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क्या है Tour of Duty का कॉन्सेप्ट जिसके तहत 3 साल के लिए सेना में होगी भर्ती, 2020 में पहली बार आया था आइडिया

Tour of Duty Explainer: सेना में भर्ती होने की ख्वाहिश रखने वाले युवाओं के लिए बहुत जल्द सरकार एक नई योजना का ऐलान कर सकती है. इस योजना के तहत 3 से 5 साल के लिए युवा सेना में शामिल हो सकेंगे.

टूर ऑफ ड्यूटी के तहत शामिल होने वाले युवाओं को सेना की पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी. (फाइल फोटो-PTI) टूर ऑफ ड्यूटी के तहत शामिल होने वाले युवाओं को सेना की पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी. (फाइल फोटो-PTI)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST
  • 3 से 5 साल के लिए सेना से जुड़ेंगे युवा
  • ड्यूटी के बाद कॉर्पोरेट जॉब कर सकेंगे
  • इससे हजारों करोड़ रुपये बचने की उम्मीद

Tour of Duty Explainer: सेना में जवानों की संख्या बढ़ाने और अपना खर्च कम करने के लिए सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जिसके तहत युवा 3 से 5 साल के लिए अपनी सेवा दे सकते हैं. इसे 'अग्निपथ एंट्री स्कीम' का नाम दिया जाएगा. इस योजना के तहत युवा 3 से 5 साल के लिए सेना में शामिल होंगे और अपनी सेवा देंगे. 

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एक तय अवधि के लिए सेना में शामिल होने के कॉन्सेप्ट को 'टूर ऑफ ड्यूटी' कहा जाता है. टूर ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट नया नहीं है. दूसरे विश्व युद्ध के समय जब ब्रिटिश वायुसेना के पायलट तनाव में आ गए थे, तब वायुसेना में टूर ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट लाया गया था. इसके तहत शामिल होने वाले पायलट को 2 साल तक 200 घंटों तक विमान उड़ाने को कहा गया था. 

टूर ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट कॉर्पोरेट घरानों में भी अपनाया जाता है. अमेरिका के कई कॉर्पोरेट ऑफिस में ऐसा कल्चर चलता है. टूर ऑफ ड्यूटी के तहत लोगों को एक तय अवधि के लिए नौकरी पर रखा जाता है. इसमें रिटायर हो चुके लोगों को भी शामिल किया जाता है. 

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भारत में कैसा होगा टूर ऑफ ड्यूटी का प्लान?

- टूर ऑफ ड्यूटी का प्लान कैसा होगा, इस बारे में अभी तक सरकार की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इसके तहत 3 से 5 साल तक के लिए युवाओं को भर्ती किया जाएगा. 

- बताया जा रहा है कि शुरुआत में इसे आर्मी में लागू किया जाएगा. बाद में इसे वायुसेना और नौसेना में भी लागू किया जा सकता है. टूर ऑफ ड्यूटी के दौरान युवाओं को सेना के जवानों की तरह पूरी ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्हें तैनात भी किया जाएगा. ड्यूटी पूरी होने के बाद युवा दूसरी जगह नौकरी कर सकते हैं.

- टूर ऑफ ड्यूटी के तहत अफसरों और सैनिकों दोनों की भर्ती होगी. अफसरों के लिए उन्हें भर्ती किया जाएगा, जो रिटायर हो चुके होंगे. वहीं, सैनिकों में युवाओं को भर्ती किया जाएगा. 

कैसा होगा टूर ऑफ ड्यूटी?

- इस बारे में अभी ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है. हालांकि, बताया जा रहा है कि शुरुआत में करीब 100 युवाओं को टूर ऑफ ड्यूटी के तहत भर्ती किया जाएगा. 

- टूर ऑफ ड्यूटी के तहत जुड़े 25% युवा 3 साल के लिए और 25% युवा 5 साल के लिए सेना में सेवा दे सकेंगे. बाकी के 50% युवाओं को स्थायी सेवा दी जा सकती है. इस योजना के तहत सेना से जुड़ अफसरों को हर महीने 80 से 90 हजार रुपये की सैलरी मिल सकती है.  

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- रिपोर्ट्स के मुताबिक, 3 से 5 साल के लिए सेना से जुड़ने वाले युवाओं को नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में भी लाया जाएगा. ऐसे युवाओं को एक निश्चित अवधि के लिए मेडिकल बेनेफिट जैसी सुविधाएं मिलेंगी. 

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3-5 साल के बाद क्या होगा भविष्य?

टूर ऑफ ड्यूटी का कॉन्सेप्ट नवंबर 2020 में आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे लेकर आए थे. उन्होंने रक्षा मंत्रालय के सामने इसकी ब्रीफिंग भी दी थी. इस योजना के तहत युवाओं को ऐसी ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे वो आगे जाकर कॉर्पोरेट सेक्टर में काम कर सकेंगे.

ऐसा क्यों किया जा रहा और क्या होगा फायदा?

- क्यों किया जा रहा: कोरोना महामारी के कारण सेना में दो साल से भर्ती नहीं हो सकी है. रक्षा मंत्रालय की संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों सेनाओं में अफसरों और जवानों की कमी है. आर्मी में 12.12 लाख जवान हैं, जबकि 81 हजार से ज्यादा पद खाली हैं. इसी तरह वायुसेना में अफसरों और एयरमैन के करीब 7 हजार और नौसेना में अफसरों-नाविकों के साढ़े 12 हजार पद खाली हैं. 

- क्या होगा फायदा: इससे सेना को हर साल हजारों करोड़ रुपये बचाने में मदद मिलेगी. बजट दस्तावेजों के मुताबिक, तीनों सेनाएं हर साल सवा लाख करोड़ रुपये पेंशन पर खर्च करती है. 2022-23 में ही पेंशन पर 1.19 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. एक तय समय के लिए युवाओं को सेना में रखने से पेंशन का खर्च भी बचेगा. 

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