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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं किसान, टिकैत बोले- कानून बनाने वाले लोग ही कमेटी में

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी किसानों से वार्ता के लिए चार सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया है. लेकिन इस बीच किसान संगठनों ने कमेटी को लेकर असहमति जताई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी. गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी.

किसान नेता राकेश टिकैत ने कमेटी के सदस्यों पर जताई आपत्ति (फोटो-PTI) किसान नेता राकेश टिकैत ने कमेटी के सदस्यों पर जताई आपत्ति (फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 9:42 PM IST
  • कोर्ट के फैसले से किसान सहमत नहीं- टिकैत
  • टिकैत बोले- कोर्ट को हम भगवान मानते हैं
  • गुलाटी और भूपिंदर सिंह मान ने नाम पर आपत्ति

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारी किसानों से वार्ता के लिए चार सदस्यों वाली एक कमेटी का गठन किया है. लेकिन इस बीच किसान संगठनों ने कमेटी को लेकर असहमति जताई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी. गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी. 

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राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, 'माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश है.'

राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा.

'आजतक' से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, 'मेरा सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद है कि उन्होंने सुनवाई की. किसान का नाम लिया, किसान सुप्रीम कोर्ट तक आया. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बना दी. कमेटी के लोग कौन हैं, वो तो सरकार के ही आदमी हैं. अशोक गुलाटी नंबर एक, किसानों का मुल्जिम नंबर एक, वो इन कमेटियों को बनवाने में शामिल था. उसी की सभी रिकमंडेशन हैं सब. वो भारत सरकार की दस कमेटियों में शामिल है. वो इस तरह के फैसले करता है.'

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राकेश टिकैत ने कहा, 'हमें कमेटी पर एतराज नहीं है, कमेटी लोग कौन हैं उनकी विचारधारा क्या है, उस पर ऐतराज है.' भूपिंदर सिंह मान के नाम पर भी टिकैत ने आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि, 'भूपिंदर सिंह मान जो कि पिछले 25 साल से अमेरिकन मल्टीनेशनल कंपनियों की वकालत करता हो, वो हिन्दुस्तान के किसानों के भाग्य का फैसला करेगा. ये कौन लोग हैं.' 

कोर्ट के फैसले पर ऐतराज के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि हम अवहेलना नहीं कर रहे हैं. कोर्ट के आदेश की अवहेलना बीजेपी के लोग करते हैं. हम तो सुप्रीम कोर्ट को भगवान मानते हैं.

कांग्रेस ने भी जताई आपत्ति

किसान संगठनों की तरह की कांग्रेस ने भी कमेटी के सदस्यों पर आपत्ति जताई है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंता जाहिर की उसका हम स्वागत करते हैं. लेकिन जो चार सदस्यीय कमेटी बनाई वो चौंकाने वाला है. ये चारों सदस्य पहले ही काले कानून के पक्ष में अपना मत दें चुके हैं. ये किसानों के साथ क्या न्याय कर पाएंगे ये सवाल है. ये चारों तो मोदी सरकार के साथ खड़े हैं. ये क्या न्याय करेंगे. एक ने लेख लिखा, एक ने ज्ञापन दिया, एक ने पत्र लिखा, एक याचिकाकर्ता है.

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कृषि कानूनों का किया समर्थन

विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार सदस्‍यीय कमेटी का गठन किया है उनमें भूपिंदर सिंह मान (अध्यक्ष बेकीयू), डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान), अशोक गुलाटी (कृषि अर्थशास्त्री) और अनिल धनवट (शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र) शामिल हैं. इनमें कुछ नामों को लेकर किसान संगठनों को आपत्ति है.

इनमें से एक किसान नेता भूपिंदर सिंह मान हैं जो केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते रहे हैं. पिछले महीने दिसंबर में उन्‍होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा और कृषि कानूनों का समर्थन किया था. भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष और पूर्व राज्यसभा सांसद भूपिंदर सिंह मान ने पत्र में लिखकर पारित तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया था.

उनका कहना था कि उत्‍तरी भारत के कुछ हिस्‍सों में और विशेषकर दिल्‍ली में जारी किसान आंदोलन में शामिल कुछ तत्‍व इन कृषि कानूनों के बारे में किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. अथक प्रयासों और लंबे संघर्षों के चलते जो आजादी की सुबह किसानों के जीवन में क्षितिज पर दिखाई दे रही है आज उसे फिर से अंधेरी रात में बदल देने के लिए कुछ तत्‍व आगे आकर किसानों में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.

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