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किसान आंदोलन: केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा, आज 'सुप्रीम' आदेश दे सकता है कोर्ट

केंद्र ने कोर्ट से कहा कि प्रदर्शनकारियों की "गलत धारणा" को दूर करने की जरूरत है. कृषि मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदर्शनकारियों में यह गलत धारणा है कि केंद्र सरकार और संसद ने कभी भी किसी भी समिति द्वारा परामर्श प्रक्रिया का पालन करते हुए मुद्दों की जांच नहीं की है.

किसान अब भी कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. (फाइल फोटो) किसान अब भी कृषि कानून वापस लेने की मांग पर अड़े हैं. (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:21 AM IST
  • मंगलावर को आदेश पारित कर सकता है सुप्रीम कोर्ट
  • केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
  • समिति के समक्ष पेश होने से किसान ने किया मना

किसान आंदोलन मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में प्रारंभिक हलफनामा  दाखिल किया है. केंद्र ने कोर्ट से कहा कि प्रदर्शनकारियों की "गलत धारणा" को दूर करने की जरूरत है. कृषि मंत्रालय ने शीर्ष अदालत को बताया कि प्रदर्शनकारियों में यह गलत धारणा है कि केंद्र सरकार और संसद ने कभी भी किसी भी समिति द्वारा परामर्श प्रक्रिया का पालन करते हुए मुद्दों की जांच नहीं की है.

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हलफनामे में यह भी कहा गया है कि कानून जल्दबाजी में नहीं बने हैं  बल्कि ये तो दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है. देश के किसान खुश हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विकल्प भी दिया गया है. इससे साफ है कि किसानों का कोई भी निहित अधिकार इन कानूनों के जरिए छीना नहीं जा रहा है.  हलफनामे में आगे कहा गया है कि "केंद्र सरकार ने किसानों के साथ किसी भी तरह की गलतफहमी  को दूर करने के लिए किसानों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश की है और किसी भी प्रयास में कमी नहीं की है.

केंद्र ने दाखिल की अर्जी

दिल्ली की सरहद पर पिछले 47 दिनों से जमे प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली निकालने की मंशा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली न निकालने का आदेश सुप्रीम कोर्ट जारी करे. सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को केंद्र की इस अर्जी पर सुनवाई कर सकता है.

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समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे किसान

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की तरफ से समिति गठित करने के सुझाव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया. किसान संगठनों का कहना है कि वो सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित किसी भी समिति के सामने पेश नहीं होंगे. किसानों ने इसके पीछे केंद्र सरकार की जिद और किसानों के प्रति लापरवाह रवैये को जिम्मेदार बताया है. संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की रुख की वजह से उन्होंने यह फैसला लिया है.

मंगलवार को फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट

इससे पहले प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन ने सोमवार को सुनवाई के दौरान इस बात की तरफ इशारा किया कि इस मामले को लेकर कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुना सकती है. न्यायालय की वेबसाइट पर इस संबंध में सूचना भी दी गई है. कयास लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट किसानों के मुद्दे पर अलग अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है.

कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई थी फटकार

इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को फटकार लगाई थी और कहा था कि वह केंद्र सरकार के रवैये से नाखुश है. कोर्ट ने इस दौरान केंद्र सरकार से पूछा था कि वे नए कृषि कानून पर स्टे लगाएंगे या कोर्ट खुद स्टे लगा दे. कोर्ट ने यह भी कहा कि किसान और सरकार के बीच क्या बातचीत हो रही है इसका पता हमें नहीं है. जो बातें सामने आई हैं उससे तो यही लगता है कि नया कृषि कानून जनहित में नहीं है. इस कानून को अच्छा बताने वाली एक भी याचिका दायर नहीं हुई है. हमें ये समझ में नहीं आ रहा है कि आप लोग समाधान का हिस्सा हैं या समस्या का.

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प्रदर्शनकारियों से घर लौटने की अपील

जस्टिस बोबडे ने किसानों का पक्ष रख रहे वकील से कहा कि आंदोलन में वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं क्या कर रही हैं. इस ठंड में वह सड़कों पर हैं. हम चाहते हैं कि ये लोग घर जाएं. यह बात आप किसानों तक पहुंचाएं कि देश के मुख्य न्यायाधीश चाहते हैं कि वे लोग अपने घर लौट जाएं.

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