
जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग केस में जेल में बंद बारामूला के निर्दलीय सांसद अब्दुल राशिद शेख उर्फ इंजीनियर राशिद को संसद सत्र में भाग लेने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने कस्टडी पैरोल दे दी है. हालांकि, उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए जेल से लेकर संसद तक परिवहन और सुरक्षा व्यवस्था के लिए प्रतिदिन 1.45 लाख रुपये अपनी जेब से खर्च करने पड़ेंगे. इंजीनियर राशिद ने इससे राहत के लिए एक बार फिर दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है.
एनआईए ने 2017 के टेरर-फंडिंग केस में इंजीनियर राशिद को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत 2019 में गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. दो बार के विधायक ने 2024 का लोकसभा चुनाव जेल से लड़ा और उत्तरी कश्मीर की बारामूला सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की. उन्होंने नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद गनी लोन को हराया था.
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इतना खर्च वहन करने की मेरी क्षमता नहीं: राशिद
दिल्ली हाई कोर्ट में बुधवार को दायर याचिका में इंजीनियर राशिद ने संसद में अदालत द्वारा स्वीकृत अपनी उपस्थिति की शर्त के रूप में लगाए गए वित्तीय बोझ को चुनौती दी है. राशिद के वकील ने तर्क दिया कि ट्रांसपोर्टेशन और सिक्योरिटी लागत बहुत अधिक है और उनकी वित्तीय क्षमता से परे है. याचिका में कहा गया है, 'राशिद अपने संवैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने संसद सत्र में भाग लेने जा रहे हैं और इसके लिए उन पर इतना बड़ा वित्तीय बोझ नहीं डाला जाना चाहिए.'
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने इंजीनियर राशिद को 4 अप्रैल तक हिरासत में रहते हुए लोकसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति दी थी. अदालत ने एनआईए की इस चिंता को खारिज कर दिया था कि वह देश छोड़कर भाग सकते हैं. हालांकि, हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि बारामूला सांसद को जेल से संसद तक अपने परिवहन और सुरक्षा पर आने वाले खर्च का भुगतान खुद करना होगा.
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संसद अटेंड करने के लिए राशिद को कस्टडी पैरोल
राशिद को कस्टडी पैरोल देने वाला आदेश अदालत की वेबसाइट पर 26 मार्च को अपलोड किया गया. बाद में उसी शाम, तिहाड़ जेल अधिकारियों ने ईमेल के माध्यम से बारामूला सांसद की कानूनी टीम को सूचित किया कि उन्हें संसद सत्र अटेंड करने के लिए ट्रांसपोर्टेशन और सिक्योरिटी पर प्रतिदिन 1.45 लाख रुपये का भुगतान करना होगा, जो छह दिनों के लिए 8.74 लाख रुपये होते हैं.
यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष है, जिस पर आज को सुनवाई होनी है. इंजीनियर राशिद ने 10 मार्च के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए कस्टडी पैरोल या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट में, उन्होंने अंतरिम जमानत के लिए अपना अनुरोध वापस ले लिया और इसके बजाय हिरासत में रहते हुए संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी थी, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया.