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'पश्चिम बंगाल सरकार का दावा झूठा...', तीस्ता मामले में सीएम ममता की पर नाराजगी जताने पर केंद्र ने दिया जवाब

सरकार की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा झूठ फैलाया गया कि फरक्का में गंगा/गंगा जल बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा पर उनसे परामर्श नहीं किया गया था.

तीस्सा समझौता को लेकर सीएम ममता की नाराजगी पर केंद्र ने दिया जवाब तीस्सा समझौता को लेकर सीएम ममता की नाराजगी पर केंद्र ने दिया जवाब
पीयूष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 24 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:08 PM IST

तीस्ता समझौता मामले में पश्चिम बंगाल को शामिल न करने पर सीएम ममता ने नाराजगी जताई थी. अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि, बातचीत के दौरान पश्चिम बंगाल को क्यों छोड़ दिया गया. ममता ने इसके लिए पीएम मोदी को विरोध पत्र भी भेजा है. सरकारी सूत्रों की मानें तो इस मामले में सरकार की ओर से जवाब दिया गया है. केंद्र सरकार ने ममता बनर्जी की ओर से चिट्ठी लिखी जाने के बाद मामले में कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार तीस्ता मामले में झूठ फैला रही है.  

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दरअसल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को दिल्ली में शेख हसीना के साथ हुई द्विपक्षीय तीस्ता वार्ता में उन्हें शामिल नहीं करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराजगी जताई है. शेख हसीना और पीएम मोदी ने शनिवार को फरक्का समझौते के नवीनीकरण पर फैसला लिया था. फरक्का में गंगा के पानी के बंटवारे पर बांग्लादेश और भारत के बीच फरक्का समझौता 2026 में समाप्त होगा. सीएम ममता ने इसे लेकर केंद्र को चिट्ठी लिखी है और अपनी नाराजगी जताई थी.

सरकार ने दिया ये जवाब
सूत्रों के अनुसार सरकार की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि, पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा झूठ फैलाया गया कि फरक्का में गंगा/गंगा जल बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा पर उनसे परामर्श नहीं किया गया था. सरकार की ओर से कहा गया कि 24 जुलाई 2023 को, भारत सरकार ने फरक्का में गंगा/गंगा जल के बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा करने के लिए 'समिति' में पश्चिम बंगाल सरकार के नामित व्यक्ति की मांग की. 25 अगस्त 2023 को, पश्चिम बंगाल सरकार ने समिति के लिए मुख्य अभियंता (डिज़ाइन और अनुसंधान), सिंचाई और जलमार्ग निदेशालय, पश्चिम बंगाल सरकार के नामांकन की सूचना दी. 5 अप्रैल 2024 को, संयुक्त सचिव (कार्य), सिंचाई और जलमार्ग विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार ने फरक्का बैराज के डाउनस्ट्रीम के विस्तार से अगले 30 वर्षों के लिए अपनी कुल मांग से अवगत कराया था.

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बंगाल की सीएम ने पार्टी नेताओं से कहा, "मैं बांग्लादेश के खिलाफ नहीं हूं. ढाका के साथ व्यक्तिगत संबंध भी अच्छे हैं, लेकिन मैं पश्चिम बंगाल की सीएम हूं. मुझे बंगाल के हितों की रक्षा करनी है. तीस्ता नदी एक है. आप बांग्लादेश में जल भंडार पर निर्णय ले रहे हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित किए बिना, क्या यह संघीय एकता है?”

सीएम ममता ने लिखी थी चिट्ठी
ममता ने पीएम को कड़ा पत्र लिखकर उन्हें शामिल किए बिना तीस्ता नदी जल बंटवारा वार्ता पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है और कहा है कि राज्य सरकार की भागीदारी के बिना बांग्लादेश के साथ तीस्ता जल बंटवारे और फरक्का संधि पर कोई चर्चा नहीं की जानी चाहिए. 

चिट्ठी में ममता बनर्जी ने क्या लिखा?
पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी में ममता बनर्जी ने कहा कि, राज्य सरकार के परामर्श और राय के बिना इस तरह की एकतरफा विचार-विमर्श और चर्चा न तो स्वीकार्य है और न ही वांछनीय है.  भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से बांग्लादेश के साथ हमारा बहुत करीबी रिश्ता है, मैं बांग्लादेश के लोगों से प्यार करती हूं और उनका सम्मान करती हूं और हमेशा उनकी भलाई की कामना करती हूं. पश्चिम बंगाल राज्य ने अतीत में कई मुद्दों पर बांग्लादेश के साथ सहयोग किया है. भारत-बांग्लादेश परिक्षेत्रों, जिन्हें चितमहलों के नाम से भी जाना जाता है, के आदान-प्रदान पर समझौता, भारत-बांग्लादेश रेलवे लाइन और बस सेवाएं इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए बांग्लादेश के साथ मिलकर काम करने के कुछ मील के पत्थर हैं. 

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हालाँकि, पानी बहुत कीमती है और लोगों की जीवन रेखा है. हम ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते जिसका लोगों पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. ऐसे समझौतों के प्रभाव से सबसे ज्यादा नुकसान पश्चिम बंगाल के लोगों को होगा. मुझे पता चला कि भारत सरकार भारत बांग्लादेश फरक्का संधि (1996) को नवीनीकृत करने की प्रक्रिया में है, जो 2026 में समाप्त होनी है. यह एक संधि है जो बांग्लादेश और भारत के बीच जल बंटवारे के सिद्धांतों को रेखांकित करती है और जैसा कि आप जानते हैं इसका पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए अपनी आजीविका बनाए रखने पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है और फरक्का बैराज में जो पानी मोड़ा जाता है, वह कोलकाता बंदरगाह की नौवहन क्षमता को बनाए रखने में मदद करता है.
 

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