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कृषि कानून के खिलाफ याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस देकर मांगा जवाब

कृषि कानून के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. इस बीच देश की सर्वोच्च अदालत का दरवाजा भी खटखटाया गया है.

किसान कानून पर देशभर में हो रहा प्रदर्शन किसान कानून पर देशभर में हो रहा प्रदर्शन
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST
  • कृषि कानून पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस
  • मनोज झा की याचिका पर दिया गया नोटिस

केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर राजनीतिक घमासान जारी है. मोदी सरकार द्वारा लाए गए इन कानूनों का कई विपक्षी दल और किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. इस बीच राज्यसभा सांसद मनोज झा और टी. सिवा द्वारा इन कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था. अब इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को नोटिस दिया गया है. 

सोमवार को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों पर जवाब देने को कहा है. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा है कि देश की जितनी भी हाईकोर्ट में कृषि कानून के खिलाफ याचिका दायर हुई हैं उनका भी डाटा इकट्ठा करें. 

मोदी सरकार द्वारा बीते दिनों तीन कृषि कानूनों को पारित कराया गया. जिसमें मंडी सिस्टम में बदलाव किया गया, जिससे अब किसान अपनी फसल को कहीं पर भी बेच सकता है. साथ ही किसान सीधे प्राइवेट कंपनियों से समझौता कर सकता है. इसके अलावा प्राइवेट कंपनियां अपने अनुसार किसानों से फसल पैदा करवा सकती हैं. 

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Supreme Court issues notice to the Centre on petitions challenging the three farm laws passed by the Parliament seeking response from the Centre within four weeks. pic.twitter.com/c287m94iey

— ANI (@ANI) October 12, 2020


इन विषयों को लेकर किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं. विरोध करने वाले लोगों का आरोप है कि इस सिस्टम से मोदी सरकार एमएसपी के सिस्टम को खत्म कर देगी. हालांकि, सरकार ने ऐसे दावे से इनकार किया है. 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस और अन्य कई विपक्षी पार्टियां इस कानून के खिलाफ आवाज उठा रही हैं. राहुल ने हाल ही में तीन दिनों तक पंजाब में ट्रैक्टर रैली निकाली, फिर हरियाणा और दिल्ली में भी इस कृषि कानून का विरोध किया. इससे पहले विपक्ष की ओर से आरोप लगाया गया था कि सरकार ने राज्यसभा में गलत तरीके से बिल को पास कराया है, साथ ही राष्ट्रपति से बिल पर हस्ताक्षर ना करने की अपील की थी. 

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