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इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चुनावी चंदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले के बाद अब इस मामले पर सियासत भी खूब हो रही है. लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और बीजेपी के विरोधी उसे इलेक्टोरल बॉन्ड के सवाल पर तरह-तरह से घेर रहे हैं. इस बीच बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में एक दिलचस्प कहानी सामने आई है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर चली लंबी सुनवाई के दौरान सभी राजनीतिक दलों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में कोर्ट ने जानकारी भी मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने निर्णायक फैसले के पहले एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड लेने वालों का पूरा डाटा उपलब्ध कराने को कहा था. एक मौका ऐसा भी आया था जब कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों से इस मामले में जवाब मांगा था.
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साल 2019 में जनता दल यूनाइटेड को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 13 करोड़ रुपए मिले थे. इस बाबत जेडीयू की तरफ से कोर्ट को जानकारी दी गई थी. दिलचस्प बात यह है कि जेडीयू की तरफ से जो जवाब दिया गया उसमें 10 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड देने वाले शख्स के बारे में कोई जानकारी जेडीयू ने साझा नहीं की थी.
किसी अनजान शख्स ने दिया था 10 करोड़
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर जेडीयू ने 2019 में जो जवाब दिया था उसके मुताबिक 10 अप्रैल 2019 को किसी अनजान व्यक्ति ने पार्टी को 10 करोड़ रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड दिया था. जेडीयू के तत्कालीन प्रदेश महासचिव नवीन आर्य की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 3 अप्रैल 2019 को किसी अनजान शख्स ने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आकर एक सीलबंद लिफाफा दे दिया था.
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इस लिफाफे को खोला गया तो उसमें एक-एक करोड़ रुपए के 10 इलेक्टोरल बॉन्ड पाए गए, जिसके बाद जेडीयू ने पटना के एसबीआई मेन ब्रांच में एक खाता खोलकर इन सभी इलेक्टोरल बॉन्ड को कैश करा लिया था. जेडीयू को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी यह कहानी बेहद दिलचस्प है. इस मामले पर पार्टी का कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है.
2019 में जेडीयू को मिले थे 13 करोड़ रुपये
जानकारी के मुताबिक, 2019 में जेडीयू को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल 13 करोड़ रुपए मिले थे. 10 करोड़ रुपए किसी अनजान शख्स से मिले, जबकि एक सीमेंट निर्माता कंपनी से जेडीयू को एक-एक करोड़ रुपए के दो बॉन्ड मिले थे. इसके अलावा एक मोबाइल कंपनी ने भी जेडीयू को एक करोड़ रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड दिया था.