टिकरी बॉर्डर पर एक और किसान ने आत्महत्या कर ली है. आत्महत्या करने वाले किसान का नाम कर्मवीर बताया जा रहा है. कर्मवीर सिंघवाल गांव जिला जींद के रहने वाले थे. उनकी उम्र 52 साल के करीब है. उनके साथ ही किसानों ने बताया की कर्मवीर की तीन बेटियां है जिसमें से एक बेटी की शादी हो चुकी है.
राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि किसान-मज़दूर के गांधी जयंती तक आंदोलन के निर्णय से उनके दृढ़ संकल्प के साथ ही ये भी साफ़ है कि वे मोदी सरकार से कितने नाउम्मीद हैं. अहंकार छोड़ो, सत्याग्रही किसानों की तकलीफ़ समझो और कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो.
'सीधी बात' में बोले टिकैत- कमजोर विपक्ष के चलते आज ये हालात बने
हरियाणा के चरखी दादरी में सुबह 11 बजे पहली किसान महापंचायत होगी जबकि दोपहर 2 बजे चरखी दादरी में ही दूसरी किसान महापंचायत होगी. महापंचायत से पहले राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है और कहा कि दो अक्टूबर तक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि हम किसी भी नेता से फोन पर बात नहीं करना चाहते हैं. सरकार से अब बराबरी पर बात होगी.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का भी राजस्थान में जारी किसान आंदोलन में शामिल होने का कार्यक्रम है. राहुल गांधी 12 फरवरी को राजस्थान जाएंगे और कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल होंगे.
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि आज किसान आंदोलन के नाम पर जो हो रहा है, उनको मैं बताना चाहता हूं कि आपके प्रति हमारी पूरी संवेदना है. हमारे किसानों के प्रति अगर हम हनुमान होते तो छाती खोलकर दिखाते की हमारे मन में क्या है.
यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली को छोड़कर देशभर में किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ चक्का जाम किया. सिंघु बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि चक्का जाम सफल और शांतिपूर्ण रहा. कर्नाटक और तेलंगाना में कुछ समस्या सामने आई है, कुछ लोगों को हटाया गया है. आने वाले दिनों में आंदोलन को आगे बढ़ाने पर बैठक में चर्चा हुई है.
किसानों के समर्थन में उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में लगातार पंचायतों का आयोजन हो रहा है. हरियाणा के फतेहाबाद में भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने शनिवार को किसान पंचायत की थी. इस दौरान उन्होंने बीजेपी नेताओं को मॉडर्न डाकू बताया था. वहीं भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत हरियाणा के चरखी दादरी में होने वाली महापंचायत में हिस्सेदारी करने वाले हैं. टिकैत इस दौरान कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की बीच अपनी बात रखेंगे.
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं. किसान तीन कानूनों को रद्द किए जाने से कम पर कुछ मानने को तैयार नहीं है. केंद्र सरकार ने यहां तक कहा है कि वो डेढ़ साल तक इन कानूनों को स्थगित कर देंगी और इस दौरान जो सुझाव आएंगे उससे नए सिरे से लागू किया जाएगा. लेकिन किसानों ने साफ कह दिया है कि जब तक कानून निरस्त नहीं होंगे तब तक उनकी 'घर वापसी' नहीं होने वाली है.