Advertisement

महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी शंखनाद... हरियाणा की हार से सबक लेकर कमबैक करेगी कांग्रेस या NDA को मिलेगा बूस्टर डोज?

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से जहां हर कदम पर शह और मात का खेल चल रहा है, पक्ष और विपक्ष के बीच ठनी रहती है, वहां आज दस्तक देता सवाल है कि क्या हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद NDA अब महाराष्ट्र और झारखंड में बूस्टर डोज ले पाएगा? या फिर हरियाणा में मिली हार से सबक लेकर कांग्रेस साथी दलों के साथ दो राज्यों में कमबैक करेगी? 

 महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (L) और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन. (PTI Photo) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (L) और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन. (PTI Photo)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:47 AM IST

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से जहां हर कदम पर शह और मात का खेल चल रहा है, पक्ष और विपक्ष के बीच ठनी रहती है, वहां आज दस्तक देता सवाल है कि क्या हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद NDA अब महाराष्ट्र और झारखंड में बूस्टर डोज ले पाएगा? या फिर हरियाणा में मिली हार से सबक लेकर कांग्रेस साथी दलों के साथ दोनों राज्यों में कमबैक करेगी? महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान हो गया है. महाराष्ट्र में 20 नवंबर को वोटिंग है. झारखंड में 13 और 20 नवंबर को मतदान होगा. इन दोनों राज्यों के चनाव नतीजे 23 नवंबर को घोषित होंगे.

Advertisement

इस दिन नतीजों का इंतजार उत्तर प्रदेश को भी होगा, क्योंकि यहां विधानसभा की नौ सीटों पर उपचुनावों का भी ऐलान हो चुका है, जिसके लिए 13 नवंबर को मतदान होगा. लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी की रिकॉर्डतोड़ जीत के बाद अब बीजेपी उपचुनाव में हिसाब बराबर करना चाहेगी. निगाहें 23 नवंबर को वायनाड पर भी होंगी, जहां से राहुल गांधी के सीट खाली करने के बाद प्रियंका गांधी उपचुनाव में ताल ठोकेंगी. वायनाड में भी 13 नवंबर को वोटिंग है. उत्तर प्रदेश के अलावा 13 और राज्यों में विधानसभा उपचुनाव होने जा रहे हैं. यानी आधे भारत में एक बार फिर से चुनावी माहौल दिखने जा रहा है.

झारखंड में इंडिया ब्लॉक के सामने हैं ज्यादा चुनौतियां

छोटा नागपुर के पठार पर जंगलों से आच्छादित झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटों के लिए दो चरणों में मतदान होंगे. पहले चरण में 13 नवंबर को 43 सीटों के लिए मतदान होगा, दूसरे चरण में 20 नवंबर को 38 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. राज्य में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 42 सीटों का है. 2019 के विधानसभा चुनाव में 30 सीटें जीतकर जेएमएम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) 25 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही और उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा. कांग्रेस को 16, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को 3, ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को 2, आरजेडी, सीपीआई (एमएल) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को एक-एक सीटें मिली थीं. दो निर्दलीय भी जीते थे. झारखंड में 2019 में एंटी इन्कम्बेंसी बीजेपी सरकार के खिलाफ थी, इस बार हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ होगी.

Advertisement

वहीं पिछली बार 3 सीटें जीतने वाली झाविमो का इस चुनाव में नाम-निशान नदारद होगा. बाबू लाल मरांडी ने अपनी पार्टी झाविमो का बीजेपी में विलय कर दिया था. बाबू लाल मरांडी फिलहाल झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं. कोल्हान रीजन में भी समीकरण बदले हैं, जहां से सीएम रहते रघुवर दास को पिछले चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था. शिबू सोरेन के खासमखास रहे कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन अब बीजेपी में जा चुके हैं. सोरेन परिवार में भी फूट पड़ चुकी है. हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन अब बीजेपी में हैं. लोकसभा चुनावों में भी बीजेपी ने इंडिया ब्लॉक के मुकाबले ज्यादा विधानसभा सीटों पर लीड हासिल की थी. उसे 8 सीटें मिली थीं, जबकि झामुमो को 3, कांग्रेस को 2 और बीजेपी की सहयोगी आजसू को 1 सीट पर जीत हासिल हुई थी. इस लिहाज से इंडिया ब्लॉक के लिए इस बार के चुनाव में बीजेपी के मुकाबले ज्यादा चुनौतियां होंगी.
 

लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में एमवीए पड़ा था भारी

पांच महीने पहले आए लोकसभा चुनावों के नतीजों को महाराष्ट्र में विधानसभा सीटों के आधार पर बांटकर देखें तो महाविकास अघाड़ी (इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों का का राज्यस्तर पर गठबंधन) 153 सीट पर आगे रही, जबकि महायुति (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल पार्टियों का राज्यस्तर पर गठबंधन) 126 सीटों पर आगे रही. लोकसभा चुनाव के नतीजों को पार्टियों के हिसाब से बांटकर देखें तो महायुति में बीजेपी 79, शिवसेना 40, एनसीपी 6 और आरएसपी 1 विधानसभा में एमवीए से आगे थी.

Advertisement

वहीं कांग्रेस 63, शिवसेना यूबीटी 57, एनसीपी (एसपी) 33 सीटों पर आगे थी. महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है. राज्य में पांच महीने पहले संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी का गठबंधन महायुति से आगे था. अब सवाल ये है कि क्या यही तस्वीर 23 नवंबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी दिखेगी या कहानी पलटेगी? क्योंकि इंडिया ब्लॉक की सियासी किस्मत तो हरियाणा में भी पांच महीने में पलट गई.

हरियाणा में नहीं रिपीट हुआ लोकसभा चुनाव का ट्रेंड

हरियाणा में लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस-आम आदमी पार्टी गठब्ंधन 46 सीटों पर आगे था. लेकिन विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटों के साथ लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की. महाराष्ट्र की जनता 20 नवंबर को वोट देकर अब तय करेगी कि उसका मूड और मिजाज क्या है. इस बार महाराष्ट्र की जनता के सामने बहुत कुछ नया भी होने वाला है. गत पांच वर्षों में महाराष्ट्र ने तीन मुख्यमंत्री और दो बड़ी राजनीतिक बगावत देखी है. पांच साल पहले राज्य में जहां चार मुख्य पार्टियों के बीच चुनावी प्रतिद्वंद्विता देखने को मिलती थी, इस बार यह छह बड़ी पार्टियों के बीच दिखेगी.

महाराष्ट्र का चुनाव ना सिर्फ तीन-तीन दलों के दो गठबंधनों का मुकाबला है बल्कि ये भी तय होना है कि जनता किसे असली शिवसेना और किसे असली एनसीपी मान रही है. महाराष्ट्र का चुनाव पवार परिवार और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों धड़ों (अजित पवार और शरद पवार के गुट वाली एनसीपी) लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है. लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के नाम का एडवांटेज होने के बावजूद अजित पवार चाचा शरद पवार के सामने मजबूती नहीं दिखा पाए. शरद पवार अब महायुति को मात देने की बात कह रहे हैं.

Advertisement

विदर्भ इलाके में कांग्रेस को 29 सीटों पर मिली थी लीड

कांग्रेस लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा मजबूत महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में दिखी, जहां 29 विधानसभाओं में वह आगे रही. पश्चिमी महाराष्ट्र पवार परिवार का मजबूत इलाका माना जाता है. राज्य की 70 विधानसभा सीटें इसी इलाके से आती हैं. लोकसभा चुनावों के दौरान पश्चिमी महाराष्ट्र की 19 विधानसभा सीटों पर शरद पवार की पार्टी आगे रही थी, जबकि उनके मुकाबले अजित पवार की पार्टी केवल दो विधानसभाओं में आगे दिखी. बीजेपी जरूर 17 पर आगे थी. 

उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी, मुंबई में उद्धव सेना रही आगे

उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी मजबूत है. लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा अपने विरोधियों से 20 सीटों पर आगे दिखी. मराठवाड़ा में इंडिया गठबंधन मजबूत दिखा. इस रीजन में लोकसभा चुनावों के दौरान उद्धव ठाकरे की पार्टी ने 15 सीट और कांग्रेस ने 14 विधानसभा सीटों पर लीड हासिल की थी. ठाणे-कोंकण रीजन में 39 असेंबली सीटें आती हैं. यह इलाका मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का है, जहां लोकसभा चुनावों के दौरान उनके नेतृत्व वाली शिवसेना सात सीटों पर आगे दिखी, जबकि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) को 15 सीटों पर लीड मिली.

