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CEC राजीव कुमार से कई मुद्दों पर अलग राय रखते थे अरुण गोयल, सुप्रीम कोर्ट ने तलब की थी नियुक्ति की फाइल!

पहले ही आयोग में मुख्य निर्वाचन के साथ दो आयुक्तों में सिर्फ अकेले गोयल ही थे. यानी एक आयुक्त का पद पहले ही खाली था. अब ये देखने वाली बात होगी कि क्या अगले हफ्ते होने वाला चुनावी कार्यक्रम का ऐलान राजीव कुमार अकेले ही करेंगे? 21 नवंबर 2022 को निर्वाचन आयुक्त का पद भार संभालने और आज इस्तीफा मंजूर होने तक साढ़े 15 महीने अपने पद पर रहे

चुनाव आयुक्त के पद से अरुण गोयल का इस्तीफा चुनाव आयुक्त के पद से अरुण गोयल का इस्तीफा
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 1:07 PM IST

ऐच्छिक सेवा निवृत्ति के अगले दिन ही निर्वाचन आयुक्त बनना और अब ऐच्छिक इस्तीफा दे देना... अरुण गोयल का ये कदम भी उनके स्वभाव के पिछले रिकॉर्ड से मेल खाता हुआ ही लगता है. अपने करीब 40 साल की नौकरशाही में गोयल अधिक समय तो कहीं नहीं रहे. शायद एकरसता उनको रास नहीं आती. आम चुनाव के ऐलान से पहले ही निर्वाचन आयोग में सबसे बड़ा उलट फेर हो गया. निर्वाचन आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया है. राष्ट्रपति ने भी इस्तीफा फौरन मंजूर कर लिया है. यानी अब पूरी चुनावी व्यवस्था का जिम्मा मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार पर आ गया है.

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इस्तीफे का कारणों का खुलासा नहीं
इस्तीफे के कारणों का खुलासा अब तक नहीं किया गया है. निर्वाचन आयोग के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक चुनाव पर फिलहाल तो कोई असर होता नहीं दिख रहा. क्योंकि संविधान में चुनाव कराने की जिम्मेदारी मुख्य निर्वाचन आयुक्त पर होती है. बाकी निर्वाचन आयुक्त निर्णय लेने में उनकी मदद करते हैं. अभी तक चुनावी तैयारियों के लिए कई राज्यों के दौरे पर गोयल मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के साथ-साथ रहे. पिछली बार पश्चिम बंगाल के दौरे पर पिछले हफ्ते भी मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार के साथ दिखे.

राष्ट्रपति ने मंजूर किया इस्तीफा
गोयल ने शनिवार को आनन-फानन में इस्तीफा दिया और राष्ट्रपति ने भी लगे हाथ मंजूर भी कर लिया. राजपत्र में इस बात की अधिसूचना भी प्रकाशित हो गई. हालांकि दबी जुबान से ये कानाफूसी तो चलती थी कि कुछ मुद्दों पर सीईसी राजीव कुमार और ईसी अरुण गोयल के विचार अलग हैं, लेकिन बात यहां तक बढ़ जाएगी ये कल्पना से परे था. अरुण गोयल की निर्वाचन आयुक्त के पद नियुक्ति पर उठे विवाद और सवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी फाइल अपने पास मंगाई थी.

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पहले ही आयोग में मुख्य निर्वाचन के साथ दो आयुक्तों में सिर्फ अकेले गोयल ही थे. यानी एक आयुक्त का पद पहले ही खाली था. अब ये देखने वाली बात होगी कि क्या अगले हफ्ते होने वाला चुनावी कार्यक्रम का ऐलान राजीव कुमार अकेले ही करेंगे? 21 नवंबर 2022 को निर्वाचन आयुक्त का पद भार संभालने और आज इस्तीफा मंजूर होने तक साढ़े 15 महीने अपने पद पर रहे.

सुप्रीम कोर्ट ने भी मंगाई थी नियुक्ति की फाइल
सुप्रीम कोर्ट में फाइल तलब होने के अलावा उनके प्रति कोई विवाद या सरकार या फिर मुख्य निर्वाचन आयुक्त के साथ किसी मतभेद की भी कोई सुगबुगाहट नहीं सुनी गई. पिछले चार साल में अशोक लवासा के बाद ये दूसरे निर्वाचन आयुक्त हैं जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया है. हालांकि अशोक लवासा के पद पर रहते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त और साथी निर्वाचन आयुक्त के साथ मतभेदों के किस्से मंजर ए आम पर थे. बाद में अगस्त 2020 में लवासा यहां से इस्तीफा देकर एशियन डेवलपमेंट बैंक के उपाध्यक्ष पद पर नियुक्त हुए.

पिछले महीने भी ये चर्चा थी कि सरकार नए कानून के तहत चयन मंडल के जरिए निर्वाचन आयुक्त को नियुक्ति का पहला प्रयोग कर रही है. लेकिन प्रक्रिया किन्हीं कारणवश आगे नहीं बढ़ पाई. हालांकि अपने लगभग 37 साल लंबे करियर में गोयल ज्यादा समय किसी पद पर में रहे. सात दिसंबर 1962 को पंजाब के पटियाला में जन्मे अरुण गोयल 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. निर्वाचन आयोग में उनका कार्यकाल 2027 तक था. निर्वाचन आयुक्त पद पर नियुक्ति से एक दिन पहले ही गोयल ने स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ली थी. डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स में विशेषज्ञता के साथ पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री गोयल ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से हासिल की.

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एडवेंचर के शौकीन रहे हैं गोयल
सीनियर आईएएस अधिकारी के रूप में भारी उद्योग मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय में सचिव रहे. इससे पूर्व वो डीडीए उपाध्यक्ष और श्रम मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव भी रहे. डीएम के तौर पर गोयल लुधियाना और भटिंडा में कई चुनावों के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी की जिम्मेदारी भी संभाली. रोमांच के शौकीन अरुण गोयल स्काई डाइविंग और स्कूबा डाइविंग, वाटर राफ्टिंग, पैरा ग्लाइडिंग जैसे एडवेंचर करते रहे हैं. फिलहाल तो गोयल का सबसे बड़ा एडवेंचर उनका अचानक आया इस्तीफा ही है.

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