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EWS Reservation Verdict: EWS आरक्षण पर 'सुप्रीम' मुहर, 5 में से तीन जजों ने समर्थन में सुनाया फैसला, मोदी सरकार की बड़ी जीत

केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए EWS आरक्षण को बरकरार रखा है. 5 जजों की बेंच में 3 जजों ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को सही माना.

सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को बरकरार रखा, 5 जजों की बेंच ने 3-2 से सुनाया फैसला सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण को बरकरार रखा, 5 जजों की बेंच ने 3-2 से सुनाया फैसला
नलिनी शर्मा/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:34 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है. 5 जजों की बेंच में से 3 जजों ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 को सही माना है. सुप्रीम कोर्ट में इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही है.

दरअसल, केंद्र सरकार ने संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. 5 जजों की बेंच में 3 जजों जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के समर्थन में फैसला सुनाया. जबकि चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट्ट ने EWS आरक्षण पर अपनी असहमति जताई है.

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तीन जजों ने समर्थन में सुनाया फैसला

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के फैसले को सही ठहराया. जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपनी राय सुनाते हुए कहा कि सवाल बड़ा ये था कि क्या EWS आरक्षण संविधान की मूल भावना के खिलाफ है. क्या इससे SC /ST/ ObC को बाहर रखना मूल भावना के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि EWS कोटा संविधान का उल्लंघन नही करता. EWS आरक्षण सही है. ये संविधान के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता. ये भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा, मैंने जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की राय पर सहमति जताई है. जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि आरक्षण कोई अंतिम सीमारेखा नहीं है. ये तो शुरुआत है सबको समान बनाने की. 

ये दोनों जज रहे असहमत

जस्टिस रविंद्र भट्ट ने EWS आरक्षण पर असहमति जताई. चीफ जस्टिस यूयू ललित भी सरकार के 10% आरक्षण के खिलाफ रहे.

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