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दिल्ली कूच को तैयार किसान, शंभू बॉर्डर पर सीमेंट की दीवार, तोड़ने के लिए किसान साथ लाए ये 'हथियार'

किसान शंभू बॉर्डर पर पोकलेन मशीन (Poclain Machine) लेकर पहुंच गए हैं. किसान नेता नवदीप जलबेड़ा पोकलेन मशीन लेकर शंभू बॉर्डर आए हैं. पोकलेन मशीन की मदद से प्रशासन द्वारा बॉर्डर पर लगाई गई स्टील की बाड़ाबंदी को किसान हटाएंगे.

किसान आंदोलन के चलते शंभू बॉर्डर पर सीमेंट की दीवारें लगा दी गई हैं किसान आंदोलन के चलते शंभू बॉर्डर पर सीमेंट की दीवारें लगा दी गई हैं
अरविंद ओझा/श्रेया चटर्जी
  • नई दिल्ली,
  • 20 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 5:18 PM IST

किसान नेताओं और सरकार के बीच MSP सहित कई मांगों पर एक बार फिर सहमति नहीं बन पाई, जिसके बाद किसान संगठनों ने 21 फरवरी से दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है. इसे लेकर किसान तैयारियां कर रहे हैं. 

इस बीच शंभू बॉर्डर पर प्रशासन द्वारा बनाई गई सीमेंट की दीवारों को तोड़ने के लिए किसान एक खास 'हथियार' लेकर आए हैं. किसान नेता नवदीप जलबेड़ा पोकलेन मशीन (Poclain Machine) लेकर शंभू बॉर्डर पहुंच गए हैं. पोकलेन मशीन की मदद से प्रशासन द्वारा बॉर्डर पर लगाई गई सीमेंट की दीवारों को किसान हटाएंगे.

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किसानों का कहना है कि सरकार की नीयत में खोट है. सरकार हमारी मांगों पर गंभीर नहीं है. हम चाहते हैं कि सरकार 23 फसलों पर MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का फॉर्मूला तय करे. सरकार के प्रस्ताव से किसानों को कोई लाभ नहीं होने वाला है.

21 फरवरी को किसानों का दिल्ली कूच

किसान नेता पढेर का कहना है कि हम 21 फरवरी को दिल्ली कूच करने जा रहे हैं. सरकार से आगे फिलहाल कोई मीटिंग नहीं होगी. लेकिन हम बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं. 

डल्लेवाल ने कहा कि हमारी सरकार से अपील है की या तो हमारी मांगें मानी जाए या फिर शांति से हमें दिल्ली में बैठने की मंजूरी दी जाए. हमारी सभी किसान भाइयों से अपील है कि वे हिंसा नहीं करें.

रविवार को हुई थी चौथे दौर की वार्ता

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बता दें कि रविवार को किसान नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच चौथे राउंड की बातचीत हुई थी. इस बैठक में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मौजूद थे. 

इससे पहले केंद्र और किसानों के बीच 8, 12 और 15 फरवरी को भी बातचीत हुई थी. अब तक की बैठकें बेनतीजा ही रही हैं. हालांकि, रविवार को हुई चौथी बैठक में सरकार ने किसानों के सामने एक नया प्रस्ताव या यूं कहें कि 'फॉर्मूला' दिया है.

सरकार के इस प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया है. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था, उसका नाप-तोल किया जाए तो उसमें कुछ भी नहीं है. सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं ने सोमवार को शंभू बॉर्डर पर बैठक की थी.

यह भी पढ़ें: किसान मोर्चा ने क्यों खारिज किया सरकार का प्रस्ताव?

किसानों की क्या है मांग?

किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानूनी गारंटी की है. किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी पर कानून लेकर आए. किसान एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं.

किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनसे एमएसपी की गारंटी पर कानून लाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका. 

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स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना कीमत देने की सिफारिश की थी. आयोग की रिपोर्ट को आए 18 साल का वक्त गुजर गया है, लेकिन एमएसपी पर सिफारिशों को अब तक लागू नहीं किया गया है. और किसानों के बार-बार आंदोलन करने की एक बड़ी वजह भी यही है.

इसके अलावा किसान पेंशन, कर्जमाफी, बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी न करने, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ित किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं.

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