
गणतंत्र दिवस के दिन निकली किसानों की ट्रैक्टर परेड में जमकर हिंसा हुई. दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में किसान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष हुआ, कई लोग घायल हुए और काफी जगह तोड़फोड़ हुई. लेकिन सबसे बड़ा विवाद लाल किले फहराए गए झंडे, वहां ही तोड़फोड़ को लेकर हुआ है. लाल किले के प्रांगण में हजारों प्रदर्शनकारी घुसे, वहां मौजूद सामानों को तोड़ा और प्राचीर के पास निशान साहिब फहरा दिया.
दिल्ली पुलिस ने किसानों को जो रूट दिया था, उसमें लालकिले तक जाने की इजाजत नहीं थी. लेकिन फिर भी वहां प्रदर्शनकारी पहुंचे. अब इस पूरे विवाद को लेकर दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं की ओर से क्या कहा गया है, एक नज़र डालिए...
दिल्ली पुलिस की ओर से क्या कहा गया?
ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर बुधवार को दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. हिंसा के बाद अबतक हुए एक्शन की जानकारी पुलिस ने दी, साथ ही किसान नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए. दिल्ली पुलिस कमिश्नर के मुताबिक, किसान नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को भड़काने का काम किया है.
पुलिस कमिश्नर ने किसान नेताओं पर विश्वासघात का आरोप लगाते हुए कहा कि प्लान के तहत उग्र लोगों को आगे कर दिया गया और सबकुछ सुनियोजित तरीके से किया गया. पुलिस के पास एक्शन के सारे विकल्प थे लेकिन हमने संयम से काम लिया.
पुलिस कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 25 जनवरी से ही प्रदर्शनकारियों को भड़काने का काम किया गया, कई संगठनों ने दिल्ली पुलिस द्वारा तय रूट नहीं लिया. यही कारण रहा कि हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी तय रूट से आगे निकलते हुए लाल किले तक पहुंच गए.
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किसान नेताओं की ओर से क्या बयान दिया गया?
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई घटना से खुद को अलग कर लिया गया. बुधवार को दिल्ली में सिंघु बॉर्डर के पास सभी किसान संगठनों की बैठक हुई, जिसमें हिंसा की निंदा की गई और पुलिस पर ही प्रदर्शनकारियों को उलझाने, साजिश रचने का आरोप लगा दिया गया.
किसान नेता राकेश टिकैत ने हिंसा के बाद बयान दिया कि दिल्ली पुलिस ने तय रूट पर ही बैरिकेडिंग की थी, जिसके कारण ट्रैक्टर चालक जिन्हें दिल्ली का रूट कम पता था, वो आगे बढ़ते गए और लाल किले तक जा पहुंचे.
लालकिले की हिंसा को लेकर शिवकुमार कक्का की ओर से भी कहा गया कि किसानों के आंदोलन में ट्रैक्टर परेड के दौरान कुछ लोग घुस आए थे, जिनपर हमें नज़र रखनी चाहिए थी. लेकिन हमसे चूक हुई. संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बीते दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि तिरंगा सबकी शान है और उसका अपमान करने वाले पर एक्शन होना चाहिए.
किसान संगठनों के मुताबिक, लाल किले पर जो भी हुआ वो किसी संगठन या किसानों ने नहीं बल्कि एक व्यक्ति ने ही किया है. इस मामले पर खेद जताते हुए किसानों के दो संगठन आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर चुके हैं.
किसान नेताओं की ओर से लाल किले की हिंसा को लेकर दीप सिद्धू को जिम्मेदार ठहराया गया, जो कि झंडा फहराने के दौरान वहां मौजूद था. किसान नेताओं का कहना है कि दीप सिद्धू बीजेपी का ही आदमी है. जबकि दीप की ओर से बयान जारी किया गया है कि लाल किले पर तिरंगे का अपमान नहीं हुआ है.
लाल किला परिसर में किस तरह की घटना हुई थी?
आपको बता दें कि ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों की संख्या में ट्रैक्टर बैरिकेड तोड़कर लालकिले की ओर से आ गए थे, जिसके बाद हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी लाल किले में घुसे. यहां लाल किले की प्राचीर पर निशान साहिब का झंडा लगाया गया, परिसर में मौजूद झांकियों को तोड़ दिया गया, एसी को नुकसान पहुंचाया गया. इसके अलावा पुलिसकर्मियों पर भी जमकर हमला किया गया, लालकिले में ऊंचाई से गिरते पुलिसकर्मियों की तस्वीरें हर किसी के सामने आईं.
लाल किले की घटना को लेकर अबतक क्या हुआ एक्शन?
लाल किले में जो तोड़फोड़ हुई है उसकी रिपोर्ट ASI ने तैयार की है, जो कि संस्कृति मंत्रालय को सौंपी गई है. साथ ही बीते दिन केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने भी लाल किले का दौरा किया था. लाल किले की घटना को लेकर ही दिल्ली पुलिस ने दीप सिद्धू और लक्खा सिधाना के खिलाफ केस दर्ज किया है. आरोप है कि इन्होंने ही प्रदर्शनकारियों को लाल किले तक आने के लिए उकसाया.
साथ ही लाल किले पर झंडा फहराने वाले शख्स जुगराज सिंह की पहचान हुई है, जो पंजाब के तरनतारन से ही है. दिल्ली हिंसा को लेकर अभी तक पुलिस ने 25 से अधिक एफआईआर दर्ज की हैं, कई लोगों को गिरफ्तार किया है और हिरासत में भी लिया है.