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किसान संगठनों ने 2 दिन के लिए टाला दिल्ली कूच, आंदोलन में एक प्रदर्शनकारी की मौत का दावा

किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत का हरियाणा पुलिस ने खंडन किया है. पुलिस का कहना है कि अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक बुधवार को किसान आंदोलन में किसी भी शख्स की मौत नहीं हुई है. यह सिर्फ अफवाह है.

किसान प्रदर्शन किसान प्रदर्शन
अमित भारद्वाज
  • नई दिल्ली,
  • 21 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:47 PM IST

पंजाब और हरियाणा के किसान MSP सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में हरियाणा बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि बुधवार को पुलिस से झड़प के दौरान 21 साल के एक किसान की मौत हो गई. हालांकि, पुलिस ने इस दावे को अफवाह बताते हुए खारिज किया है. इस बीच किसान संगठनों ने दिल्ली कूच अगले दो दिनों गुरुवार और शुक्रवार के लिए टाल दिया है. शुक्रवार शाम को किसान संगठनों की बैठक में आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा. 

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किसान नेता बलदेव सिरसा के मुताबिक, बठिंडा के रहने वाले 21 साल के शुभकरण सिंह की संगरूर-जिंद को जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर बुधवार को मौत हो गई. 

पटियाला के राजिंदर अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट एचएस रेखी का कहना है कि खनौरी से अस्पताल में तीन लोगों को लाया गया था, जिनमें से एक की मौत हो गई. रेखी का कहना है कि जिस शख्स की मौत हुई है, उसके सिर पर चोट के निशान थे जबकि बाकी दोनों लोगों की हालत स्थिर है.

हालांकि, हरियाणा पुलिस ने सोशल मीडिया पोस्ट पर बताया कि उन्हें बॉर्डर पर अभी तक किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत की सूचना नहीं मिली है.

हरियाणा पुलिस की इस सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया कि अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक बुधवार को किसान आंदोलन में किसी भी शख्स की मौत नहीं हुई है. यह कोरी अफवाह है. दाता सिंह-खनौरी बॉर्डर पर दो पुलिसकर्मियों और एक प्रदर्शनकारी के घायल होने की सूचना है.

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किसानों का दिल्ली कूच दो दिन के लिए टला

किसानों ने दिल्ली कूच गुरुवार से दो दिन तक के लिए रोक दिया है. किसान नेता सरवन सिंह पंढेर का कहना है कि दिल्ली मार्च को दो दिनों के लिए टाल दिया गया है. शुक्रवार शाम को आंदोलन की आगे की रणनीति तय की जाएगी. आगे की रणनीति के बारे में शुक्रवार शाम को जानकारी दी जाएगी. बीते रविवार को किसानों और सरकार के बीच हुई चौथे दौर की बातचीत असफल रही थी. इसके बाद से ही  किसान दिल्ली की सीमा में दाखिल होना चाहते हैं. ऐसे में सरकार ने किसानों से पांचवें दौर की बातचीत का भी ऑफर दिया है. 

किसान प्रदर्शन में एक शख्स की मौत पर क्या बोले भगवंत मान?

खनौरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान 21 साल के एक किसान की मौत पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने वीडियो जारी कर संवेदना जताई है. भगवंत मान ने कहा कि आज खनौरी बॉर्डर पर एक घटना हुई, 21 साल के शुभकरण की मौत हो गई. जब मुझे इसका पता चला तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए. मुझे बहुत दुख हुआ कि 21 साल की उम्र में शुभकरण की मौत हो गई. उसकी मां की पहले ही मौत हो गई थी, उसकी दादी ने उसे पाला था. वो दो बहनों का एकलौता भाई था.

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मान ने कहा कि अगर हरियाणा सरकार उसे बॉर्डर पर नहीं रोकती तो वो बाकी किसानों के साथ दिल्ली पहुंच जाता. ये किसान तो दिल्ली जाने के लिए ही अपने घरों से निकले थे. ये याद रखने की जरूरत है कि इस देश में 90 फीसदी कुर्बानी पंजाबियों ने दी है और आज उस आजादी को कायम रखने के लिए भी हम कुर्बानी दे रहे हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा कि हरियाणा सरकार से तो कोई झगड़ा भी नहीं है, लेकिन वो किसानों को क्यों रोक रही है. दिल्ली की सीमा पर स्थिति केंद्र सरकार के नियंत्रण में है. इस पर अब सरकार को फैसला लेना है कि किसानों के आंदोलन के कोई स्टेडियम निर्धारित करें या फिर उन्हें जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की मंजूरी दी जाए.

'दोषी अफसरों पर लेंगे एक्शन'

मान ने कहा कि शुभकरण आंदोलन में कोई फोटो खिंचाने नहीं गया था. वह वहां अपनी फसलों के सही दाम की मांग के वास्ते गया था. शुभकरण की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी और जांच के आदेश दिए जाएंगे. जो भी शुभकरण की मौत का जिम्मेदार है, उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. पंजाब सरकार शुभकरण के परिवार को आर्थिक सहायता भी देगी.

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शुभकरण की मौत पर क्या बोले राहुल गांधी?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने किसानों के प्रदर्शन के दौरान 21 साल के शुभकरण की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि खनौरी बॉर्डर पर युवा किसान शुभकरण सिंह की फायरिंग में मौत की खबर ह्रदयविदारक है, मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के साथ हैं. पिछली बार 700 से अधिक किसानों का बलिदान लेकर ही माना था मोदी का अहंकार, अब वो फिर से उनकी जान का दुश्मन बन गया है. मित्र मीडिया के पीछे छिपी भाजपा से एक दिन इतिहास किसानों की हत्या का हिसाब जरूर मांगेगा.

'युवा किसान की मौत पीड़ादायक'

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी शुभकरण की मौत पर संवेदना जताते हुए कहा कि बठिंडा के युवा किसान शुभकरण सिंह की फायरिंग में हुई मौत बेहद पीड़ादायक है. 
 

कौन था शुभकरण सिंह?

पंजाब को हरियाणा से जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक प्रदर्शनकारी शुभकरण सिंह की हुई मौत के बाद किसान लगातार भड़के हुए हैं. वह किसान आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेता रहा है. इससे पहले तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन में भी वह शामिल हुआ था. बीते 13 फरवरी को भी शुभकरण किसानों के साथ खनौरी बॉर्डर पहुंचा था. 

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शुभकरण की मां की पहले ही मौत हो चुकी है. उसके पिता चरणजीत सिंह स्कूल वैन ड्राइवर है. शुभकरण की परवरिश उसकी दादी ने ही की है. वह दो बहनों का एकलौता भाई था. बताया जा रहा है कि शुभकरण की साढ़े तीन एकड़ जमीन है. 

खनौरी बॉर्डर पर कैसे हैं हालात?

पंजाब को हरियाणा से जोड़ने वाले खनौरी बॉर्डर पर बुधवार को स्थिति तनावपूर्ण रही. पहले खबर आई कि पुलिस से मुकाबला करने के लिए किसानों ने खनौरी बॉर्डर के पास परालियों में मिर्च पाउडर मिलाकर आग लगा दी है. इससे उठे जहरील धुएं से सुरक्षाकर्मियों को खासी परेशानी हुई. कई पुलिसकर्मियों के गंभीर रूप से घायल होने की बात कही गई . 

इस बीच हरियाणा पुलिस ने भी दावा किया कि किसानों ने लाठी, डंडों, पत्थरों और गंडासों की मदद से पुलिस पर हमला किया गया, जिसमें पुलिसकर्मी घायल हुए. वहीं, स्मोक बम से बचने के लिए किसान चेहरे पर गीले कपड़े से लेकर कोलगेट लगाने तक के जुगाड़ लगा रहे हैं.

इस बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबियत बिगड़ गई है. उन्हें पटियाला के राजिंदर अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में भर्ती कराया गया है. कहा जा रहा है कि शंभू बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले दागे जाने की वजह से उन्हें तकलीफ हुई. इस बीच हरियाणा के सात जिलों में इंटरनेट बैन 23 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

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किसानों की क्या है मांग?

किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानूनी गारंटी की है. किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी पर कानून लेकर आए. किसान एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं.

किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनसे एमएसपी की गारंटी पर कानून लाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका. 

स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना कीमत देने की सिफारिश की थी. आयोग की रिपोर्ट को आए 18 साल का वक्त गुजर गया है, लेकिन एमएसपी पर सिफारिशों को अब तक लागू नहीं किया गया है. और किसानों के बार-बार आंदोलन करने की एक बड़ी वजह भी यही है.

इसके अलावा किसान पेंशन, कर्जमाफी, बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी न करने, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ित किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं.

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