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किसानों के प्रदर्शन स्थल 'भारत-पाक बॉर्डर' की तरह, विपक्षी सांसदों ने स्पीकर को लिखा पत्र

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखे अपने पत्र में विपक्षी सांसदों ने कहा, "दिल्ली बॉर्डर पर हमें जो आभास हुआ वह भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर के समान है. किसानों की स्थिति जेल में बंद कैदियों से मिलती-जुलती है." विपक्षी सांसदों को गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों से मिलने नहीं दिया गया.

गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की (पीटीआई) गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने भारी सुरक्षा व्यवस्था की (पीटीआई)
संजय शर्मा/अशोक सिंघल
  • नई दिल्ली,
  • 05 फरवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:14 AM IST
  • 12 सांसदों ने लोकसभा स्पीकर बिड़ला से मुलाकात की
  • ओम बिड़ला से जारी किसान आंदोलन पर चर्चा की मांग
  • गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से नहीं मिल सके सांसद

दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से मिलने से रोकने के बाद गुरुवार को विपक्षी दलों द्वारा केंद्र के खिलाफ प्रदर्शन करने के साथ किसानों के आंदोलन पर राजनीति तेज हो गई है. वहीं, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने 6 फरवरी को प्रस्तावित 'चक्का जाम' के आह्वान को वापस लेने से इनकार कर दिया है.

अंतरराष्ट्रीय पॉप स्टार्स और जलवायु कार्यकर्ताओं के किसान आंदोलन के समर्थन में कूदने के साथ ही किसानों का विरोध अब वैश्विक स्तर पर पहुंच गया है, जबकि भारत सरकार ने तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को 12 से 18 महीने के लिए स्थगित रखने की पेशकश की है, लेकिन विपक्ष ने सुझाव दिया है कि कानून को एक संसदीय चयन समिति को भेजा जाना चाहिए.

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हालांकि, प्रदर्शनकारी किसान, तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ-साथ एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग पर अड़े हुए हैं.

इस बीच गुरुवार को, विपक्षी दलों के 12 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात की और उन्हें पत्र सौंपकर चल रहे किसान आंदोलन पर सदन में चर्चा की मांग की. विपक्ष अभी भी किसान के मुद्दे पर अलग से चर्चा की मांग पर अड़ा है. वहीं संसद के 15 गैर-एनडीए सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल को दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों के पास जाने से रोका गया.

गाजीपुर बॉर्डर पर सांसदों को किसानों से मिलने नहीं दिया गया (पीटीआई)

नरेंद्र मोदी कैबिनेट में पूर्व केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) की नेता हरसिमरत कौर बादल के नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल में डीएमके, एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस के सांसद शामिल थे.

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लोकसभा अध्यक्ष बिड़ला को लिखे अपने पत्र में विपक्षी सांसदों ने कहा, "दिल्ली बॉर्डर पर हमें जो आभास हुआ वह भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर के समान है. किसानों की स्थिति जेल में बंद कैदियों से मिलती-जुलती है."

लोकसभा सांसद को लिखा गया पत्र (फोटो-अशोक सिंघल)

चुने हुए प्रतिनिधियों को प्रदर्शनकारियों से मिलने नहीं दिया जा रहा है, विपक्षी सांसदों, जिनमें सुप्रिया सुले, कनिमोझी, सौगात राय और तिरुचि शिवा ने स्पीकर ओम बिरला से पूछा कि क्या भारत एक "पुलिस स्टेट" में बदल गया है.

गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की 'ट्रैक्टर परेड' के दौरान भड़की हिंसा के बाद, दिल्ली पुलिस ने तीन प्रमुख विरोध स्थलों सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर कड़ी मोर्चाबंदी कर दी है. सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती के अलावा, दिल्ली के बॉर्डर्स पर इंटरनेट सेवाओं को भी करीब एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया था.

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इस बीच एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि 10 दलों के सांसदों ने आज (गुरुवार) गाजीपुर बॉर्डर का दौरा किया. हमने वहां जो चीजें देखीं, वे चिंताजनक थीं. हम सिर्फ किसानों से मिलने के लिए वहां गए थे, लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई. वहां का माहौल राष्ट्र के हित में नहीं है. यह देखने का हमारा प्रयास होगा कि जल्द समाधान निकले. उन्होंने कहा कि जिस हालत में वे (किसान) वहां (बॉर्डर) पर बैठे हैं ठीक नहीं है. बातचीत के जरिए समाधान निकालने की जरूरत है.

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अमित शाह को लिखा गया पत्र (फोटो-संजय शर्मा)

दूसरी ओर, दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ लिए जा रहे एक्शन को लेकर विपक्षी दलों के 10 से ज्यादा सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक साझा पत्र लिखकर सरकार से किसान विरोध के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने का अनुरोध किया है.

साथ ही दिल्ली में प्रदर्शनस्थल पर बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल करने का अनुरोध किया गया है. इनमें आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव समेत 10 से ज्यादा सांसद शामिल हैं.

 

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