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किसानों ने खारिज किया सरकार का प्रस्ताव, तीनों कृषि कानून वापस लेने पर अड़े

संयुक्त किसान मोर्चा की आज गुरुवार को हुई बैठक में सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. बैठक में तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और किसानों के खातिर सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की मांग फिर से की गई.

सयुंक्त किसान मोर्चा ने नहीं स्वीकारा सरकार का प्रस्ताव (फाइल-पीटीआई) सयुंक्त किसान मोर्चा ने नहीं स्वीकारा सरकार का प्रस्ताव (फाइल-पीटीआई)
पॉलोमी साहा
  • नई दिल्ली,
  • 21 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 11:42 PM IST
  • मारे गए किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगाः मोर्चा
  • सहमति बनने तक कानून स्थगित करने का था प्रस्ताव
  • किसान संगठनों और सरकार के बीच कल होगी बैठक

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. आंदोलन के 58वें दिन आंदोलनरत किसान संगठनों के संगठन सयुंक्त किसान मोर्चा ने सरकार की अस्थायी तौर पर कानून को स्थगित किए जाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा की आज गुरुवार को हुई आम सभा में सरकार द्वारा बुधवार को रखे गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया.

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इससे पहले किसान संगठन और सरकार के बीच कल बुधवार को 10वें दौर की बातचीत हुई थी जिसमें सरकार की ओर से प्रस्ताव दिया गया कि जब तक रास्ता नहीं निकलता तब तक एक निश्चित समय के लिए तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगा दी जाए और एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमें सरकार और किसान दोनों शामिल हों. सरकार के इस प्रस्ताव पर किसानों नेताओं ने 22 जनवरी को होने वाली अगली बैठक में जवाब देने को कहा है. इसी संबंध में किसान संगठनों की ओर से आज गुरुवार को बैठक बुलाई गई थी.

'बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा'
संयुक्त किसान मोर्चा की आज गुरुवार को हुई बैठक में सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. बैठक में तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह रद्द करने और किसानों के खातिर सभी फसलों पर लाभदायक एमएसपी के लिए एक कानून बनाने की मांग फिर से की गई.

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सयुंक्त किसान मोर्चा के डॉक्टर दर्शन पाल की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया कि सयुंक्त किसान मोर्चा इस आंदोलन में अब तक शहीद हुए 147 किसानों को श्रद्धाजंलि अर्पित करता है. इस जनांदोलन को लड़ते लड़ते ये साथी हमसे बिछड़े हैं. इनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.

'देशव्यापी हो रहा आंदोलन'
किसान मोर्चा की ओर से कहा गया कि पुलिस प्रशासन के साथ हुई बैठक में पुलिस ने दिल्ली में प्रवेश नहीं करने की बात कही तो वहीं किसानों ने दिल्ली की रिंग रोड पर परेड करने की बात दृढ़ता और जोर से रखी. शांतिपूर्ण चल रहा यह आंदोलन अब देशव्यापी हो चुका है. कर्नाटक में अनेक स्थानों पर वाहन रैलियों के माध्यम से किसान गणतंत्र दिवस के लिए एकजुट हो रहे हैं. केरल में कई जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे हैं.

मोर्चा की ओर से अन्य राज्यों में किसानों के आंदोलन के बारे में बताया गया कि उत्तराखंड के बिलासपुर और रामपुर समेत अन्य जगहों पर किसान ट्रैक्टर मार्च कर दिल्ली की किसान परेड की तैयारी कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ में किसान 23 जनवरी को राजभवन का घेराव करेंगे और एक जत्था दिल्ली की तरफ भी रवाना होगा.

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'और तेज होगा आंदोलन'

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'नवनिर्माण किसान संगठन की किसान दिल्ली चलो यात्रा, जो कि ओडिशा से चली थी, को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा बार-बार परेशान किया जा रहा है. उनके रुट बदलने से लेकर बैठकें नहीं करने के निर्देश दिए जा रहे हैं. हम प्रशासन के इस बर्ताव का विरोध करते हैं. कोलकाता में 3 दिन का विशाल महापड़ाव 20 जनवरी से 22 जनवरी तक होगा. कल हुए विशाल कार्यक्रम में हजारों लोगों ने भाग लिया. आने वाले समय मे ओर भी तेज होने की संभावना है.'

साथ ही बताया गया कि मजदूर किसान शक्ति संगठन के नेतृत्व में किसान, मजदूर और आम लोग शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंच रहे हैं. कठपुतली और गीतों के माध्यम से नव उदारवादी नीतियों का विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.

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