
कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन अब भी जारी है. इस आंदोलन को शुरु हुए एक महीना होने वाला है. दिल्ली में लगातार पारा गिर रहा है इसके बावजूद किसान सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसान लगातार सरकार ने अपनी मांगे पूरी करने के लिए कह रहे हैं. फिलहाल, किसानों ने अपने आंदोलन को और रफ्तार देने के लिए रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है.
मंगलवार को किसानों का नया ग्रुप उपवास पर बैठेगा. बता दें कि सोमवार को भी किसानों का एक ग्रुप उपवास पर बैठा था. इसी के साथ किसान दिवस यानी 23 दिसंबर के लिए भी बड़ी तैयारी की गई है. किसानों ने कहा है कि सभी लोग इस दिन अपने घर पर दोपहर का खाना ना बनाएं और किसानों का समर्थन करें.
इस बीच केंद्र सरकार ने किसानों को पत्र लिख वार्ता करने के लिए तारीख मांगी है. इस पर आंदोलनकारी किसानों ने सोमवार को दावा किया कि अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख की मांग करने वाली केंद्र सरकार के पत्र में कुछ भी नया नहीं है.
किसान यूनियन को लिखा पत्र में केंद्रीय कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव, विवेक अग्रवाल ने रविवार को उनसे कानूनों में संशोधन के अपने पहले प्रस्ताव पर अपनी चिंताओं को बताने के साथ ही अगले दौर की वार्ता के लिए एक तारीख चुनने के लिए कहा, ताकि चल रहा आंदोलन जल्द से जल्द खत्म हो सके. फिलहाल, किसान यूनियनों की तरफ से अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. किसान नेताओं ने सोमवार को कहा कि वे हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं.
किसान नेता ने कहा कि इनके पत्र में कुछ भी नया नहीं है. हमने पहले ही नए कृषि कानूनों में संशोधन के सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. अपने पत्र में, सरकार ने हमें इसके प्रस्ताव पर चर्चा करने और इसके लिए एक और दौर की बातचीत के लिए तारीख देने को कहा है. एक अन्य किसान नेता अभिमन्यु कोइरा ने कहा कि क्या इन्हें हमारी मांग का पता नहीं है? हम सिर्फ नए कृषि कानूनों को रद्द करना चाहते हैं. पत्र में केंद्रीय कृषि संयुक्त सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार किसानों द्वारा उठाई गई सभी चिंताओं को हल करने के लिए एक उचित समाधान खोजने के लिए खुले दिल से सभी प्रयास कर रही है. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि क्या इस मुद्दे पर (सरकार के प्रस्ताव), हमने उनसे पहले बात नहीं की, हम फिलहाल सरकारी पत्र का जवाब देने के बारे में चर्चा कर रहे हैं.
एक तरफ किसान मजबूती से सरकार के खिलाफ डटे हैं तो दूसरी तरफ विपक्षी दलों का भी उन्हें समर्थन मिल रहा है. विपक्ष ने भी शिरोमणि अकाली दल के साथ आपातकालीन संसद सत्र की मांग करने का दबाव बनाया है. जबकि केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार ने अधिनियमों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के लिए बुधवार को एक विशेष सत्र बुलाने का फैसला किया है.