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सरकार और किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की बैठक आज, कैसे बनेगी बात?

केंद्र और आंदोलनरत 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच अब तक सात दौर की बातचीत हुई है, हालांकि ये अब तक बेनतीजा ही रही है. 30 दिसंबर की बैठक में किसान संगठनों को कुछ सफलता जरूर हाथ लगी थी.

सरकार से किसानों के आठवें दौर की बैठक आज (फोटो- पीटीआई) सरकार से किसानों के आठवें दौर की बैठक आज (फोटो- पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:59 AM IST
  • किसान और सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत
  • अब तक विफल रही है सात दौर की बैठक
  • केंद्र सरकार ने किया स्पष्ट, रद्द नहीं होंगे कानून

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की बैठक होगी. बारिश और कड़ाके की ठंड के बीच पिछले 43 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर किसान संगठन डटे हुए हैं. अब तक सात दौर की बातचीत हो चुकी है, इसके बावजूद बीच का रास्ता निकलता नहीं दिख रहा है. एक तरफ किसानों का कहना है कि कृषि कानूनों को वापस लिए बगैर बात नहीं बन सकती. वहीं केंद्र सरकार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वो अपने कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं है.    

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केंद्र और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच होने वाली महत्वपूर्ण बातचीत से एक दिन पहले गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार है. खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ बातचीत का नेतृत्व कर रहे तोमर ने कहा कि वह अभी नहीं कह सकते हैं कि आठ जनवरी को विज्ञान भवन में दोपहर दो बजे 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के नेताओं के साथ होने वाली बैठक का क्या नतीजा निकलेगा. 

बेनतीजा रही है सात दौर की बातचीत 

केंद्र और आंदोलनरत 40 किसान संगठनों के नेताओं के बीच अब तक सात दौर की बातचीत हुई है, हालांकि ये अब तक बेनतीजा ही रही है. 30 दिसंबर की बैठक में किसान संगठनों को कुछ सफलता हाथ लगी थी, जब सरकार ने बिजली सब्सिडी और पराली जलाने के संबंध में दो मांगें मान ली थीं.  

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कृषि मंत्री ने गुरुवार को कहा है कि वह इन कानूनों को वापस लेने की मांग के अलावा किसी भी प्रस्ताव पर विचार करने को तैयार हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या प्रस्तावों में राज्यों को नये केंद्रीय कानून लागू .करने की छूट दी गई है, उन्होंने कहा , 'नहीं.' साथ ही यह भी कहा, 'मैं उनसे (बाबा लखा से) बात करना जारी रखूंगा. मेरा उनसे पुराना संबंध है.' 

यह पूछे जाने पर कि गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच मध्यस्थता कर सकने वाले पंजाब के किसी अन्य धार्मिक नेता से क्या वह मिलेंगे, इस पर कृषि मंत्री तोमर ने कहा, 'मैं उनसे मिलूंगा--चाहे वे किसान हों या नेता।’

क्या सरकार ने नानकसर गुरुद्वारा प्रमुख के साथ एक प्रस्ताव पर बातचीत की है, मंत्री ने कहा, ' सरकार ने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं दिया है.'

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सरकार का अगला कदम

सरकार का अगला कदम क्या होगा? इस सवाल के जवाब में कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि नये कृषि कानून किसानों को छूट देते हैं तथा सरकार मौजूदा गतिरोध यथाशीघ्र खत्म करने को लेकर आशान्वित है. 

उन्होंने कहा, 'अभी जो कदम उठाये गये हैं वे महज शुरूआत हैं और अधिक सुधार किये जाने हैं. अगला, कीटनाशक विधेयक और बीज विधेयक होगा.' 

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किसानों ने गुरुवार को निकाला ट्रैक्टर मार्च

शुक्रवार को होने वाली बातचीत से पहले गुरुवार को हजारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली की सीमाओं से लगे अपने प्रदर्शन स्थल सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर तथा हरियाणा के रेवासन से ट्रैक्टर मार्च निकाला. 

प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने कहा कि 26 जनवरी को हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से राष्ट्रीय राजधानी में आने वाले ट्रैक्टरों की प्रस्तावित परेड से पहले यह महज एक 'रिहर्सल' है. 

बता दें, दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शनकारी किसान डेरा डाले हुए हैं. ये किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वे फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी भी मांग रहे हैं. इन प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं.


 

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