दिल्ली की सरहद पर पिछले 47 दिनों से जमे प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली निकालने की मंशा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली न निकालने का आदेश सुप्रीम कोर्ट जारी करे. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को केंद्र की इस अर्जी पर सुनवाई कर सकता है.
किसान आंदोलन को लेकर याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के तरफ से समिति के समक्ष पेश होने के सुझाव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है. किसान संगठनों का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित किसी भी समिति के सामने पेश नहीं होंगे. किसानों ने इसके पीछे केंद्र सरकार की जिद और किसानों के प्रति लापरवाह रवैये को जिम्मेदार बताया है. संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की रुख की वजह से उन्होंने यह फैसला लिया है.
कृषि कानून को लेकर किसानों के आंदोलन पर केंद्र सरकार के रवैये से सुप्रीम कोर्ट निराश है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर चल रही सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि कानून आप होल्ड करेंगे या फिर हम करें. कोर्ट ने पूछा कि क्या यह नया कृषि कानून कुछ दिन के लिए होल्ड नहीं किया जा सकता, क्योंकि हमें नहीं पता है कि किसानों और सरकार के बीच क्या बातचीत चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है. ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके. हमारे लिए लोगों का हित जरूरी है, अब कमेटी ही बताएगी कि कानून लोगों के हित में हैं या नहीं. अब इस मामले को कल फिर सुना जाएगा, कमेटी को लेकर भी कल ही निर्णय हो सकता है.
अदालत में सरकार की ओर से कहा गया कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे. किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा. जिसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल ना बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं. सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए.
हालांकि, किसान महापंचायत की ओर से कहा गया कि उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है. वो कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से ही जारी रखेंगे. चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रदर्शन जैसे चल रहा है, चलता रहे. हम बस ये अपील करेंगे कि सड़क की जगह किसी और स्थान पर बैठें. अगर किसी की जान जाती है या संपत्ति को नुकसान होता है, तो जिम्मेदारी कौन लेगा? चीफ जस्टिस ने किसान संगठन के वकील से कहा कि आप प्रदर्शन में बैठे बुजुर्गों और महिलाओं को मेरा संदेश हैं, और कहें कि चीफ जस्टिस चाहते हैं कि आप घर चले जाएं.
अदालत में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आंदोलन को खत्म नहीं करना चाह रहे हैं, आप इसे जारी रख सकते हैं. हम ये जानना चाहते हैं कि अगर कानून रुक जाता है, तो क्या आप आंदोलन की जगह बदलेंगे जबतक रिपोर्ट ना आए? अगर कुछ भी गलत होता है, तो हम सभी उसके जिम्मेदार होंगे. अगर किसान विरोध कर रहे हैं, तो हम चाहते हैं कि कमेटी उसका समाधान करे. हम किसी का खून अपने हाथ पर नहीं लेना चाहते हैं. लेकिन हम किसी को भी प्रदर्शन करने से मना नहीं कर सकते हैं. हम ये आलोचना अपने सिर नहीं ले सकते हैं कि हम किसी के पक्ष में हैं और दूसरे के विरोध में.
सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि इस तरह से किसी कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. इसपर अदालत ने कहा कि हम सरकार के रवैये से खफा हैं और हम इस कानून को रोकने की हालत में हैं. अदालत ने कहा कि अब किसान अपनी समस्या कमेटी को ही बताएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं कह कह हैं कि हम किसी भी कानून को तोड़ने वाले को प्रोटेक्ट करेंगे, कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के हिसाब से कारवाई होनी चाहिए. हम तो बस हिंसा होने से रोकना चाहते हैं. कोर्ट में AG ने कहा कि किसान 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे, इसका इरादा रिपब्लिक डे परेड में व्याधान डालना है. किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि ऐसा नहीं होगा, राजपथ पर कोई ट्रैक्टर नहीं चलेगा.
चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार की ये दलील नहीं चलेगी कि इसे किसी और सरकार ने शुरू किया था. आप किस तरह हल निकाल रहे हैं? सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को कहा कि 41 किसान संगठन कानून वापसी की मांग कर रहे हैं, वरना आंदोलन जारी करने को कह रहे हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास ऐसी एक भी दलील नहीं आई जिसमें इस कानून की तारीफ हुई हो. अदालत ने कहा कि हम किसान मामले के एक्सपर्ट नहीं हैं, लेकिन क्या आप इन कानूनों को रोकेंगे या हम कदम उठाएं. हालात लगातार बदतर होते जा रहे हैं, लोग मर रहे हैं और ठंड में बैठे हैं. वहां खाने, पानी का कौन ख्याल रख रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि हमें नहीं पता कि महिलाओं और बुजुर्गों को वहां क्यों रोका जा रहा है, इतनी ठंड में ऐसा क्यों हो रहा है. हम एक्सपर्ट कमेटी बनाना चाहते हैं, तबतक सरकार इन कानूनों को रोके वरना हम एक्शन लेंगे.
चीफ जस्टिस ने कहा कि हम कानून वापसी की बात नहीं कर रहे हैं, हम ये पूछ रहे हैं कि आप इसे कैसे संभाल रहे हैं. हम ये नहीं सुनना चाहते हैं कि ये मामला कोर्ट में ही हल हो या नहीं हो. हम बस यही चाहते हैं कि क्या आप इस मामले को बातचीत से सुलझा सकते हैं. अगर आप चाहते तो कह सकते थे कि मुद्दा सुलझने तक इस कानून को लागू नहीं करेंगे. अदालत ने कहा कि हमें पता नहीं कि आप समस्या का हिस्सा हैं या समाधान का हिस्सा हैं.
सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है. सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी.
हालांकि, चीफ जस्टिस ने इसपर नाराजगी व्यक्त की. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है?
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एक ओर सुप्रीम कोर्ट में आज किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई है, दूसरी ओर राजनीतिक हलचल भी जारी है. आज दिल्ली में पूर्व केंद्रीय मंत्री और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से लेफ्ट नेताओं की मुलाकात होनी है. सीताराम येचुरी, डी. राजा किसान आंदोलन को लेकर शरद पवार से मिलेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में अब से कुछ देर में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. इनमें कृषि कानून में दिक्कतों और सड़क पर जारी आंदोलन को लेकर दायर याचिका भी शामिल है.
करनाल: सीएम खट्टर की सभा से पहले हंगामा करने वाले 71 लोगों पर FIR, हैलिपेड पर किया था कब्जा
करनाल घटना की भारतीय किसान यूनियन नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने जिम्मेदारी ली है. गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि कृषि कानून को लेकर अगर बीजेपी नेता कार्यक्रम आयोजित करेंगे तो हम उसका विरोध करेंगे.
हरियाणा के करनाल में बीते दिन मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर की सभा वाली जगह पर हुए बवाल पर अब एक्शन हुआ है. पुलिस के द्वारा इस मामले में 71 लोगों पर FIR दर्ज कर ली गई है. इस मामले में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा है. बता दें कि किसानों के हंगामे के कारण ही सीएम खट्टर को अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से इतर किसानों का आंदोलन लगातार चल रहा है. दिल्ली की सर्दी में हजारों किसान डटे हुए हैं, बीते दिनों एक और किसान की आत्महत्या करने की बात सामने आई. दूसरी ओर किसानों के मसले को लेकर विपक्ष लगातार मोदी सरकार को घेर रहा है. उधर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी पर हमला बोला है.
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को कृषि कानून और बॉर्डर पर जारी प्रदर्शन को लेकर सुनवाई होनी है. किसानों के साथ पिछली बैठक में जब कोई नतीजा नहीं निकल रहा था, तब सरकार ने यही कहा था कि अब मामले को सुप्रीम कोर्ट ही संभाले तो बेहतर. हालांकि, किसान संगठनों का कहना है कि इस विवाद में अदालत का रोल नहीं है, वो अपना आंदोलन जारी रखेंगे.