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यूक्रेन पर चल रहे रूसी हमले के बीच भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने बताया कि व्लादिमिर पुतिन के साथ बातचीत के दरवाजे अभी भी खुले हैं लेकिन यह दो देशों के बीच युद्ध नहीं है. रूस की आक्रामकता अकारण है और यूरोप इसके खिलाफ एकजुट होगा. 'इंडिया टुडे' से बातचीत में इमैनुएल लेनिन ने कहा कि हम एक खतरनाक दुनिया में रह रहे हैं. सुरक्षा के मामले में हमें स्वायत्त होने की जरूरत है. यह ज्यादातर देशों पर लागू होता है. हमें ऊर्जा के मामले में रूस पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी. मैं यह नहीं कहूंगा कि भारत को रूस से सैन्य उपकरणों के मामले में ऐसा करना चाहिए लेकिन इसे रणनीतिक मामलों में कुछ कम करना चाहिए.
यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की योजना नहीं
इमैनुएल लेनिन ने कहा कि यूक्रेन की धरती पर नाटो द्वारा कभी कोई सैनिक नहीं भेजा गया. यूक्रेन को नाटो में शामिल करने की कभी कोई योजना नहीं रही है. एक देश द्वारा किया गया आक्रमण है जो कि स्पष्ट रूप से लोकतंत्र नहीं है और ऐसा लगता है कि इसका लक्ष्य क्षेत्रीय लाभ से उलट सत्ता परिवर्तन भी है. नाटो एक गठबंधन है. नाटो अपने सदस्यों की रक्षा करता है. यूक्रेन सदस्य नहीं है, इसलिए हमारे सभी देश उपकरण भेजकर यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं.
यूएन में भारत की अनुपस्थिति पर भी बोले
संयुक्त राष्ट्र में भारत के अनुपस्थित रहने पर उन्होंने कहा कि भारत एक संप्रभु देश है. भारत अपने हित के हिसाब से फैसले लेता है. किसी को यह नहीं कहना चाहिए कि भारत को क्या करना चाहिए. जैसा कि संकट गहरा रहा है, भारत के समर्थन का स्वागत होगा क्योंकि भारत की आवाज मायने रखती है.
भारतीयों को बंधक बनाने की सूचना गलत
वहीं उन्होंने यूक्रेन द्वारा छात्रों को बंधक बनाए जाने वाले रूस के आरोप पर कहा कि मुझे लगता है कि हमें गलत सूचनाओं से बहुत सावधान रहना चाहिए. उन्होंने इस तरह आरोपों का खंडन किया.
लोकतंत्र की कीमत चुकाने को यूरोप तैयार
रूस पर प्रतिबंधों के कारण यूरोप पर पड़ने वाले प्रभाव पर उन्होंने कहा कि कई क्षेत्रों पर जोरदार असर पड़ा है. लोकतंत्र की एक कीमत होती है. स्वतंत्रता की एक कीमत होती है और हम यूरोपीय इसे चुकाने के लिए तैयार हैं.