
Chardham Project Explainer: सुप्रीम कोर्ट ने चारधाम प्रोजेक्ट के ऑल वेदर रोज के चौड़ीकरण को मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने ऑल वेदर रोड को 5.5 मीटर की बजाय 10 मीटर चौड़ी बनाने की अनुमति दे दी है. चीन की सीमा तक आसान पहुंच के लिए केंद्र सरकार ने तीन सड़कों को चौड़ा करने की अनुमति मांगी थी. कोर्ट ने इसकी अनुमति देते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी प्रोजेक्ट्स की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है. क्या था ये मामला? क्या है चारधाम प्रोजेक्ट? सरकार को इससे कितनी बड़ी राहत मिली? इससे जुड़ी सारें बातें समझते हैं...
क्या है चारधाम प्रोजेक्ट?
- उत्तराखंड के चार प्रमुख धाम यमुनोत्री, गंगोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ को सड़क मार्ग से जोड़ने को ही चारधाम प्रोजेक्ट कहा जाता है. इसकी शुरुआत 2016 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने की थी. इस प्रोजेक्ट से पूरे उत्तराखंड में सड़कों का जाल बिछ जाएगा.
- करीब 900 किलोमीटर की इस सड़क पर 16 बायपास, 101 छोटे पुल, 3516 पुलिया और 15 फ्लाई ओवर बनाए जा रहे हैं. इस पूरे प्रोजेक्ट पर 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा.
फिर क्या था विवाद?
- सरकार इस पर काम कर ही रही थी कि 2018 में 'सिटीजन फॉर ग्रीन दून' नाम के एनजीओ ने सड़कों के चौड़ीकरण को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. चुनौती देते हुए याचिका में कहा कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा.
- अगस्त 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट के लिए हाई पॉवर कमेटी (HPC) का गठन किया. इस कमेटी ने जुलाई 2020 में अपनी रिपोर्ट दी और 5.5 मीटर तक सड़क को चौड़ा करने की सिफारिश की.
- इसी रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने 8 सितंबर 2020 को एक आदेश दिया जिसमें सड़कों की चौड़ाई 5.5 मीटर तक रखने का निर्देश दिया गया.
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फिर केंद्र ने दाखिल की याचिका
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश में संशोधन की मांग करते हुए केंद्र सरकार ने भी अदालत का रुख किया. केंद्र ने 5.5 मीटर की चौड़ाई वाले फैसले को बदलने की अपील की और 10 मीटर चौड़ी करने की अनुमति मांगी थी.
- एनजीओ ने ऋषिकेश से माना (बद्रीनाथ), ऋषिकेश से गंगोत्री और टनकपुर से पिथौरागढ़ तक की सड़क पर आपत्ति जताई थी. इस पर सरकार ने कोर्ट से कहा था कि ये तीनों हाईवे देहरादून और मेरठ के आर्मी कैम्प को चीन की सीमा से जौड़ते हैं. ऐसे में आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने की जरूरत है. केंद्र ने ये भी कहा था कि हम 1962 की तरह सोए नहीं रह सकते.
- इस पर कोर्ट ने कहा था कि आर्मी को टेट्रा ट्रक्स और दूसरी हेवी मशीनरी को ले जाने की जरूरत है और 1962 के बाद से चीन की सीमा तक जाने वाली सड़कों में कोई खास बदलाव भी नहीं देखा गया है.
- वहीं, एनजीओ की ओर से पेश हुए वकील पहाड़ों को तोड़कर सड़कें बनाई जा रहीं हैं. उत्तराखंड के लोगों ने 2013 जैसी आपदा देखी है और अब वो सड़कों के लिए लगातार हो रहे विस्फोट से भय में हैं. इसके अलावा गाड़ियों से निकलने वाला काला धुंआ ग्लेशियर पर जम रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
- इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कहा कि देश की रक्षा के लिए जरूरी परियोजनाओं की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकते. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की बेंच ने इस पर फैसला दिया.
- बेंच ने तीनों सड़कों के चौड़ीकरण को इजाजत देते हुए कहा कि पहाड़ी इलाकों में बन रही जिन सड़कों का इस्तेमाल सशस्त्र बल करेंगे, वो सड़कें बाकी सड़कों की तरह नहीं हैं. कोर्ट ने कहा कि इसलिए इन सड़कों के निर्माण में हम बाधा नहीं डाल सकते.
चारधाम प्रोजेक्ट से क्या फायदा होगा?
- चीनी सीमा तक आसान पहुंचः इससे भारतीय सेना चीन की सीमा तक आसानी से पहुंच सकेगी. इस सड़क को इस तरह बनाया जा रहा है कि सेना किसी भी मौसम में बॉर्डर तक पहुंच जाएगी.
- हथियार ले जाने में मददः सेना की हेवी मशीनरी और हथियारों को जल्दी से सड़क के रास्ते ले जाया सकेगा. इसका फायदा किसी भी आपात स्थिति से निपटने में मिलेगा.
- सड़क के रास्ते ही कर सकेंगे दर्शनः इससे आम लोगों को भी फायदा होगा. ये प्रोजेक्ट चारों धामों को सड़क से जोड़ता है. इसलिए लोग अपने ही साधन से चार धाम की यात्रा कर सकते हैं.