वोट कर सकेंगे?
चुनाव आयोग ने बताया है कि प्रवासी वोटर्स के मसलों के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा. ये कमेटी उन सारे तरीकों पर विचार करेगी, जिससे प्रवासी वोटर्स जहां हैं, वहीं रहकर वोट डाल सकेंगे.
लेकिन इसका मतलब ये नहीं होगा कि आप घर पर बैठे-बैठे या कहीं से भी वोट दे सकेंगे. वोट डालने के लिए आपको पोलिंग स्टेशन जाना ही पड़ सकता है. हालांकि, अभी ये पूरी तरह साफ नहीं है.
इसके अलावा जिस तरह से सर्विस वोटर्स इलेक्ट्रॉनिकली ट्रासमिटेड पोस्टल बैलेट सिस्टम यानी ETPBS के जरिए वोट डालते हैं, वही सिस्टम प्रवासी वोटर्स के लिए भी हो जाए.
ETPBS के जरिए सर्विस वोटर को पहले पोस्टल बैलेट भेज दिया जाता है. उसके बाद सर्विस वोटर इसे डाउनलोड कर अपना वोट करते हैं. इसके बाद इसे ईमेल के जरिए या पोस्ट के जरिए रिटर्निंग ऑफिसर को भेज देते हैं. पोस्टल बैलेट काउंटिंग वाले दिन सुबह 8 बजे से पहले भेजा जाना जरूरी है.
अगर प्रवासी वोटर्स के लिए ऐसी सुविधा हो जाती है, तो इससे दो बड़े फायदे होंगे. पहला तो ये कि ऐसे वोटर्स अपना वोट डाल सकेंगे और दूसरा ये कि इससे वोटिंग प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद भी है.