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Yes or No? किसानों की डिमांड पूरी नहीं कर पाई सरकार, बनी सिर्फ एक सहमति

बीते कुछ बैठकों की तरह इसमें भी सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े रहे. सरकार कृषि कानूनों में संशोधन पर अड़ी रही तो किसान कानून वापस लेने की मांग पर अडिग रहे.

aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 06 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST
  • अब तक हो चुकी है पांच दौर की बातचीत
  • सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े
  • 9 दिसंबर को होगी छठे दौर की बातचीत

देश के किसान कृषि कानूनों के विरोध में दस दिनों से सड़क पर हैं. वे दिल्ली बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. किसानों के विरोध के गतिरोध को खत्म करने के लिए अब तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है. शनिवार को पांच घंटे की वार्ता में किसान और सरकार किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे, जिसके बाद 9 दिसंबर को एक बार फिर दोनों पक्ष आमने-सामने होंगे. 

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किसानों के साथ मीटिंग से पहले ही बैठकों का दौर शुरू हो गया था. सुबह गृह मंत्री अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे. किसान संगठनों के साथ पांचवें की दौर की वार्ता से पहले एक और बैठक हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मौजूद रहे. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी मीटिंग में शामिल होने पहुंचे. इसके बाद पीएम मोदी और अमित शाह की फिर बैठक हुई.

इसके बाद दो बजे सरकार और किसानों की वार्ता शुरू हुई. बैठक में सरकार की ओर से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे. वहीं, किसानों की ओर से उनके 40 प्रतिनिधि शामिल थे. बैठक शुरू होने से पहले ही किसानों ने तेवर दिखा दिए थे. 

किसानों की ओर से कहा गया था कि सरकार बार-बार तारीख दे रही है, सभी संगठनों ने एकमत से फैसला लिया है कि अब बातचीत का आखिरी दिन है. किसान संयुक्त मोर्चा के प्रधान रामपाल सिंह ने कहा कि आर-पार की लड़ाई करके आएंगे, रोज-रोज बैठक नहीं होगी. बैठक में कोई और बात नहीं होगी, कानूनों को रद्द करने के लिए ही बात होगी.

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किसानों का ये तेवर बैठक में भी दिखा. वार्ता के दौरान किसान नेता सरकार से बेहद नाराज नजर आए. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी मांगों पर फैसला ले, नहीं तो हम बैठक से जा रहे हैं.  किसान संगठनों ने कहा कि हमारे पास एक साल की सामग्री है. सरकार को तय करना है वो क्या चाहती है. किसान नेताओं ने सरकार से कहा कि आप बता दीजिए कि आप हमारी मांग पूरी करेंगे या नहीं. किसान सरकार से हां या ना में जवाब मांग रहे थे. वे प्ले कार्ड लेकर पहुंचे थे, जिसपर Yes or No लिखा था. 

बीते कुछ बैठकों की तरह इसमें भी सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े रहे. सरकार कृषि कानूनों में संशोधन पर अड़ी रही तो किसान कानून वापस लेने की मांग पर अडिग रहे. करीब पांच घंटे तक चली बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. इस दौरान किसान-सरकार में सिर्फ ये सहमति बनी कि 9 दिसंबर को फिर बैठक होगी. 

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कृषि मंत्री ने क्या कहा

किसान नेताओं के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान नेताओं के साथ चर्चा का पांचवां दौर खत्म हुआ. अच्छे माहौल में चर्चा हुई. हमने किसान नेताओं से कहा कि MSP जारी रहेगी. लेकिन फिर भी किसी के मन में शंका है तो सरकार उसका समाधान करने के लिए तैयार है. APMC और मजबूत हो, सरकार इसके लिए तैयार है. सरकार APMC पर गलतफहमी को दूर करने के लिए तैयार है. हम लोग चाहते थे कि कुछ विषयों पर सुझाव मिल जाए, लेकिन बातचीत के दौर में ये नहीं हो सका. कृषि मंत्री ने कहा कि अब 9 दिसंबर को वार्ता होगी. सबकी सहमति से अगली बातचीत की तारीख तय की गई. 

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किसान नेताओं ने क्या कहा

किसान नेता राकेश  टिकैत ने कहा कि हमारा आंदोलन जारी रहेगा. हम किसान हैं, हम थकने वाले नहीं हैं. वहीं, अन्य किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार ने कहा है कि वे हमें 9 दिसंबर को एक प्रस्ताव भेजेंगे. हम (किसान) आपस में इस पर चर्चा करेंगे, जिसके बाद उसी दिन उनके साथ बैठक होगी. वहीं, किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि हम कानून रद्द करा कर ही मानेंगे. इससे कम पर हम मानने वाले नहीं हैं. 

 

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