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कृषि कानूनों से लेकर पीएम मोदी संग रिश्तों पर जानें क्या बोले पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी

तीन कृषि कानून, नागरिकता संशोधन कानून और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने संबंधों को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपनी राय रखी. द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में हामिद अंसारी ने कहा कि पीएम मोदी के साथ उनके रिश्ते उनके मुख्यमंत्री काल, प्रधानमंत्री और मेरे पद से हट जाने के बाद भी अच्छे रहे हैं.

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:23 AM IST
  • पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने की मुद्दों पर रखी राय
  • कृषि कानून, नागरिकता संशोधन कानून पर भी बात की

तीन कृषि कानून, नागरिकता संशोधन कानून और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने संबंधों को लेकर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अपनी राय रखी. द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में हामिद अंसारी ने कहा कि पीएम मोदी के साथ उनके रिश्ते उनके मुख्यमंत्री काल, प्रधानमंत्री और मेरे पद से हट जाने के बाद भी अच्छे रहे हैं. उनकी किताब  बाय मैने अ हैप्पी एक्सीडेंट को लेकर इस दौरान उनसे कई सवाल पूछे गए.

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जब उनसे पूछा गया कि कृषि कानूनों को लेकर किसानों के प्रदर्शन को 2 महीने बीत चुके हैं और इस पर कई अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटीज भी ट्वीट कर चुके हैं. विदेश मंत्रालय ने भी इस पर जवाब दिया है. बतौर पूर्व राजनयिक क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर के विरोध को हैंडल करने का ये सही तरीका है?

इस पर पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, राजनयिक के पास कोई डंडा या बंदूक नहीं होती. बातचीत और अनुनय ही उसके हथियार होते हैं. अनुनय जरूरी है और एक कॉमन पॉइंट को ढूंढना जरूरी है. कभी-कभी आपको कहीं और कुछ हासिल करने के लिए यहां थोड़ा सा जीतना होता है.  जो विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर जवाब दिया, उस पर मैं कुछ नहीं कहूंगा. मुझे नहीं लगता है कि ऐसे कई मौके आए हैं, जब ऐसे बयान दिए गए हैं. देखना यह होगा कि यह कैसे काम करता है क्योंकि यह चीज अब काफी हद तक सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है. 

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पूर्व उपराष्ट्रपति ने इंटरव्यू के दौरान नागरिकता संशोधन कानून से जुड़े एक सवाल पर भी राय रखी, जिसके बारे में उन्होंने अपनी किताब में भी लिखा है. उन्होंने कहा कि अगर किसी मुद्दे पर कई सारे विचार हैं तो बातचीत ही सबसे बढ़िया विकल्प है. अगर इसके बाद कोई वोट की मांग रखता है तो यह करना चाहिए. शॉर्टकट्स लेने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि आज जो समस्या आ रही है, वो ये है कि संसद अपने निर्धारित कर्तव्यों पर पर्याप्त समय नहीं दे रही है. अगर आप पहले के रिकॉर्ड को देखें, तो संसद सत्र 90-100 दिनों के लिए होता था, अब यह लगभग 60 दिन चला है. 100 दिन में जो काम होगा, वह 60 दिन की तुलना में ज्यादा होगा.  

जब अंसारी से पूछा गया कि इस समय हमारे सभी पड़ोसियों के साथ संबंध मुश्किलों में हैं. क्या कभी यह बुरा हुआ है या यह हमारे संबंधों में विशेष मंथन का समय है?

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इस पर अंसारी ने कहा, पड़ोसियों से संबंध हमेशा महत्वपूर्ण ही रहते हैं. आप उन दोस्तों को चुन सकते हैं जो दूर हैं, जहां आपकी बातचीत अक्सर या कम होती है. फिर ऐसे दोस्त होते हैं जो बराबर में रहते हैं और आपकी हर दिन विभिन्न विषयों पर उनसे बातचीत होती है.  चाहे वह राजनीति हो, सैन्य प्रश्न हों, या फिर वे ऐसे प्रश्न हों जो जल विवाद या पर्यावरणीय विवाद और इसी तरह की चीजों से संबंधित हों. इसलिए हर सरकार के सामने दो ही विकल्प होते हैं, पहला जहां सहयोग की मांग हो या फिर विवाद की पॉलिसी. मुझे नहीं लगता कि इस समय पड़ोसियों, चाहे छोटा हो या बड़ा से टकराव सही रहेगा. 

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जब पूर्व उपराष्ट्रपति से पूछा गया आपने कहा है कि भारत जैसे लोकतंत्र के लिए बहुलतावाद और धर्मनिरपेक्षता बहुत जरूरी है. और फिर भारत की बड़ी अल्पसंख्यक आबादी के संदर्भ में, आप कहते हैं कि स्वीकृति की जरूरत है. अब, घरेलू राजनीति में, जहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में किसी भी तरह की चर्चा को तुष्टिकरण के रूप में देखा जाता है, ऐसे में आगे का रास्ता क्या है?
इस पर पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, हम में से हर शख्स की विभिन्न पहचान है. विविधता भरी सोसाइटी है. हमें इसे स्वीकार करना होगा. असली चुनौती यही है. अगर आपकी सोच ऐसी है, जो विविधता को नकारती है तो आप परेशानी में पड़ जाएंगे. अगर ऐसा नहीं है तब आप मिलनसार होंगे. इसलिए सहनशीलता ही काफी नहीं हैं. सहनशीलता एक अच्छा गुण है और समाज में सहनशीलता का अभ्यास करना पड़ता है. लेकिन हमें सहनशीलता से परे जाकर स्वीकृति को कहना होगा.

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से जब यह पूछा गया कि किताब के मुताबिक जब पीएम मोदी ने उनसे आकर यह कहा कि आप हंगामे के बीच बिल राज्यसभा से पास नहीं होने दे रहे हैं तो आपने तब कोई पब्लिक स्टैंड या फिर फेयरवेल में यह बात क्यों नहीं की?
इस पर हामिद अंसारी ने कहा, फेयरवेल यह सब बात कहने के लिए कोई मौका नहीं था. प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में ही हम नतीजे पर पहुंच चुके थे. मैंने कहा था कि राज्यसभा के कामकाज को लेकर विभिन्न बिंदु थे जिन्हें सुधार की आवश्यकता थी. उनमें से एक पर प्रश्नकाल के दौरान चोट की गई. अब, सदन के नियम हैं कि पहला घंटा प्रश्नकाल होगा. लेकिन बहुत बार प्रश्नकाल बाधित हुआ ... जिसका मतलब था कि कार्यपालिका की जवाबदेही का एक महत्वपूर्ण हिस्सा खत्म हो गया था. इसलिए, सदन के सदस्यों और पार्टियों के नेताओं के साथ बातचीत के बाद, मैंने सुझाव दिया कि हम प्रश्नकाल को आगे बढ़ाएं. हमने इसे सुबह 11 बजे से रात 12 बजे तक कर दिया. ये प्रक्रियात्मक सुधार हैं जिस पर हम तब पहुंचते हैं जब आपको इसकी जरूरत महसूस होती है.

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