
मैसुरु के ऐतिहासिक दशहरा उत्सव का हिस्सा रहे 38 वर्षीय हाथी 'अश्वत्थामा' की मंगलवार को कर्नाटक के नागरहोल टाइगर रिजर्व के पास बिजली का झटका लगने से मौत हो गई. सूत्रों के अनुसार, हाथी अश्वत्थामा भोजन की तलाश में जंगल की ओर जा रहा था, तभी टाइगर रिजर्व में स्थित भीमनकट्टे एलिफेंट कैंप के पास एक सोलर फेंसिंग से जुड़े बिजली के तार के संपर्क में आ गया. बिजली का झटका लगने से उसकी मौत हो गई.
अश्वत्थामा 2021 और 2022 में मैसुरु दशहरा उत्सव का हिस्सा था. उसने 2021 में प्रसिद्ध 'जंबू सावरी' (कर्नाटक में दशहरा के मौके पर निकलने वाला भव्य जुलूस, जिसमें हाथियों को सजा-धजाकर उतारा जाता है) में भाग लिया था. अश्वत्थामा इस भव्य समारोह का हिस्सा बनने वाले सबसे कम उम्र के हाथियों में से एक था. इस हाथी को 2017 में हासन जिले के सकलेशपुर तालुक में पकड़ा गया था. तब वह एक जंगली हाथी हुआ करता था, जो बहुत खूंखार था और आसपास के इलाकों में उत्पात मचाता था.
किसानों ने प्रशासन से शिकायत की थी कि एक जंगली हाथी सकलेशपुर और आसपास के इलाकों की फसल बर्बाद कर रहा है. खड़ी फसलों को नष्ट कर रहा है. इस शिकायत के बाद वन विभाग ने अश्वत्थामा को पकड़ा था. उसे चार साल तक ऐलिफेंट कैम्प में रखा गया और यहीं पर नामकरण भी हुआ. यहां रहते हुए धीरे-धीरे वह शांत होता चला गया और पालतू हाथी बन गया. अश्वत्थामा की लंबाई 2.85 मीटर (9.3 फीट) और ऊंचाई 3.46 मीटर (11.3 फीट) थी. उसका वजन 3,630 किलोग्राम था.
वन विभाग ने एक बयान में कहा कि घटना के संबंध में हाथी 'अश्वत्थामा' का नमूना एकत्र कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी. कर्नाटक के वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने हाथी अश्वत्थामा की मौत पर शोक व्यक्त किया और नागरहोल टाइगर रिजर्व में हुई इस घटना के संबंध में वन अधिकारियों को उचित जांच करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'मैसुरु दशहरा उत्सव में भाग लेने वाले और लाखों लोगों की प्रशंसा जीतने वाले हाथी अश्वत्थामा की मृत्यु दुखद है. अपने शांत स्वभाव और गंभीरता के कारण वह जल्द ही मां चामुंडेश्वरी की सेवा करते हुए विश्व प्रसिद्ध दशहरा का हिस्सा बन गया. अश्वत्थामा की याद हमेशा हमारे दिलों में रहेगी'. मैसुरु दशहरा उत्सव और जंबू सावरी के आयोजकों का मानना है कि वह भविष्य में देवी चामुंडेश्वरी की मूर्ति के साथ 750 किलो वजनी स्वर्ण हौदा ले जाने के लिए एक अच्छा विकल्प था.