Advertisement

MSP से लेकर अनाज मंडियों तक...जानिए क्या है किसान संगठनों की डिमांड?

आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक बीजेपी पार्टी हाईकमान ने अपनी पंजाब इकाई के नेताओं को साफ कर दिया है कि सरकार किसी भी सूरत में कृषि कानून रद्द नहीं करेगी.

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कर रहे आंदोलन (पीटीआई) कृषि कानूनों के खिलाफ किसान कर रहे आंदोलन (पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 1:02 PM IST
  • कृषि कानून का विरोध कर रहे किसान
  • किसानों का आज दिल्ली कूच का ऐलान
  • दिल्ली से सटे बॉर्डर पर सुरक्षा कड़ी

तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब के किसान लगातार आंदोलनरत हैं और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसान संगठनों ने आज गुरुवार को दिल्ली कूच का ऐलान कर रखा है. साथ ही किसान संगठन बिजली बिल 2020 को भी वापस लेने की मांग कर रहे हैं. 

अंबाला में किसानों ने कल बुधवार को भारी पुलिस बल को ठेंगा दिखाते हुए दिल्ली की तरफ कूच किया. पुलिस ने इस दौरान वॉटर कैनन का इस्तेमाल भी किया, लेकिन किसानों को नहीं रोक सकी. किसान दिल्ली की तरफ कूच कर गए. किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन को देखते हुए हरियाणा पुलिस ने पंजाब से सटी तमाम सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी है. सीमाओं को सील करने की तैयारी भी की गई है. तो वहीं दिल्ली से सटे कई बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.

Advertisement

तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग

आंदोलनकारी किसान संगठन केंद्र सरकार से तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक बीजेपी पार्टी हाईकमान ने अपनी पंजाब इकाई के नेताओं को साफ कर दिया है कि सरकार किसी भी सूरत में कृषि कानून रद्द नहीं करेगी. आंदोलन कर रहे तीन नए किसान कानून को रद्द करने के अलावा किसानों की मांग है कि बिजली बिल 2020 को भी वापस लिया जाए. 

कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) एक्ट, 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार एक्ट, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) एक्ट 2020 का किसान विरोध कर रहे हैं और इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों की शिकायत है कि नए कानून से कृषि क्षेत्र भी पूंजीपतियों या कॉरपोरेट घरानों के हाथों में चला जाएगा और इसका नुकसान किसानों को होगा.

Advertisement

देखें: आजतक LIVE TV

किसान और किसान संगठनों को डर है कि कॉरपोरेट्स कृषि क्षेत्र से लाभ प्राप्त करने की कोशिश करेंगे. साथ ही किसान कानून का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि बाजार कीमतें आमतौर पर न्यूनतम समर्थन (एमएसपी) कीमतों से ऊपर या समान नहीं होतीं. सरकार की ओर से हर साल 23 फसलों के लिए MSP घोषित होता है.

किसानों को चिंता है कि बड़े प्लेयर्स और बड़े किसान जमाखोरी का सहारा लेंगे जिससे छोटे किसानों को नुकसान होगा, जैसे कि प्याज की कीमतों में. एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के स्वामित्व वाले अनाज बाजार (मंडियों) को उन बिलों में शामिल नहीं किया गया है जो इन पारंपरिक बाजारों को वैकल्पिक विकल्प के रूप में कमजोर करता है.

बिजली बिल का भी विरोध 

देश के कई राज्य के बिजली कर्मचारियों की तरह किसान संगठन कृषि कानूनों के अलावा बिजली बिल 2020 को लेकर भी विरोध कर रहे हैं. केंद्र सरकार के बिजली कानून 2003 की जगह लाए गए बिजली (संशोधित) बिल 2020 का विरोध किया जा रहा है. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि इस बिल के जरिए बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण किया जा रहा है. केंद्र सरकार बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने की जल्दबाजी में है.1

Advertisement

कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच 17 अप्रैल को ऊर्जा मंत्रालय की ओर से बिजली संशोधन बिल-2020 का ड्राफ्ट जारी किया गया था. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अगर यह बिल पास हो गया तो बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा. उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी और क्रॉस सब्सिडी भी खत्म हो जाएगी. यही नहीं बिजली के दाम बढ़ेंगे. गरीब उपभोक्ताओं और किसानों की पहुंच से सस्ती बिजली बाहर हो जाएगी.

प्रदर्शनकारी बिजलीकर्मी भी उपभोक्ताओं खासकर किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से उनके आंदोलन में सहयोग करने की अपील कर रहे हैं क्योंकि उनके अनुसार निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान इसी वर्ग को होने जा रहा है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement