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राजनाथ-खड़गे में 3 बार बात, कॉल बैक का इंतजार और ऐसे बिगड़ गई स्पीकर पद पर बात... छिड़ी शर्तों की पॉलिटिक्स पर जंग!

शुरुआत में ऐसी खबरें थी कि लोकसभा स्पीकर को लेकर एनडीए और विपक्ष के बीच सहमति बन गई है और ओम बिरला एक बार फिर स्पीकर पद संभालेंगे. लेकिन संसद पहुंचने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के बयान से स्पीकर पद को लेकर सियासत गरमा गई.

ओम बिरला और के. सुरेश ओम बिरला और के. सुरेश
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:33 PM IST

18वें लोकसभा के स्पीकर पद को लेकर सियासत गरमा गई है. देश के इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर को लेकर चुनाव होगा. एनडीए की ओर से ओम बिरला जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक की ओर से के. सुरेश ने स्पीकर पद के लिए नामांकन भर दिया है. 

दरअसल विपक्ष डिप्टी स्पीकर के पद पर अड़ गया था. विपक्ष ने पहले ही कहा था कि अगर डिप्टी स्पीकर का पद नहीं मिलता है तो वो भी स्पीकर पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे.

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शुरुआत में खबर थी कि लोकसभा स्पीकर को लेकर एनडीए और विपक्ष के बीच सहमति बन गई है और ओम बिरला एक बार फिर स्पीकर पद संभालेंगे. लेकिन संसद पहुंचने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के बयान से सियासत गरमा गई.

राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष के पास राजनाथ सिंह का कॉल आया था. उन्होंने कहा था कि स्पीकर पद पर विपक्ष को समर्थन करना चाहिए और एक राय बनानी चाहिए. हमने कहा कि हम स्पीकर का समर्थन करेंगे, लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए. राजनाथ सिंह ने कहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कॉल बैक करेंगे. लेकिन वो कॉल अभी तक नहीं आया. मोदी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं. अगर डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलेगा, तब ही हम समर्थन करेंगे.

राहुल के इस बयान के बाद स्पीकर पद को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच असहमति साफ नजर आई. इस बीच ओम बिरला ने स्पीकर पद के लिए नामांकन कर दिया. उधर, इंडिया ब्लॉक ने के. सुरेश को स्पीकर पद के लिए उम्मीदवार बनाया और उन्होंने भी नामांकन किया. 

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इससे पहले एनडीए की तरफ से स्पीकर चुनाव के लिए आम सहमति बनाने की कोशिश की गई और बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने इंडिया ब्लॉक के नेताओं से बातचीत की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने अलग-अलग नेताओं से मुलाकात की और फोन पर बातचीत की. सूत्रों का कहना था कि स्पीकर के नाम पर विपक्षी दलों के साथ सहमति बनती तो डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष दिया जा सकता है. हालांकि, विपक्ष का कहना है कि डिप्टी स्पीकर पद नहीं दिया जा रहा था, इसलिए बात बिगड़ गई.

स्पीकर पद को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच ठनी

इस पूरे घटनाक्रम पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि देश भविष्य की ओर देख रहा है, आप अपनी कमियां छिपाने के लिए अतीत को ही कुरेदते रहते हैं. बीते 10 सालों में 140 करोड़ भारतीयों को आपने जो अघोषित आपातकाल का आभास करवाया, उसने लोकतंत्र और संविधान को गहरा आघात पहुंचाया है. पार्टियों को तोड़ना, चोर दरवाजे से चुनी हुई सरकारों को गिरना, 95 फीसदी विपक्षी नेताओं पर ई़़डी, सीबीआई, आईटी का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्रियों तक को जेल में डालना और चुनाव के पहले सत्ता का इस्तेमाल करके लेवल प्लेइंग फील्ड को बिगाड़ना- क्या ये अघोषित आपातकाल नहीं है? मोदी जी सहमति और सहयोग की बात करते हैं पर उनके एक्शन इसके विपरीत हैं.

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खड़गे ने कहा कि जब 146 विपक्षी सांसदों को संसद से ससपेंड कर देश के नागरिकों पर आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने के लिए तीन कानून- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय न्याय संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 पारित किये गए तब ये सहमति शब्द कहां था? जब संसद के प्रांगण से छत्रपति शिवाजी महाराज जी, महात्मा गांधी जी और बाबासाहेब डॉ अंबेडकर जी जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाओं को बिना विपक्ष से पूछे एक कोने में स्थानांतरित कर दिया गया, तब ये सहमति शब्द कहां था? जब हमारे 15 करोड़ किसान परिवारों पर तीन काले कानून थोपे गए और उनको अपने ही देश में महीनों सड़कों पर बैठने पर विवश किया गया, उनपर अत्याचार किया गया, तब ये  सहमति शब्द कहां था? 

उन्होंने कहा कि नोटबंदी हो, आनन-फ़ानन में लागू किया लॉकडाउन हो, या इलेक्टोरल बॉन्ड का कानून हो, ऐसे सैकड़ों उदाहरण है, जिस पर मोदी सरकार ने सहमति या सहयोग का प्रयोग बिलकुल नहीं किया है. विपक्ष को क्या, अपने ही नेताओं को अंधेरे में रखा! लोकतंत्र और संविधान की दुर्दशा भाजपा ने की है, कांग्रेस ने हमेशा लोकतंत्र और संविधान का साथ दिया हैऔर हम देते रहेंगे.

इस बीच केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे सीनियर नेता हैं. कल से आज तक उनसे तीन बार बात हुई है.

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स्पीकर किसी पार्टी का नहीं सदन का होता है

वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पहले उपाध्यक्ष कौन होगा ये तय करें फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन मिलेगा, इस प्रकार की राजनीति की हम निंदा करते हैं. स्पीकर किसी सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्ष का नहीं होता है वो पूरे सदन का होता है, वैसे ही उपाध्यक्ष भी किसी पार्टी या दल का नहीं होता है पूरे सदन का होता है. किसी विशिष्ट पक्ष का ही उपाध्यक्ष हो ये लोकसभा की किसी परंपरा में नहीं है.

केंद्रीय मंत्री लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि ये किसी पक्ष का चुनाव नहीं है. स्पीकर का पद पूरे सदन का होता है. विपक्ष शर्त लगा रहा है. हम डिप्टी स्पीकर पद के लिए विपक्ष के साथ चर्चा के लिए तैयार थे. लेकिन विपक्ष अपनी शर्त पर लगी रही. लोकतंत्र में शर्त नहीं रखी जाती.

ऐसे में अब बुधवार सुबह 11 बजे लोकसभा स्पीकर को लेकर चुनाव होगा. उसके बाद नतीजों का ऐलान किया जाएगा. अब तक लोकसभा स्पीकर को लेकर आम सहमति बनती रही है और विपक्षी दल से जुड़ा नेता अमूमन डिप्टी स्पीकर चुना जाता रहा है. 

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