Advertisement

Explainer: AFSPA पर क्यों है विवाद, नगालैंड से हटाने की क्यों हो रही मांग, हटा तो आम लोगों की जिंदगी में क्या फर्क आएगा?

AFSPA Explainer: नगालैंड के मोन जिल में 4-5 दिसंबर की घटना के बाद से ही सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम यानी अफस्पा हटाने की आवाजें तेज हो गई हैं. अब केंद्र सरकार ने भी नगालैंड से अफस्पा हटाने पर विचार करने के लिए एक समिति बनाई है. ये समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.

नागालैंड में अफस्पा हटाने की मांग तेज है. (फाइल फोटो-PTI) नागालैंड में अफस्पा हटाने की मांग तेज है. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST
  • नागालैंड के मोन में घटना के बाद से AFSPA का विरोध
  • मोन की घटना में सेना की गोलीबारी में 14 की मौत हुई थी

नगालैंड में सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम यानी अफस्पा (AFSPA) को हटाने पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने का फैसला लिया गया है. इसी महीने 4-5 दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले में हुई घटना के बाद अफस्पा को हटाने की मांग तेज हो गई थी. अब अफस्पा को नगालैंड से हटाने पर विचार करने के लिए जिस समिति को बनाया गया है, उसमें 5 सदस्य होंगे. इसकी अध्यक्षता गृह मंत्रालय के सचिव स्तर के अफसर विवेक जोशी करेंगे.

Advertisement

गृह मंत्रालय के मुताबिक, इस समिति में नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी सदस्य होंगे. इसमें असम रायफल्स के आईजी (उत्तरी) और सीआरपीएफ के एक प्रतिनिधि सदस्य भी होंगे. ये समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.

क्या होता है AFSPA?

- AFSPA को अशांत इलाकों में लागू किया जाता है. ऐसे इलाकों में सुरक्षाबलों के पास बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की ताकत होती है और कई मामलों में बल प्रयोग भी किया जा सकता है. पूर्वोत्तर में सुरक्षाबलों की मदद करने के लिए 11 सितंबर 1958 को इस कानून को पास किया गया था. 1989 में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा तो यहां भी 1990 में अफस्पा लागू कर दिया गया. अब ये अशांत क्षेत्र कौन होंगे, ये भी केंद्र सरकार ही तय करती है. अफस्पा केवल अशांत क्षेत्रों में ही लागू होता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें-- Explainer: मॉन की घटना से नागा वार्ता पर संशय, जानें- क्या है दशकों पुराना विवाद?

AFSPA से क्या मिल जाते हैं अधिकार?

- सुरक्षाबल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकते हैं. कानून का उल्लंघन करने वाले को चेतावनी देने के बाद बल प्रयोग और उस पर गोली चलाने की भी अनुमति देता है.

- इस कानून के तहत सुरक्षाबलों को किसी के भी घर या परिसर की तलाशी लेने का अधिकार मिला है. और इसके लिए सुरक्षाबल जरूरत पड़ने पर बल का प्रयोग भी कर सकते हैं.

- अगर सुरक्षाबलों को ऐसा अंदेशा होता है कि उग्रवादी या उपद्रवी किसी घर या बिल्डिंग में छिपे हैं तो उसे तबाह किया जा सकता है. इसके अलावा वाहनों को रोककर उनकी तलाशी भी ली जा सकती है.

- बड़ी बात ये है कि जब तक केंद्र सरकार मंजूरी न दे, तब तक सुरक्षाबलों के खिलाफ कोई मुकदमा या कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती.

अभी किन-किन जगहों पर लागू है AFSPA?

- AFSPA को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नगालैंड, पंजाब, चंडीगढ़ और जम्मू-कश्मीर समेत कई हिस्सों में लागू किया गया था. हालांकि, बाद में समय-समय पर कई इलाकों से इसे हटा भी दिया गया.

Advertisement

- फिलहाल, ये कानून जम्मू-कश्मीर, नगालैंड, मणिपुर (राजधानी इम्फाल के 7 क्षेत्रों को छोड़कर), असम और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है. त्रिपुरा, मिजोरम और मेघालय से इसे हटा दिया गया है.

नगालैंड में क्यों हो रहा है इसका विरोध?

-  नगालैंड के मोन जिले में स्थित ओटिंग के तिरु में 4 दिसंबर को सेना के जवानों ने गोलीबारी की. सेना ने उग्रवादियों के शक में खदान से लौट रहे मजदूरों पर गोलियां चला दीं. इस गोलीबारी में उसी वक्त 6 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया. जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में और कुछ लोग मारे गए. इस पूरी घटना में कुल 14 आम नागरिकों की मौत हो गई. इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बयान देते हुए कहा था कि ये घटना 'गलत पहचान' की वजह से हुई. इस घटना के बाद से ही नगालैंड से अफस्पा हटाने की मांग तेज गई. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने भी अफस्पा हटाने की मांग की है.

अफस्पा हटा तो क्या होगा?

- अफस्पा हटता है तो नगालैंड भी शांत क्षेत्र बन जाएगा और सुरक्षाबलों की शक्तियां सीमित हो जाएंगी. जिस तरह अभी सुरक्षाबल बिना वारंट किसी की भी गिरफ्तारी कर सकते हैं, उनपर गोली चला सकते हैं, अफस्पा हटाने के बाद ये सब नहीं हो सकेगा. अफस्पा का विरोध अक्सर होता रहता है. स्थानीय लोग सेना पर फर्जी एनकाउंटर, मनमाने ढंग से गिरफ्तारी करने और हिरासत में टॉर्चर जैसे आरोप लगाते रहते हैं. 

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement