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नरम हुआ किसानों का रुख! राकेश टिकैत बोले- सरकार से बात आगे बढ़ी, शाम तक सब साफ होगा

किसान आंदोलन को लेकर आज का दिन अहम है. सरकार की ओर से किसानों को लिखित प्रस्ताव दिया जा रहा है. बीते दिन अमित शाह और किसानों के बीच हुई बैठक में इसपर सहमति बनी थी.

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (PTI) भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (PTI)
कुमार कुणाल/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:41 AM IST
  • किसानों को आज मिलेगा प्रस्ताव
  • संशोधनों पर सरकार देगी प्रस्ताव
  • शाम तक सब साफ होगा: टिकैत

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद किसानों का रुख कुछ नरम होता दिख रहा है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत का कहना है कि आज सरकार के प्रस्ताव के बाद किसान आपस में चर्चा करेंगे, ऐसे में उम्मीद है कि शाम तक सब कुछ साफ हो जाएगा. 

राकेश टिकैत के मुताबिक, कल उनकी गृह मंत्री अमित शाह के साथ लंबी बात हुई. जिसके बाद अब पहली बार सरकार कोई लिखित प्रस्ताव दे रही है, हम हां या ना की स्टेज से आगे बढ़े हैं. राकेश टिकैत के मुताबिक, अब सरकार के साथ होने वाली छठे राउंड की मीटिंग नहीं होगी, सिर्फ लिखित प्रस्ताव पर किसान चर्चा करेंगे. 

राकेश टिकैत ने बताया कि किसान संगठनों में कुछ दल नरम हैं तो कुछ गरम, ऐसे में हर किसी को साथ लेकर चलना पड़ेगा. किसान बातचीत चाहता है और अपनी समस्याओं का समाधान चाहता है.

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हालांकि, राकेश टिकैत से इतर किसान नेता सुखविंदर सिंह का कहना है कि सरकार के प्रपोजल में कुछ नया निकलने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को कुछ देने वाली नहीं है लेकिन हमारी भी मांगें तीनों कानूनों को वापस करना, MSP को लेकर गारंटी कानून बनाना है. सुखविंदर सिंह ने कहा कि जब तक सरकार कानूनों को वापस नहीं करती है, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा. 

एक और किसान नेता जसवीर सिंह का कहना है कि देखते हैं सरकार क्या प्रपोजल भेजती है, उसके बाद किसान नेताओं की बैठक होगी. जिसमें आगे की रूपरेखा तय होगी. लेकिन इतना तय है कि तीनों कानूनों को वापस और एमएसपी को लेकर कानून से कम में हम मानने वाले नहीं हैं.

गौरतलब है कि मंगलवार को भारत बंद के बाद करीब एक दर्जन नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसी बैठक के बाद तय हुआ था कि सरकार लिखित प्रस्ताव भेजेगी और छठे राउंड की बैठक रद्द हो गई है. अब सरकार के लिखित प्रस्ताव पर किसानों का क्या रुख रहता है, उससे ही आंदोलन की दिशा तय होगी. हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि कानून वापस नहीं होंगे. 

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