इसी तरह मुंबई में लोकसभा चुनावों के दौरान उद्धव की पार्टी का दबदबा दिखा. यहां शिवसेना (यूबीटी) 15 विधानसभाओं में आगे रही. क्या जो ट्रेंड लोकसभा चुनावों के दौरान महाराष्ट्र में दिखा था, वही 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजों में भी दिखेगा या फिर हाल-ए-हरियाणा होगा? महाराष्ट्र में जीत हासिल करने के लिए महायुति ने कितना जोर लगा रखा है, इसका प्रमाण लोकसभा चुनावों के बाद पांच महीने के भीतर की गई घोषणाओं से पता चल जाता है.

Advertisement

भारत का निर्वाचन आयोग 15 अक्टूबर को जब महाराष्ट्र चुनाव की तारीखों के लिए शाम 3:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला था, उससे ठीक पहले मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सरकारी कर्मचारियों, बीएमसी वर्कर्स, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए दिवाली बोनस का ऐलान कर दिया. इसके पहले महायुति सरकार लड़की बहिन योजना की घोषणा कर चुकी है, जिसके तहत 21 से 65 वर्ष की पात्र महिलाओं के बैंक खातों में डीबीटी के जरिए 1500 रुपये प्रति महीने  भेजे जाएंगे. कुछ दिन पहले सीएम शिंदे ने महाराष्ट्र के सभी एंट्री पॉइंट्स को टोल फ्री करने की घोषणा की थी. 

उत्तर प्रदेश का उपचुनाव 2027 के लिए सेट करेगा टोन

लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार और संगठन के बीच जिस खींचतान का दावा होता रहा, उस सियासी तनातनी में योगी आदित्यनाथ की सरकार का मोमेंटम 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के नतीजों से ही मजबूत हो सकता है. चुनाव आयोग ने 9 सीटों पर उपचुनाव के लिए मतदान की तारीख 13 नवंबर मुकर्रर की है. नतीजे 23 नवंबर को आएंगे. लेकिन जिस मिल्कीपुर सीट का जिम्मा खुद मुख्यमंत्री योगी ने अपने कंधों पर उठा रखा है, वहीं उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है. इसे विपक्ष ने मुद्दा बनाया और कहा कि बीजेपी डर गई है.

Advertisement

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'जिसने जंग टाली, समझो उसने जंग हारी'. बीजेपी मिल्कीपुर सीट जीतकर लोकसभा चुनावों में अयोध्यो की हार के दर्द को कम करना चाहती है. मिल्कीपुर वह सीट है जहां से 2022 में समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद विधायक बने. बीजेपी के गोरखनाथ बाबा 13 हजार वोट से हारने के बाद नंबर दो पर रहे. अवधेश प्रसाद 2024 में सांसद बन गए, इसलिए मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव की नौबत आई. मिल्कीपुर सीट के ​लिए उपचुनाव की घोषणा नहीं होने के पीछे बीजेपी नेता गोरखनाथ बाबा द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर एक याचिका है.

गोरखनाथ बाबा ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने रिटर्निंग ऑफिसर के पास जो हलफनामा जमा किया था, वह फर्जी है. उन्होंने एडवोकेट राकेश कुमार श्रीवास्तव से नोटरी कराई थी. गोरखनाथ बाबा का आरोप है कि राकेश कुमार श्रीवास्तव की नोटरी 2011 में एक्सपायर हो गई थी. इस कारण अवधेश प्रसाद की नोटरी वैध नहीं मानी जाएगी. हाई कोर्ट ने इस मामले में अवधेश प्रसाद को नोटिस भेजा और मिल्कीपुर उपचुनाव पर स्टे लगा दिया. मामला विचाराधीन है. इसलिए चुनाव आयोग ने यूपी की 9 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी और मिल्कीपुर सीट को छोड़ दिया. गोरखनाथ बाबा ने अपनी याचिका वापस लेने की घोषणा की है. हो सकता है कि आयोग मिल्कीपुर में भी उपचुनाव करा दे. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement