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किसान 29 को करेंगे सरकार से सशर्त बात, कहा- पहले बताएं कृषि कानून रद्द करने की प्रक्रिया

कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में किसान मोर्चा ने कहा, 'अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है. हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की.

किसान मोर्चा की ओर से सरकार को दिया गया जवाब (फाइल-पीटीआई) किसान मोर्चा की ओर से सरकार को दिया गया जवाब (फाइल-पीटीआई)
अनीषा माथुर
  • नई दिल्ली,
  • 26 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:58 PM IST
  • सिंघु बॉर्डर पर किसानों का 31 दिनों से आंदोलन जारी
  • किसान मोर्चा ने पत्र के जरिए सरकार को दिया जवाब
  • मोर्चाः सरकार 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बैठ बुलाए

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का 31 दिनों से आंदोलन जारी है. समझौते के लिए सरकार की ओर से पिछले दिनों एक पत्र भी भेजा गया था जिस पर संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने जवाब में सरकार से 29 दिसंबर को बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा है. साथ ही अपनी 4 मांगें भी भेजी हैं. 

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए. साथ ही कृषि मंत्रालय के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र के जवाब में किसान मोर्चा ने कहा, 'अफसोस है कि इस चिठ्ठी में भी सरकार ने पिछली बैठकों के तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करने की कोशिश की है. हमने हर वार्ता में हमेशा तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग की. सरकार ने इसे तोड़-मरोड़ कर ऐसे पेश किया, मानो हमने इन कानूनों में संशोधन की मांग की थी.'

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उन्होंने कहा, 'आप अपनी चिठ्ठी में कहते हैं कि सरकार किसानों की बात को आदरपूर्वक सुनना चाहती है. अगर आप सचमुच ऐसा चाहते हैं तो सबसे पहले वार्ता में हमने क्या मुद्दे कैसे उठाए हैं, इसके बारे में गलतबयानी ना करें और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल कर किसानों के खिलाफ दुष्प्रचार बंद करें.

मोर्चा की ओर से सरकार को भेजे गए जवाब में कहा गया, 'बहरहाल, चूंकि आप कहते हैं कि सरकार किसानों की सुविधा के समय और किसानों द्वारा चुने मुद्दों पर वार्ता करने को तैयार है, इसलिए हम संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से सभी संगठनों से बातचीत कर निम्नलिखित प्रस्ताव रख रहे हैं. हमारा प्रस्ताव यह है कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे आयोजित की जाए.'

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किसानों की 4 मांगें

संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रस्तावित बैठक के लिए 4 सूत्री मांग के साथ एजेंडा तय करने का अनुरोध किया. मोर्चा की ओर से जो 4 मांगें रखी गईं वो इस प्रकार है. 

1. तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द या निरस्त करने के लिए अपनाए जाने वाली क्रियाविधि 
2. सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए लाभदायक MSP की कानूनी गारंटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान.
3. 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020' में ऐसे संशोधन जो अध्यादेश के दंड प्रावधानों से किसानों को बाहर करने के लिए जरूरी हैं.
4. किसानों के हितों की रक्षा के लिए 'विद्युत संशोधन विधेयक 2020' के मसौदे में जरूरी बदलाव.

40 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चा ने कहा कि हम फिर दोहराना चाहते हैं किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे हैं और रहेंगे.

NDA से बाहर हुई RLP

इस बीच एनडीए (NDA) की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के राष्ट्रीय संयोजक हनुमान बेनीवाल ने आज शनिवार को NDA छोड़ने का ऐलान कर दिया. उन्होंने कहा, 'मैं आज एनडीए छोड़ने का ऐलान करता हूं.' आरएलपी से पहले कृषि कानूनों के विरोध में अकाली दल भी एनडीए छोड़ चुकी है.

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हनुमान बेनीवाल पहले ही कृषि कानूनों के विरोध में संसद की तीन समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं. बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति तथा पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्श समिति से इस्तीफा दे दिया. 

जाट नेता बेनीवाल ने इससे पहले कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के पास 303 सांसद हैं जिस वजह से वह कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रही. 1,200 किलोमीटर दूर राजस्थान के किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. बेनीवाल आज सैकड़ों की संख्या में किसानों के साथ कोटपुतली पहुंचे. उन्होंने 2 लाख किसानों के साथ दिल्ली कूच करने का आह्वान किया था. 

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