किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने हमारी दो मांगों को मान लिया है. आज की बातचीत अच्छी रही. अब चार जनवरी को अगली वार्ता होगी, तब तक शांतिपूर्ण ढंग से किसानों का प्रदर्शन जारी रहेगा.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों ने चार प्रस्ताव रखे थे, जिसमें दो पर सहमति बन गई है. पर्यावरण संबंधी अध्यादेश पर रजामंदी हो गई है. एमएसपी पर कानून को लेकर चर्चा जारी है. हम एमएसपी पर लिखित आश्वसन देने के लिए तैयार हैं. एमएसपी जारी रहेगी. बिजली बिल को लेकर भी सहमति बन गई है. पराली के मुद्दे पर भी रजामंदी हो गई है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुद्दों पर किसान-सरकार के बीच 50 फीसदी सहमति बन गई है. किसानों के लिए सम्मान और संवेदना है. आशा है कि किसान और सरकार में सहमति बनेगी. समिति बनाने के लिए सरकार पहले दिन से तैयार है
किसान-सरकार के बीच बैठक खत्म हो गई है. सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेगी. अब 4 जनवरी को फिर बातचीत होगी. वहीं, किसान अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे.
Tea break के बाद सरकार और किसान संगठनों के बीच एक बार फिर से बातचीत शुरू हुई है.
सूत्रों के मुताबिक, सरकार बाकी जिन clause पर आपत्ति है, उस पर विचार को तैयार है, लेकिन किसान नेता कह रहे हैं कि हमें संशोधन पर बात नहीं करनी है. हम संशोधन नहीं, कानून रद्द करवा कर वापस जाएंगे. वहीं, तीनों कानूनों की वापसी पर सरकार ने अपना पुराना स्टैंड दोहराया की कानून की वापसी नहीं होगी. बाकी तीन मसलों पर बात हो रही है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार ने लिखित गारंटी देने का प्रस्ताव दोहराया है.
किसान-सरकार के बीच बातचीत जारी है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों से जुड़ी मांगों और मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक समिति बनाई जा सकती है. सरकार ने कानूनों से जुड़ी जानकारी दी और कहा कि कानून बनाने और वापस लेने की एक लंबी प्रक्रिया है.
किसानों और सरकार के बीच तीन घंटे से बातचीत का दौर जारी है.
किसान-सरकार के बीच 7वें दौर की बैठक जारी है. सूत्रों के मुताबिक, तीनों कृषि कानूनों को सरकार वापस नहीं लेगी. ऐसे में इस बैठक पर भी ग्रहण लगते दिख रहा है.
विज्ञान भवन में वार्ता के बीच मंत्रियों ने किसानों के साथ लंगर खाया. इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल भी प्लेट लेकर लाइन में दिखे. बता दें कि आज किसान-सरकार के बीच 7वें दौर की बातचीत चल रही है.
किसानों और सरकार के बीच लंबे वक्त से बातचीत विज्ञान भवन में हो रही है. इस बीच विज्ञान भवन के बाहर ही लंगर की व्यवस्था की गई है. किसानों के लिए खाना भी हर बार की तरह उनके स्थान से ही आया है, पिछली बैठकों में किसानों ने सरकार द्वारा दिए गए भोजन को खाने से इनकार किया था.
कृषि कानून के मसले पर किसान संगठनों और भारत सरकार के बीच बातचीत शुरू हो गई है. विज्ञान भवन में हो रही इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए 40 किसान संगठन पहुंचे हैं. जबकि सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, पीयूष गोयल बैठक में शामिल हैं. किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कानून वापस होने चाहिए.
किसानों और सरकार के बीच कुछ देर में बातचीत शुरू होनी है. इससे पहले किसान यूनियन (दाओबा) के मंजीत सिंह ने कहा कि अगर सरकार चाहती है कि आंदोलन खत्म हो, तो उन्हें तीनों कानून वापस लेने चाहिए. पीएम कहते हैं कि सरकार किसानों के साथ है, तो उन्हें हमारी मांग माननी चाहिए. किसान संगठनों का कहना है कि उन्हें कोई संशोधन नहीं चाहिए बल्कि कानून वापस होने चाहिए.
सरकार से बातचीत से पहले किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि हमें उम्मीद है सरकार को कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ होगा. हमारा रुख सरकार की वजह से अड़ियल हुआ है, ये किसान सिर्फ कारोबारियों के फायदे वाला है. हम सिर्फ कानून वापसी पर चर्चा करेंगे. हमारी ओर से अब 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालने की तैयारी की जा रही है.
किसान संगठनों और सरकार के बीच आज फिर बातचीत होनी है. बुधवार सुबह सिंघु बॉर्डर से किसान नेता विज्ञान भवन के लिए रवाना हो गए हैं. कृषि कानून के मसले पर दोनों पक्षों में होने वाली ये छठे राउंड की बातचीत है.
केंद्रीय मंत्री सोमप्रकाश का कहना है कि उन्हें उम्मीद है आज ही किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा. सरकार किसानों के साथ खुले मन से बात कर रही है, जो भी सुझाव आएंगे उसपर विचार किया जाएगा.
सरकार के साथ बातचीत से पहले किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार कानून वापस नहीं लेगी तो प्रदर्शन खत्म नहीं होगा. सरकार को कानून वापस लेना ही पड़ेगा, संशोधन पर बात नहीं बनेगी.
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कृषि कानून को लेकर लगातार कांग्रेस केंद्र सरकार को घेर रही है. ऐसे में राजनाथ सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि वो एक किसान परिवार में पैदा हुए हैं, ऐसे में वो राहुल गांधी से अधिक खेती के बारे में जानते हैं. कृषि कानूनों को किसानों की भलाई के लिए लाया गया है.
किसान आंदोलन में शामिल किसानों पर खालिस्तानी समर्थक होने का आरोप लगने पर राजनाथ सिंह ने कहा कि किसानों पर इस तरह का आरोप नहीं लगना चाहिए. हम किसानों का सम्मान करते हैं, वो हमारे अन्नदाता हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार किसानों के साथ कृषि कानून के हर मसले पर चर्चा करने को तैयार है, नए कानून किसानों की भलाई के लिए हैं. अगर किसी को कोई दिक्कत है तो सरकार चर्चा को तैयार है.
केंद्र सरकार की ओर से कई बार कहा जा चुका है कि वो कृषि कानून वापस नहीं लेगी. ऐसे में किसानों से चर्चा कर उनकी समस्याओं का हल करने को तैयार है. बीते दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पीयूष गोयल के बीच लंबे दौर की बातचीत हुई, जिसमें किसानों संग मुलाकात की रणनीति बनाई गई.
किसानों की ओर से सरकार के साथ चर्चा करने से पहले ही एक जवाब भेजा गया था. जिसमें किसानों ने कहा था कि वो अपने निश्चित चार मुद्दों पर ही चर्चा करना चाहते हैं, जिनमें कृषि कानून के वापसी के तरीके, बिजली बिल से जुड़े कानून की वापसी, एनसीआर में प्रदूषण को लेकर बिल पर चर्चा और पक्की एमएसपी पर बात करेंगे.