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पूर्वी नागालैंड की मांग को लेकर ENPO और फ्रंटल संगठनों ने बुलाया बजारा बंद

ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ENPO) अपने आदिवासी निकायों और फ्रंटल संगठनों के साथ मिलकर पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में अलग राज्य की मांग को लेकर शुक्रवार को बुलाए बजारा बंद को 12 घंटे के लिए लागू कर दिया. संगठनों ने सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा करते हुए कहा कि यह किसी भी राजनीतिक दल को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की अनुमति नहीं देंगे

पूर्वी नागालैंड की मांग को लेकर ENPO और फ्रंटल संगठनों ने बुलाया बजारा बंद. पूर्वी नागालैंड की मांग को लेकर ENPO और फ्रंटल संगठनों ने बुलाया बजारा बंद.
aajtak.in
  • कोहिमा,
  • 09 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 12:02 AM IST

पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में अलग राज्य की मांग को लेकर शुक्रवार को 12 घंटे का बंद लागू किया गया है. ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ENPO) अपने आदिवासी निकायों और फ्रंटल संगठनों के साथ मिलकर छह जिलों में बजारा बंद का आह्वान किया था.

मोन, तुएनसांग, लोंगलेंग, किफिरे, नोक्लाक और शामतोर जिलों बजारा, सरकारी संस्थान और कार्यालय पूरी तरह से बंद रहे साथ ही सड़कों पर वाहन पर आवाजाही कम दिखी.

ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ENPO) अपने आदिवासी निकायों और फ्रंटल संगठनों के साथ मिलकर राज्य के पूर्वी हिस्से के छह जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाने की मांग कर रहा है.

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इन जिलों में रहती है जनजातियां

संगठनों ने मंगलवार को सार्वजनिक आपातकाल की घोषणा करते हुए कहा कि यह किसी भी राजनीतिक दल को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने की अनुमति नहीं देंगे. इन जिलों में मुख्य रूप से चांग, ​​खियामनियुंगन, कोन्याक, फोम, संगतम, तिखिर और यिमखिउंग जनजातियां निवास करती हैं.

सफल रहा बंद: ईएनपीओ

ईएनपीओ के उपाध्यक्ष डब्ल्यू बेंदांग चांग ने कहा कि बंद सफल रहा और यह शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया. ईएनपीओ ने शनिवार को भी बंद जारी रखने का फैसला किया है. हालांकि, वाहनों की आवाजाही और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को खोलने पर प्रतिबंध हटा दिया गया है.

ईएनपीओ ने कहा कि किसी भी निजी वाहन को सरकारी ड्यूटी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी और सरकारी कार्यालयों के कामकाज को भी गंभीरता से लिया जाएगा.

साल 2010 से कर रहे हैं अलग राज्य की मांग

बता दें कि ईएनपीओ साल 2010 से एक अलग राज्य की मांग कर रहा है. उनका दावा है कि छह जिलों को वर्षों से सभी पहलुओं में उपेक्षित किया गया है.

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