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इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में पर्दादारी बहुत ज़्यादा है?

इलेक्टोल बॉन्ड स्कीम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई कहां तक पहुंची, भारत-बांग्लादेश के बीच पिछले कुछ सालों में रिश्ते किस तरह बदले हैं, मराठा आरक्षण आंदोलन से जुड़े अपडेट्स, सुनिए 'दिन भर' में.

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शुभम तिवारी
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  • 01 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 8:37 PM IST

सड़कों पर हाथ में मराठा झंडे लिए खड़े लोग, आग के हवाले दफ़्तर और अपनी जान देते पर उतारू लोग. ये नज़ारा है पिछले दो दिनों से उग्र हो चुके मराठा आंदोलन का. शांति और अनशन से शुरु हुआ आंदोलन इतनी जल्दी हिंसक हो गया कि बहुत से इलाकों में कर्फ्यू लगाने की नौबत आ गई. मराठा आरक्षण की मांग करते अब तक 9 लोगों के आत्महत्या की ख़बरें हैं. 19 से 31 अक्टूबर तक यानी 13 दिनों में 25 लोग सुसाइड हो चुके हैं. हिंसा थमे, स्थिरता क़ायम हो, उस समझ के साथ मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने आज सर्वदलीय बैठक की. बैठक में शरद पवार समेत 32 पार्टियों के नेता शामिल हुए. बैठक खत्म होने के बाद शिंदे सहयाद्री भवन से बाहर आए और मीडिया से करीब 2 मिनट बात की. कहा, सरकार पर भरोसा रखें. शिंदे ने बताया कि सभी दलों के नेता इस बात पर सहमत हैं कि मराठा समुदाय को आरक्षण मिलना चाहिए. इस बैठक में हुई चर्चा को विस्तार से सुनिए 'दिन भर' में. 

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मुम्बई से लौट आते हैं अब दिल्ली. यहां सुप्रीम कोर्ट में भारतीय लोकतंत्र, राजनीति और चुनावी चंदे से जुड़ी एक बेहद अहम सुनवाई चल रही है. चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना,  बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ये ज़िरह सुन रही है कि इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम में कानूनन दुरुस्त है या नहीं? 2 जनवरी, 2018 को इस योजना को नोटिफाई करते हुए सरकार ने इसे पारदर्शी बताया था लेकिन इसकी आलोचना करने वालों का कहना है कि यह स्कीम इनडायरेक्ट ब्राईबरी यानी अप्रत्यक्ष तौर पर रिश्वत की तरह है. जहां सिर्फ़ सत्तारूढ़ पार्टी को यह मालूम होता है कि किसको कितना चंदा मिला. ना तो जनता, ना ही विपक्ष जान पाता है कि ये पैसा कौन दे रहा है. चार याचिकाएं कोर्ट में सुनी जा रही हैं. कांग्रेस नेता जया ठाकुर, कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सिस्ट और एनजीओ एसोशिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने दो दिन की सुनवाई में इस स्कीम के ख़िलाफ़ किस तरह के आर्ग्युमेंट कोर्ट में दिए,सुनिए 'दिन भर' में. 

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बात अब भारत, बांग्लादेश की. पर आज दोनों देशों का ज़िक्र क्रिकेट वर्ल्ड कप के कारण नहीं. बल्कि दो देश के तौर पर… इनकी आपसी रिश्तों में आई गर्मजोशी की वजह से. आज नई दिल्ली और ढाका के लिए ऐतिहासिक दिन था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बांग्लादेशी पीएम शेख हसीना ने आज तीन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स का वर्चुअली उद्घाटन किया. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-बांग्लादेश ने पिछले नौ वर्षों में साथ मिलकर जितना काम किया है, वह कई दशकों में नहीं हुआ. जो आज शुरुआत हुई, इसमें भारत-बांग्लादेश को जोड़ने वाली दो रेल परियोजनाएं ख़ासकर अखौराब-अगरतला क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक और मोंगला पोर्ट रेल लाइन को द्विपक्षीय संबन्धों के लिहाज़ से काफ़ी अहम माना जा रहा है. क्योंकि इससे कोलकाता से त्रिपुरा, दक्षिणी असम और मिज़ोरम जाना अब आसान हो जाएगा. नई रेल लाइन की शुरुआत से आवाजाही और दोनों देशों के व्यपार पर क्या असर होगा, भारत के इसमें हित क्या हैं, सुनिए 'दिन भर' में.  

आख़िर में अब चले चलिए चंडीगढ़. पंजाब की राजनीति आज यहां अलग ही मक़ाम पर नज़र आई. लोग कौतूहल के साथ ये देखते रहे कि जो अक़्सर टीवी न्यूज़ पर वे देखते हैं, क्या उन्हें सामने से देखने को मिलेगा. मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता भगवंत मान ने 'मैं पंजाब बोलदा' नाम से एक ओपन डिबेट का आयोजन किया था. जिसका ऐलान उन्होंने 25 दिन पहले ही कर दिया था. मान साहब का चैलेंज था कि विपक्षी नेताओं के पास अगर उनके ख़िलाफ़ है तो वे आएं और खुली बहस में उनका मुकाबला करें. लेकिन विपक्ष की ओर से कोई नेता बहस-मुबाहिसा के लिए नहीं पहुंचा.मान साहब का कहना था कि वह पंजाब की लूट, भाई-भतीजावाद, 2015 बेअदबी मामला, नदी जल-बंटवारा और कई मुद्दों पर डिबेट चाहते थे. विपक्षी नेताओं ने क्यों इस कार्यक्रम में न आना चुना, साथ ही पहले कहा जा रहा था कि आम जनता भी इसमें शामिल होगी लेकिन वह भी फैसला पलट गया? कुल मिलाकर क्या गहमागहमी आज चंडीगढ़ में रही, सुनिए 'दिन भर' में. 

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