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नकली नोटों पर नकेल में नाकाम रही नोटबंदी... बंद नहीं हो रही जालसाजों की 'प्रिंटिंग प्रेस'

नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था तो इसके फायदों में से एक नकली नोटों पर लगाम लगाने की बात भी थी. हालांकि, आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद भी जाली नोटों में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है. जानिए- नोटबंदी से पहले और बाद में हर साल कितने नकली नोट पकड़ में आए? और क्यों कम नहीं हो रहा जाली नोटों का मायाजाल?

आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में देशभर में 20 करोड़ से ज्यादा रुपये के जाली नोट पकड़े गए थे. (फाइल फोटो) आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में देशभर में 20 करोड़ से ज्यादा रुपये के जाली नोट पकड़े गए थे. (फाइल फोटो)
Priyank Dwivedi
  • नई दिल्ली,
  • 21 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 3:44 PM IST

साल-2016, तारीख-8 नवंबर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रात 8 बजे नोटबंदी का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा कि रात 12 बजे से 500 और 1000 रुपये के नोट चलन में नहीं रहेंगे. ऐसा करने की वजह भी बताई और नोटबंदी के फायदे भी गिनाए. पीएम ने कहा कि पुराने नोट बंद करने से नकली नोटों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी. पर क्या ऐसा हुआ? आंकड़ों के जरिए समझते हैं. 

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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल यानी 2021 में 20.21 करोड़ रुपये के 3.10 लाख से ज्यादा नकली नोट जब्त किए गए थे. इससे पहले 2020 में 92.17 करोड़ रुपये के 8.34 लाख नकली नोट पकड़े गए थे. 

नोटबंदी के पांच साल पहले और बाद के पांच साल के आंकड़ों की तुलना करें तो तस्वीर थोड़ी और साफ होती है. नोटबंदी के पांच साल पहले यानी 2011 से 2015 के बीच हर साल औसतन 39.50 करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त हुए थे. जबकि, पांच साल बाद यानी 2017 से 2021 के बीच सालाना औसतन 36.80 करोड़ रुपये के नकली नोट बरामद हुए. नोटबंदी वाले साल यानी 2016 में जांच एजेंसियों ने 15.92 करोड़ रुपये के मूल्य के 2.81 लाख नकली नोट पकड़े थे. ये आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद जाली नोटों में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं आई है. 

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500 या 2000... कौन से नोट ज्यादा जब्त हुए?

असली नोटों की नकल रोकने के लिए आरबीआई कई सिक्योरिटी फीचर्स का इस्तेमाल करता है, ताकि जालसाजी को और ज्यादा मुश्किल और महंगा बनाया जा सके. बावजूद इसके जाली नोटों से निपटना बड़ी चुनौती है. 

नोटबंदी के बाद जब 500 और 2000 के नए नोट जारी किए गए थे, तो उनमें भी कुछ खास सिक्योरिटी फीचर्स थे, लेकिन जालसाजों ने इनकी नकल भी कर ली. 

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि अभी भी अच्छी-खासी संख्या में 500 और 2000 के नकली नोट मिल रहे हैं. पिछले साल ही 2000 के करीब 61 हजार और 500 के 1.32 लाख से ज्यादा नोट बरामद हुए थे. इन 500 के नोटों में पुराने नोट भी शामिल थे. हैरान करने वाली एक बात ये भी है कि नोटबंदी के 6 साल बीत जाने के बाद भी अब तक 1000 के नकली नोट बरामद हो रहे हैं. पिछले साल 1000 के करीब तीन हजार नकली नोट बरामद हुए थे.

बैंकों में कितने नकली नोट पकड़े गए?

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की 2021-22 की सालाना रिपोर्ट में बताया गया था कि बैंकों ने 2020-21 की तुलना में 2021-22 में बैंकिंग सिस्टम में 10 फीसदी ज्यादा नकली नोट पकड़े गए थे.

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आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में 2.08 लाख से ज्यादा नकली नोटों की पहचान हुई थी, जबकि 2021-22 में 2.30 लाख नकली नोट पहचाने गए थे.

2020-21 के मुकाबले 2021-22 में 500 रुपये के 102% और 2000 रुपये के 55% नकली नोट ज्यादा पकड़े गए थे. इसी तरह 200 रुपये के नकली नोटों में 11.6% की बढ़ोतरी हुई थी. 

जबकि, 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 100 रुपये के नकली नोटों में 16.7% और 50 रुपये के नकली नोटों में 28.6% की कमी आई थी. वहीं, 10 और 20 रुपये के नकली नोटों में 16% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई थी.

ये वो नकली नोट हैं जो बैंकिंग सिस्टम में पकड़े गए. यानी, बैंकों में नकली नोट आए. इनमें से 6.9% नकली नोट आरबीआई में और 93.1% नकली नोट दूसरे बैंकों में पकड़े गए थे.

आरबीआई की रिपोर्ट से ये भी पता चलता है कि बैंकिंग सिस्टम में अब पहले के मुकाबले नकली नोटों में कमी आई है. 2016-17 की तुलना में 2021-22 में बैंकिंग सिस्टम में नकली नोटों में लगभग 70 फीसदी की कमी आई है.

पर नकली नोट क्यों चलते हैं?

इंडियन पीनल कोड (IPC) की धारा 489 के तहत, नोटों की जालसाजी करना अपराध है. इस धारा के तहत, अगर कोई भी भारतीय करंसी का उत्पादन करता है, तस्करी करता है या संचालन करता है तो उसे 10 साल से कैद से लेकर आजीवन कारावास तक हो सकती है. साथ ही जुर्माना भी लग सकता है.

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ये धारा ये भी कहती है कि अगर कोई भी व्यक्ति ये जानते हुए कि उसके पास नकली नोट है, उससे कोई सामान खरीदता है या किसी को देता है तो ऐसा करने पर भी दोषी पाए जाने पर 10 साल की कैद से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लग सकता है.

इसी तरह अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर अपने पास नकली नोट इसलिए रखता है ताकि उसका इस्तेमाल किया जा सके, तो ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की कैद हो सकती है.

पर सवाल ये है कि इतना कठोर कानून होने के बावजूद नकली नोट चलते क्यों हैं? तो इसका जवाब ये है कि नकली नोट मुनाफे का कारोबार है. इसे ऐसे समझिए कि आरबीआई को 500 और 2000 के नोट छापने में 2 से 4 रुपये खर्च करने पड़ते हैं और अगर जालसाज नकली नोट को छापने में 10 या 20 रुपये भी खर्च कर रहा है तो भी वो इसके मार्केट में चल जाने से मोटे फायदे में रहेगा. 

इसके अलावा देश के दुश्मन अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए भी नकली नोटों को बॉर्डर पार से भारत में भेजते हैं.

 

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