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महीनों का राशन साथ लेकर आए हैं किसान, दिल्ली में लंबी लड़ाई की तैयारी

दिल्ली कूच के इरादे से निकले पंजाब और हरियाणा के किसान लंबी लड़ाई के मूड में हैं. अपने साथ किसान राशन और रहने का सामान साथ लाए हैं लेकिन उन्हें बॉर्डर पर रोका जा रहा है.

किसानों का हल्ला बोल जारी (PTI) किसानों का हल्ला बोल जारी (PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST
  • किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी
  • पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर तनाव बढ़ा

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का हल्ला बोल जारी है. गुरुवार को पंजाब से चले किसानों ने हरियाणा के रास्ते दिल्ली कूच किया. लेकिन, पुलिस द्वारा बॉर्डर पर ही किसानों को रोक दिया गया. पुलिस के साथ किसानों की झड़प भी हुई लेकिन किसान पीछे हटने का नाम नहीं ले रहे हैं.

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किसान अपने साथ ट्रकों में राशन भरकर लाए हैं और लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं. किसानों के पास राशन, दूध, सब्जी, कंबल, कपड़े, गैस, चूल्हा समेत अन्य सामान है. 

अंबाला-पटियाला बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान दिल्ली कूच के लिए निकले, लेकिन पुलिस द्वारा रोक दिया गया. पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले मारे और पानी की बौछारें छोड़ीं. इस दौरान किसान ट्रक, ट्रैक्टर पर मुस्तैद रहे.

किसानों के प्रदर्शन पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि किसानों को तीन दिसंबर को फिर बात करने के लिए बुलाया गया है. केंद्र की ओर से पहले भी किसानों के साथ बातचीत की कोशिश की गई है, लेकिन कोई हल नहीं निकला.

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इन्हीं ट्रकों और ट्रैक्टरों में किसान अपना राशन, रहने का सामान लाए हैं ताकि अगर प्रदर्शन और धरना लंबे वक्त तक चले तो इस्तेमाल किया जा सके. किसान संगठनों ने चेतावनी दी है कि उन्हें दिल्ली जाने दिया जाए, अगर कहीं रोका गया तो उसी जगह पर धरना प्रदर्शन शुरू कर देंगे.

बता दें कि इस प्रदर्शन में करीब 30 से अधिक किसान संगठन शामिल हैं, जो कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. पंजाब से चले ये किसान हरियाणा के रास्ते दिल्ली आने की कोशिश में हैं, ताकि राजधानी में ही प्रदर्शन कर सकें. किसानों की ओर से पंजाब-हरियाणा बॉर्डर के अलग-अलग हिस्सों से दिल्ली आने की कोशिश की जा रही है.

दरअसल, किसानों की मांग है कि इन कानूनों को वापस लिया जाए और एमएसपी, मंडी पर पहले जैसी स्थिति ही बहाल कर दी जाए. किसान संगठनों की केंद्र के साथ कई दौर की बात भी हुई है लेकिन कोई समझौता नहीं हो सका.

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