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शंभू बॉर्डर बनी लक्ष्मण रेखा... जानें यहां किसानों पर क्यों छोड़े जा रहे आंसू गैस के गोले

किसानों का जत्था जब भी यहां से हरियाणा की तरफ आगे बढ़ने की कोशिश करता है तो पुलिस और सुरक्षाबल के जवान उन पर ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़ देते हैं. इसके बाद बैरिकेड्स हटाकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे किसान वापस पीछे हट जाते हैं.

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अरविंद ओझा
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  • 21 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

पंजाब-हरियाणा की शंभू बॉर्डर पिछले 9 दिनों से किसान जमा हैं. दिल्ली कूच के लिए यहां जमा हुए किसानों को पुलिस और सुरक्षाबलों ने बैरिकेड्स और कंक्रीट की दीवारों के जरिए रोक रखा है.

किसानों का यह जत्था जब भी यहां से हरियाणा की तरफ आगे बढ़ने की कोशिश करता है तो पुलिस और सुरक्षाबल के जवान उन पर ड्रोन से आंसू गैस के गोले छोड़ देते हैं. इसके बाद बैरिकेड्स हटाकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे किसान वापस पीछे हट जाते हैं. आइए आपको बतातें कि आखिर क्यों यहां पर जमा किसानों पर रुक-रुककर आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं.

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प्रदर्शनकारियों और किसानों के बीच है गैप

दरअसल, शंभू बॉर्डर हरियाणा और पंजाब को जोड़ने वाली दो पुलिया हैं, जिस पर हरियाणा पुलिस और RAF के जवान तैनात हैं. इससे आगे जब पंजाब की तरफ बढ़ते हैं तो वहां पर किसान आंदोलनकारी हैं. हरियाणा पुलिस और किसान प्रदर्शनकारियों के बीच नो मैन्स लैंड है. यानी की हरियाणा पुलिस और किसान प्रोटेस्टर के बीच एक गैप है. किसानों ने अपनी तरफ से रस्सियों के सहारे एक लक्ष्मण रेखा खींच रखी है.

13 फरवरी से बॉर्डर पर डटे

प्रोटेस्ट में मौजूद कुछ नौजवान जब इस लक्ष्मण रेखा को क्रॉस करते हैं या जब हरियाणा पुलिस को आगे बढ़कर चैलेंज करते हैं तो हरियाणा पुलिस और RAF के जवान 2-4 आंसू गैस के गोले छोड़ते देते हैं. इसके बाद प्रदर्शनकारी वापस अपनी जगह चले जाते हैं. ऐसा होने पर आंसू गैस के गोले छोड़े जाने का सिलसिला थम जाता है. 13 फरवरी के बाद आज 21 फरवरी तक एक दो दिन छोड़कर कभी कभी 2-3 आंसू गैस के गोले छोड़े जाते रहे हैं. इसके अलावा यहां शांति बनी रहती है.

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